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सरकार पाठ्यक्रम में सुधार करें और छात्रों को राष्ट्रीयता का पाठ पढ़ाएंः गिरिराज सिंह लोटवाड़ा

राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की दसवीं कक्षा की किताब राजस्थान की संस्कृति और इतिहास में उदय सिंह, हल्दीघाटी के साथ-साथ चित्तौड़गढ़ की महारानी पद्मिनी को लेकर भी विवाद खड़े हो रहे हैं. इसको लेकर राजपूत सभा के अध्यक्ष का कहना है कि राज्य सरकार को पाठ्यक्रम में सुधार करना चाहिए.

Tenth history book controversy,  10th history book of Rajasthan
राजपूत सभा के अध्यक्ष से ईटीवी भारत की खास बातचीत
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Published : Jun 29, 2020, 10:33 PM IST

जयपुर. माध्यमिक शिक्षा बोर्ड दसवीं की नई किताब नए विवाद लेकर आई है. इस किताब के पहले अध्याय में उदय सिंह, हल्दीघाटी युद्ध और चित्तौड़ की महारानी पद्मिनी को लेकर विवादास्पद तथ्य पेश किए गए हैं. इसे लेकर अब राजपूत सभा के अध्यक्ष गिरिराज सिंह लोटवाड़ा ने राज्य सरकार से इसमें सुधार करने और छात्रों को राष्ट्रीयता की भावना पैदा करने वाला पाठ्यक्रम पढ़ाए जाने की अपील की.

राजपूत सभा के अध्यक्ष से ईटीवी भारत की खास बातचीत

राजस्थान के प्रमुख राजपूत वंश का इतिहास राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की किताबों मे पढ़ाया जाता रहा है, लेकिन हर बार ये किताबें अपने साथ कुछ विवाद भी लेकर आती हैं. इस बार दसवीं बोर्ड की राजस्थान का इतिहास एवं संस्कृति किताब में उदय सिंह, हल्दीघाटी और चित्तौड़ की रानी पद्मिनी को लेकर विवादास्पद तथ्य लिखे गए हैं, जिस पर इतिहासकारों ने भी सवाल खड़े किए हैं.

पढ़ें- राज. मा. शिक्षा बोर्ड की किताब में महाराणा प्रताप के बाद अब रानी पद्मिनी को लेकर लिखे तथ्यों को लेकर विवाद

शिक्षा मंत्री ने दिया है आश्वासन

वहीं, ईटीवी भारत से खास बातचीत में राजपूत सभा के अध्यक्ष गिरिराज सिंह लोटवाड़ा ने कहा कि इस संबंध में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा से वार्ता की गई है. उन्होंने आश्वस्त किया है कि यदि पाठ्यक्रम में कोई गलती होगी तो उसमें अवश्य सुधार किया जाएगा. रानी पद्मिनी को लेकर मलिक मोहम्मद जायसी की किताब के अनुसार लिखे गए तथ्य पर लोटवाड़ा ने कहा कि मैं इतिहास का स्टूडेंट तो हूं नहीं, लेकिन हर एक राजा के समकालीन अलग-अलग इतिहासकारों ने अलग-अलग व्याख्या की है.

Tenth history book controversy,  10th history book of Rajasthan
उदयपुर का राजवंश

'अलग-अलग शोध को एक पुस्तक में डालना गलत'

लोटवाड़ा ने कहा कि कर्नल जेम्स टॉड की ओर से लिखे गए राजस्थान के इतिहास को सभी शोधार्थियों का आधार माना जा सकता है. हालांकि वो मेवाड़ की तरफ से ज्यादा रहे हैं, इसलिए उन्होंने उसी क्षेत्र के बारे में ज्यादा लिखा है. बावजूद इसके हर शोधार्थी की अपनी शोध और सोच होती है, लेकिन अलग-अलग शोध को एक पुस्तक में डालना गलत है.

पढ़ें- सुनियोजित तरीके से की गई महाराणा प्रताप के इतिहास के साथ छेड़छाड़: शेखावत

उदय सिंह को बनवीर का हत्यारा बताना, हल्दीघाटी युद्ध में मुगल सेना का नेतृत्वकर्ता जगन्नाथ कच्छावा और हल्दीघाटी की परिभाषा को गलत ढंग से प्रस्तुत करने को लेकर गिरिराज सिंह लोटवाड़ा ने कहा, किताब में ये सभी विवादास्पद तथ्य लिखे हुए हैं. इतिहास हमेशा शोध का विषय रहा है और हर शोधार्थी का इसमें अलग मत होता है. ऐसे में किस शोधार्थी ने किस संदर्भ में क्या लिखा है, छात्रों को पढ़ाई जाए या नहीं पढ़ाई जाए, ये विचारनीय प्रश्न है.

'पुस्तक में सिर्फ ज्ञानवर्धक चीजें जोड़नी चाहिए'

लोटवाड़ा ने कहा कि पुस्तक में सिर्फ वही जानकारी जोड़नी चाहिए जिससे ज्ञान वर्धन हो, ना कि कोई विवाद पैदा हो. छात्रों को सिर्फ वही पढ़ाना चाहिए, जिससे देश का मान बढ़े और राष्ट्रीयता की भावना बढ़े. यदि कोई विवादास्पद तथ्य किताबों में है तो उन्हें निश्चित रूप से हटाना चाहिए.

