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सवाई भोज राजपूत थे या गुर्जर, पयर्टन विभाग की वेबसाइट पर डाली जानकारी से गुर्जर समाज में रोष

जयपुर के आसींद के सवाई भोज मंदिर को लेकर एक बार फिर विवाद छिड़ गया है. पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर गत जाकारियां डालने से गुर्जर समाज और राजपूत आमने सामने आ गए हैं.

Controversy on Sawai Bhoj Temple Asind
Controversy on Sawai Bhoj Temple Asind
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Published : Aug 26, 2022, 6:29 PM IST

Updated : Aug 26, 2022, 7:08 PM IST

जयपुर. उत्तर प्रदेश में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा पर गुर्जर सम्राट लिखे जाने पर पिछले साल सितंबर में विवाद हो गया था. इसके चलते मध्यप्रदेश और दिल्ली तक गुर्जर और राजपूत समाज आमने-सामने हो गए थे. वह विवाद शांत हुआ तो फिल्म पृथ्वीराज में सम्राट पृथ्वीराज को चौहान राजपूत बताने पर भी गुर्जर और राजपूत समाज में विवाद की स्थिति उत्पन्न हुई. अब इन दोनों विवाद के शांत होने के बाद राजस्थान में आसींद के सवाई भोज मंदिर को लेकर एक बार फिर विवाद उत्पन्न (Controversy broke out over Sawai Bhoj temple) हो गया है.

इस बार विवाद का कारण बनी है (website of tourism department) पर्यटन विभाग की वेबसाइट, जिसमें आसींद के मंदिर का निर्माण करवाने वाले सवाई भोज को सिसोदिया राजपूत बताया गया है. इस विवाद पर राजस्थान के गुर्जर समाज की ओर से लगातार नाराजगी जाहिर की जा रही है. अब इस मामले में एआईसीसी के सचिव धीरज गुर्जर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर वेबसाइट पर गलत जानकारी देने वाले पर्यटन विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है.

गुर्जर समाज की आस्था का प्रतीक
धीरज गुर्जर ने अपने पत्र में लिखा है कि राजस्थान पर्यटन विकास निगम की आधिकारिक वेबसाइट पर आसींद स्थित सवाई भोज मंदिर और गुर्जर समाज के ऐतिहासिक तथ्यों को परिवर्तित कर अपलोड किया गया है, जबकि यह सर्वविदित है कि सवाई भोज महाराज गुर्जर वंश में अवतरित होने के साथ ही जन-जन के आराध्य हैं और सवाई भोज मंदिर गुर्जर समाज की आन बान के साथ ही धर्म और आस्था का प्रतीक है.

धीरज गुर्जर ने कहा कि पर्यटन विभाग की अधिकारिक वेबसाइट पर सवाई भोज महाराज को गुर्जर समाज की जगह राजपूत समाज से संबंधित दर्शना अक्षम्य है ,जिससे पूरे गुर्जर समाज में गहरा असंतोष व्याप्त है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि सवाई भोज महाराज एवं देव दरबार सिर्फ गुर्जर समाज ही नहीं बल्कि 36 कौम की आस्था के केंद्र और पूज्य देव हैं. उनके नाम से जुड़े तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करना सामाजिक सौहार्द्र बिगाड़ने एवं गुर्जर समाज को चोट पहुंचाने वाला है. इसमें तत्काल सुधार किया जाना आवश्यक है.

तथ्य सुधारने के साथ विभागीय अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग
अपने पत्र के जरिए धीरज गुर्जर ने पर्यटन निगम के अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग करते हुए लिखा कि इस कृत्य के लिए संबंधित कार्मिकों को कड़ी कार्रवाई कर बड़ा संदेश दिया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में आमजन की धार्मिक भावनाओं का अनादर किसी की ओर से भी नहीं किया जाए. अपने पत्र के जरिए गुर्जर ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि विभागीय अधिकारी वेबसाइट पर सवाई भोज आसींद मंदिर एवं महाराजा सवाई भोज गुर्जर के संबंधित तथ्यों में तत्काल सुधार किया जाए. इस मामले में राजस्थान देवस्थान बोर्ड की ओर से भी अध्यक्ष जोगिंदर अवाना ने तथ्यों की छेड़छाड़ पर नाराजगी जताते हुए पत्र लिखा है.

भीलवाड़ा में भी गुर्जर समाज में रोष
भीलवाड़ा में गुर्जर समाज के आराध्य देव जिले के आसीन्द कस्बे के पास स्थित सवाई भोज मंदिर के बारे में पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर दी गई जानकारी से विवाद हो गया है. वेबसाइट पर आसींद सवाई भोज मंदिर के आराध्य श्री देवनारायण को राजपूत बताने से गुर्जर समाज के लोगों में आक्रोश है. सवाई भोज के महंत सुरेश दास और राजस्थान गुर्जर महासभा के प्रदेश अध्यक्ष कालुलाल गुर्जर ने आपत्ति जताई है. सवाईभोज महंत ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी इस संबंध में पत्र लिखा है. वेबसाइट में लिखा है कि आसींद कस्बे से सवाई भोज मंदिर खारी नदी के बाएं किनारे पर स्थित है.

यह बाघराव के बड़े बेटे सवाई भोज की ओऱ से निर्मित किया गया है जो मेवाड़ राज्य के प्रथम श्रेणी के कुलिनो में से एक था जिन्होंने राव का पद धारण किया था और सिसोदिया राजपूत के चुंडावत संप्रदाय से थे. रियासत के शासन के दौरान शहर मे एक बड़ी संपत्ति मन्दिर के नाम थी जिसमें 72 गांव शामिल थे. पर्यटन विभाग की साइट पर लिखा है कि सवाई भोज एवं देवनारायण मंदिर के महंत सुरेश दास ने आपत्ति दर्ज कराई. उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर पर्यटन विभाग की वेबसाइट में गुर्जर समाज के इतिहास को सही लिखवाने व दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग रखी.

