जयपुर. सोनिया गांधी और राहुल गांधी को मिले ईडी के नोटिस को लेकर कांग्रेस तिलमिलाई हुई है. इसे लेकर कांग्रेस सोमवार को देशभर में ईडी कार्यालय तक मार्च कर घेराव करेगी. वहीं रविवार को देशभर में कांग्रेस नेताओं ने पत्रकार वार्ता को संबोधित किया. जयपुर में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कांग्रेस लीडर्स को मिले ईडी के समन को मोदी सरकार का 3D (डिस्ट्रक्ट, डायवर्ट और डिस्टोर्ट) रूल (Congress spokesperson targets BJP) बताया.
नहीं झुकेंगे: उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार मुद्दों से भटकाने, मुद्दों को असत्य रूप से प्रस्तुत करने और कृत्रिम रूप से नया मुद्दा बनाकर देश के सामने रखने के मॉडल पर काम कर रही है. लेकिन ये पॉलिसी ना तो पहले चली और ना ही नेशनल हेराल्ड के मामले में चलेगी. ईडी, सीबीआई, एसएफआई, इनकम टैक्स, डीआरआई कभी भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को समन जारी क्यों नहीं करती. जब कोई व्यक्ति विपक्षी दल में होता है, तो उसे तुरंत समन जारी हो जाता है. जैसे ही बीजेपी में शामिल होता है, समन वापस हो जाता है. बीजेपी के दो सांसद संजय पाटिल और एक अन्य तो खुले मंच से ये बोल चुके हैं कि ईडी में उनका कुछ नहीं हो सकता, क्योंकि वो बीजेपी में हैं. लेकिन जिस तरह कांग्रेस ने बिना डरे, बिना झुके अंग्रेजों को भारत से खदेड़ा था. अब काले अंग्रेजों को सत्ता से बेदखल करेंगे.
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गौरव वल्लभ ने नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र के बारे में बताया कि इस समाचार पत्र की स्थापना पं. जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, पुरुषोत्तम टंडन, आचार्य नरेंद्र देव, रफी अहमद किदवई और अन्य नेताओं ने 1937 में की थी. ताकि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड नामक कंपनी को स्थापित करके देश में स्वतंत्रता आंदोलन को आवाज दी जा सके. 1942 से 1945 तक अंग्रेजों की ओर से 'भारत छोड़ो' आंदोलन के दौरान इस समाचार पत्र को प्रतिबंधित कर दिया गया था, जिसे महात्मा गांधी ने राष्ट्रीय आंदोलन के लिए एक त्रासदी के रूप में वर्णित किया था.
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इस समाचार पत्र की संपादकीय उत्कृष्टता के बावजूद, नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र निरंतर आर्थिक रूप से घाटे में जाता गया, जिसके परिणामस्वरूप इसकी देय बकाया राशि 90 करोड़ रुपए तक पहुंच गईं. इस संकट में फंसे नेशनल हेराल्ड समाचार पत्र की सहायता के लिए कांग्रेस पार्टी ने वर्ष 2002 से लेकर 2011 के दौरान लगभग 100 किश्तों में इसे 90 करोड़ रुपये का ऋण दिया. जिसमें से नेशनल हेराल्ड ने 67 करोड़ रुपए अपने कर्मचारियों के वेतन और वीआरएस का भुगतान करने के लिए उपयोग किए और बाकी की राशि बिजली शुल्क, गृह कर, किरायेदारी शुल्क और भवन व्यय आदि जैसी सरकारी देनदारियों के भुगतान के लिए इस्तेमाल की गई.
ऋण देना कैसे आपराधिक कृत्य: वल्लभ ने कहा कि बीजेपी में बैठे लोग और उनके हितैषी, जो कि नेशनल हेराल्ड को दिए गए इस 90 करोड़ रुपए के ऋण को अपराधिक कृत्य के रूप में मान रहे हैं, ऐसा वो विवेकहीनता और दुर्भावना से अभिप्रेत होकर कह रहे हैं. क्योंकि किसी भी राजनीतिक दल की ओर से ऋण देना भारत में किसी भी कानून के तहत एक आपराधिक कृत्य नहीं है. फिर, कांग्रेस पार्टी का एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को समय-समय पर 90 करोड़ रुपए का ऋण देना कैसे एक आपराधिक कृत्य माना जा सकता है? इस ऋण को विधिवत रूप से कांग्रेस पार्टी के खातों की किताबों में दर्शाया गया था, जिसका विधिवत लेखा-जोखा किया गया और भारत के चुनाव आयोग को प्रस्तुत भी किया गया. यहां तक कि चुनाव आयोग ने 6 नवम्बर, 2012 के अपने एक पत्र के माध्यम से सुब्रमण्यम स्वामी को ये स्पष्ट करते हुए लिखा था कि लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो किसी राजनीतिक दल की ओर से खर्च को प्रतिबंधित या नियंत्रित करता हो.
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'यंग इंडियन' नामक नॉट-फॉर प्रॉफिट कंपनी: कांग्रेस प्रवक्ता ने तर्क दिया कि नेशनल हेराल्ड को दिया गया 90 करोड़ रुपए का ऋण नेशनल हेराल्ड और उसकी मूल कंपनी एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड द्वारा चुकाना संभव नहीं था. इसलिए, इस 90 करोड़ रुपए के ऋण को एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के इक्विटी शेयरों में परिवर्तित कर दिया गया था. चूंकि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इक्विटी शेयरों का स्वामित्व अपने पास नहीं रख सकती थी, इसलिए इस इक्विटी को सेक्शन-25 के अंतर्गत स्थापित 'यंग इंडियन' नामक नॉट-फॉर प्रॉफिट कंपनी को आवंटित कर दिया गया. जिसकी प्रबंध समिति सदस्य सोनिया गांधी, राहुल गांधी, स्व. ऑस्कर फर्नांडीस, स्व. मोतीलाल वोरा, सुमन दुबे हैं. 'नॉट-फॉर प्रॉफिट' की अवधारणा पर स्थापित किसी भी कंपनी के शेयर धारक/प्रबंध समिति के सदस्य कानूनी रूप से कोई लाभांश, लाभ, वेतन या अन्य वित्तीय लाभ नहीं ले सकते हैं. ऐसे में सोनिया गांधी, राहुल गांधी या 'यंग इंडियन' में किसी अन्य व्यक्ति की ओर से किसी भी प्राप्ति या वित्तीय लाभ का प्रश्न ही नहीं उठता.
नेशनल हेराल्ड कांग्रेस पार्टी की विरासत: यही नहीं एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की किसी भी चल या अचल संपत्ति को किसी ने भी स्थानांतरित नहीं किया है और न ही 'यंग इंडियन' ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड से एक भी रुपया निकाला है. तो फिर ईडी का नोटिस क्यों जारी किया (Congress questions ED summon) गया. गौरव वल्लभ ने कहा कि कांग्रेस नेतृत्व का इरादा स्पष्ट है कि नेशनल हेराल्ड कांग्रेस पार्टी की विरासत का प्रतीक है. उसके मूल्य हमेशा जीवित रहें. उन्होंने इसे सत्य की लड़ाई बताते हुए कहा कि सत्य की हमेशा विजय हुई है और इस बार भी होगी. राहुल गांधी और कांग्रेस नेतृत्व इस अग्निपरीक्षा से और ओजस्वी होकर उभरेंगे. आपको बता दें नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया और राहुल को ईडी ने नई तारीख दी है. राहुल गांधी को 13 जून यानी के सोमवार को और सोनिया गांधी को 23 जून को पेश होने के लिए ईडी ने नोटिस दिया है.