गिरिराज सिंह लोटवाड़ा ने स्पष्ट किया कि स्कूल में छात्रों को वही पढ़ाना चाहिए, जिसमें शोधार्थी ने राष्ट्रीयता की भावना बढ़ाने के दृष्टिकोण से लिखा हो. बहरहाल, छात्रों को पढ़ाया जा रहा ये पाठ्यक्रम फिलहाल विवाद का कारण बना हुआ है, जिस पर अब इतिहासकारों के बाद राजपूतों ने सवाल खड़े किए हैं.

जयपुर. माध्यमिक शिक्षा बोर्ड दसवीं की नई किताब नए विवाद लेकर आई है. इस किताब के पहले अध्याय में उदय सिंह, हल्दीघाटी युद्ध और चित्तौड़ की महारानी पद्मिनी को लेकर विवादास्पद तथ्य पेश किए गए हैं. इसे लेकर अब राजपूत सभा के अध्यक्ष गिरिराज सिंह लोटवाड़ा ने राज्य सरकार से इसमें सुधार करने और छात्रों को राष्ट्रीयता की भावना पैदा करने वाला पाठ्यक्रम पढ़ाए जाने की अपील की.

राजपूत सभा के अध्यक्ष से ईटीवी भारत की खास बातचीत

राजस्थान के प्रमुख राजपूत वंश का इतिहास राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की किताबों मे पढ़ाया जाता रहा है, लेकिन हर बार ये किताबें अपने साथ कुछ विवाद भी लेकर आती हैं. इस बार दसवीं बोर्ड की राजस्थान का इतिहास एवं संस्कृति किताब में उदय सिंह, हल्दीघाटी और चित्तौड़ की रानी पद्मिनी को लेकर विवादास्पद तथ्य लिखे गए हैं, जिस पर इतिहासकारों ने भी सवाल खड़े किए हैं.

पढ़ें- राज. मा. शिक्षा बोर्ड की किताब में महाराणा प्रताप के बाद अब रानी पद्मिनी को लेकर लिखे तथ्यों को लेकर विवाद

शिक्षा मंत्री ने दिया है आश्वासन

वहीं, ईटीवी भारत से खास बातचीत में राजपूत सभा के अध्यक्ष गिरिराज सिंह लोटवाड़ा ने कहा कि इस संबंध में शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा से वार्ता की गई है. उन्होंने आश्वस्त किया है कि यदि पाठ्यक्रम में कोई गलती होगी तो उसमें अवश्य सुधार किया जाएगा. रानी पद्मिनी को लेकर मलिक मोहम्मद जायसी की किताब के अनुसार लिखे गए तथ्य पर लोटवाड़ा ने कहा कि मैं इतिहास का स्टूडेंट तो हूं नहीं, लेकिन हर एक राजा के समकालीन अलग-अलग इतिहासकारों ने अलग-अलग व्याख्या की है.

Tenth history book controversy,  10th history book of Rajasthan
उदयपुर का राजवंश

'अलग-अलग शोध को एक पुस्तक में डालना गलत'

लोटवाड़ा ने कहा कि कर्नल जेम्स टॉड की ओर से लिखे गए राजस्थान के इतिहास को सभी शोधार्थियों का आधार माना जा सकता है. हालांकि वो मेवाड़ की तरफ से ज्यादा रहे हैं, इसलिए उन्होंने उसी क्षेत्र के बारे में ज्यादा लिखा है. बावजूद इसके हर शोधार्थी की अपनी शोध और सोच होती है, लेकिन अलग-अलग शोध को एक पुस्तक में डालना गलत है.

पढ़ें- सुनियोजित तरीके से की गई महाराणा प्रताप के इतिहास के साथ छेड़छाड़: शेखावत

उदय सिंह को बनवीर का हत्यारा बताना, हल्दीघाटी युद्ध में मुगल सेना का नेतृत्वकर्ता जगन्नाथ कच्छावा और हल्दीघाटी की परिभाषा को गलत ढंग से प्रस्तुत करने को लेकर गिरिराज सिंह लोटवाड़ा ने कहा, किताब में ये सभी विवादास्पद तथ्य लिखे हुए हैं. इतिहास हमेशा शोध का विषय रहा है और हर शोधार्थी का इसमें अलग मत होता है. ऐसे में किस शोधार्थी ने किस संदर्भ में क्या लिखा है, छात्रों को पढ़ाई जाए या नहीं पढ़ाई जाए, ये विचारनीय प्रश्न है.

'पुस्तक में सिर्फ ज्ञानवर्धक चीजें जोड़नी चाहिए'

लोटवाड़ा ने कहा कि पुस्तक में सिर्फ वही जानकारी जोड़नी चाहिए जिससे ज्ञान वर्धन हो, ना कि कोई विवाद पैदा हो. छात्रों को सिर्फ वही पढ़ाना चाहिए, जिससे देश का मान बढ़े और राष्ट्रीयता की भावना बढ़े. यदि कोई विवादास्पद तथ्य किताबों में है तो उन्हें निश्चित रूप से हटाना चाहिए.

गिरिराज सिंह लोटवाड़ा ने स्पष्ट किया कि स्कूल में छात्रों को वही पढ़ाना चाहिए, जिसमें शोधार्थी ने राष्ट्रीयता की भावना बढ़ाने के दृष्टिकोण से लिखा हो. बहरहाल, छात्रों को पढ़ाया जा रहा ये पाठ्यक्रम फिलहाल विवाद का कारण बना हुआ है, जिस पर अब इतिहासकारों के बाद राजपूतों ने सवाल खड़े किए हैं.

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