जयपुर. उत्तर प्रदेश में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा पर गुर्जर सम्राट लिखे जाने पर पिछले साल सितंबर में विवाद हो गया था. इसके चलते मध्यप्रदेश और दिल्ली तक गुर्जर और राजपूत समाज आमने-सामने हो गए थे. वह विवाद शांत हुआ तो फिल्म पृथ्वीराज में सम्राट पृथ्वीराज को चौहान राजपूत बताने पर भी गुर्जर और राजपूत समाज में विवाद की स्थिति उत्पन्न हुई. अब इन दोनों विवाद के शांत होने के बाद राजस्थान में आसींद के सवाई भोज मंदिर को लेकर एक बार फिर विवाद उत्पन्न (Controversy broke out over Sawai Bhoj temple) हो गया है.

इस बार विवाद का कारण बनी है (website of tourism department) पर्यटन विभाग की वेबसाइट, जिसमें आसींद के मंदिर का निर्माण करवाने वाले सवाई भोज को सिसोदिया राजपूत बताया गया है. इस विवाद पर राजस्थान के गुर्जर समाज की ओर से लगातार नाराजगी जाहिर की जा रही है. अब इस मामले में एआईसीसी के सचिव धीरज गुर्जर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर वेबसाइट पर गलत जानकारी देने वाले पर्यटन विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है.

गुर्जर समाज की आस्था का प्रतीक
धीरज गुर्जर ने अपने पत्र में लिखा है कि राजस्थान पर्यटन विकास निगम की आधिकारिक वेबसाइट पर आसींद स्थित सवाई भोज मंदिर और गुर्जर समाज के ऐतिहासिक तथ्यों को परिवर्तित कर अपलोड किया गया है, जबकि यह सर्वविदित है कि सवाई भोज महाराज गुर्जर वंश में अवतरित होने के साथ ही जन-जन के आराध्य हैं और सवाई भोज मंदिर गुर्जर समाज की आन बान के साथ ही धर्म और आस्था का प्रतीक है.

धीरज गुर्जर ने कहा कि पर्यटन विभाग की अधिकारिक वेबसाइट पर सवाई भोज महाराज को गुर्जर समाज की जगह राजपूत समाज से संबंधित दर्शना अक्षम्य है ,जिससे पूरे गुर्जर समाज में गहरा असंतोष व्याप्त है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि सवाई भोज महाराज एवं देव दरबार सिर्फ गुर्जर समाज ही नहीं बल्कि 36 कौम की आस्था के केंद्र और पूज्य देव हैं. उनके नाम से जुड़े तथ्यों के साथ छेड़छाड़ करना सामाजिक सौहार्द्र बिगाड़ने एवं गुर्जर समाज को चोट पहुंचाने वाला है. इसमें तत्काल सुधार किया जाना आवश्यक है.

तथ्य सुधारने के साथ विभागीय अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग
अपने पत्र के जरिए धीरज गुर्जर ने पर्यटन निगम के अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग करते हुए लिखा कि इस कृत्य के लिए संबंधित कार्मिकों को कड़ी कार्रवाई कर बड़ा संदेश दिया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में आमजन की धार्मिक भावनाओं का अनादर किसी की ओर से भी नहीं किया जाए. अपने पत्र के जरिए गुर्जर ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि विभागीय अधिकारी वेबसाइट पर सवाई भोज आसींद मंदिर एवं महाराजा सवाई भोज गुर्जर के संबंधित तथ्यों में तत्काल सुधार किया जाए. इस मामले में राजस्थान देवस्थान बोर्ड की ओर से भी अध्यक्ष जोगिंदर अवाना ने तथ्यों की छेड़छाड़ पर नाराजगी जताते हुए पत्र लिखा है.

भीलवाड़ा में भी गुर्जर समाज में रोष
भीलवाड़ा में गुर्जर समाज के आराध्य देव जिले के आसीन्द कस्बे के पास स्थित सवाई भोज मंदिर के बारे में पर्यटन विभाग की वेबसाइट पर दी गई जानकारी से विवाद हो गया है. वेबसाइट पर आसींद सवाई भोज मंदिर के आराध्य श्री देवनारायण को राजपूत बताने से गुर्जर समाज के लोगों में आक्रोश है. सवाई भोज के महंत सुरेश दास और राजस्थान गुर्जर महासभा के प्रदेश अध्यक्ष कालुलाल गुर्जर ने आपत्ति जताई है. सवाईभोज महंत ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी इस संबंध में पत्र लिखा है. वेबसाइट में लिखा है कि आसींद कस्बे से सवाई भोज मंदिर खारी नदी के बाएं किनारे पर स्थित है.

यह बाघराव के बड़े बेटे सवाई भोज की ओऱ से निर्मित किया गया है जो मेवाड़ राज्य के प्रथम श्रेणी के कुलिनो में से एक था जिन्होंने राव का पद धारण किया था और सिसोदिया राजपूत के चुंडावत संप्रदाय से थे. रियासत के शासन के दौरान शहर मे एक बड़ी संपत्ति मन्दिर के नाम थी जिसमें 72 गांव शामिल थे. पर्यटन विभाग की साइट पर लिखा है कि सवाई भोज एवं देवनारायण मंदिर के महंत सुरेश दास ने आपत्ति दर्ज कराई. उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर पर्यटन विभाग की वेबसाइट में गुर्जर समाज के इतिहास को सही लिखवाने व दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने की मांग रखी.

Last Updated : Aug 26, 2022, 7:08 PM IST
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