जयपुर. राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष रहे सचिन पायलट की नाराजगी की बात से पिछले एक सप्ताह से एक बार फिर राजनीतिक उठापटक जारी है. हालात राजस्थान में यह बन गए हैं कि सरकार पर लगातार हमले हो रहे हैं और वह भी किसी विपक्षी पार्टी की ओर से नहीं, बल्कि खुद अपनी ही पार्टी के विधायकों की ओर से.
इन सबके बीच राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा महज मूकदर्शक बनकर सब होता देख रहे हैं. गोविंद डोटासरा के सामने मजबूरी यह है कि न तो राजस्थान कांग्रेस की भंग अनुशासन कमेटी का गठन वह बीते एक साल में कर सके हैं और न ही प्रदेश प्रभारी अजय माकन कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई किसी नेता के खिलाफ कर रहे हैं. जिसके चलते प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने चुप्पी साध ली है.
पायलट कैंप के विधायकों ने खोला मोर्चा...
इस पूरे मामले में सचिन पायलट भले ही सामने आकर कुछ नहीं कह रहे हों, लेकिन उनके समर्थक विधायक अब सरकार पर हमलावर हो गए हैं. पायलट कैंप के विधायक वेद सोलंकी तो राजस्थान कांग्रेस में महासचिव पद पर भी हैं, जिन्होंने सचिन पायलट की सुनवाई नहीं होने के आरोप तो लगाई ही, इसके साथ ही सरकार पर फोन टैपिंग जैसे सनसनीखेज आरोप भी लगा दिए. वेद सोलंकी ही नहीं, बल्कि पायलट कैंप के विधायक मुकेश भाकर, रामनिवास गावड़िया, बृजेंद्र सिंह ओला, दीपेंद्र सिंह शेखावत पायलट की सुनवाई नहीं करने और काम नहीं होने के आरोप लगा रहे हैं.
पायलट कैंप के विधायक हेमाराम ने तो अपना इस्तीफा तक विधानसभा अध्यक्ष को भेज दिया है और प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की समझाइश के बाद भी वह अब तक इस्तीफा वापस लेने के लिए तैयार नहीं हुए हैं. विधायक लगातार सरकार के खिलाफ बयानवीर हो रहे हैं और सार्वजनिक बयानबाजी कर रहे हैं. जबकि पार्टी के विधायक और संगठन के पदाधिकारियों की तो यह कम से कम जिम्मेदारी होती है कि अगर उन्हें पार्टी या अपनी ही सरकार से कोई शिकायत हो तो उन्हें बात पार्टी फोरम पर रखनी चाहिए. लेकिन राजस्थान कांग्रेस में लगातार विधायक सार्वजनिक मंच या मीडिया में सरकार को घेरने का काम कर रहे हैं. बावजूद इसके. संगठन बिना अनुशासन कमेटी के अपने विधायकों के खिलाफ अनुशासन का डंडा चलाने में असमर्थ है.
गहलोत कैंप के विधायक भी उठाते रहे हैं सरकार के मंत्रियों पर सवाल...
ऐसा नहीं है कि केवल सचिन पायलट कैंप के विधायक ही अपनी सरकार पर सवाल उठा रहे हैं, बल्कि गहलोत कैंप के भी कई विधायक मंत्रियों की कार्यशैली पर सवाल उठा चुके हैं. चाहे बाबूलाल बैरवा हों या फिर इंद्रा मीना या फिर अमीन खान. ये सभी सरकार के मंत्रियों की कार्यशैली पर सवाल उठा चुके हैं. इनमें भी सबसे महत्वपूर्ण घटनाक्रम तो गहलोत मंत्रिमंडल की पिछली बैठक में हुआ, जब मंत्री शांति धारीवाल अपनी ही पार्टी के प्रदेशअध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा से भीड़ गए.
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धारीवाल इस घटना के बाद भी जयपुर शहर के प्रभारी मंत्री के तौर पर बैठक लेने नहीं पहुंचे. इन तमाम अनुशासनहीनता की घटनाओं के बावजूद भी प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा किसी पर कोई कार्रवाई करने में असमर्थ रहे हैं. खुद कांग्रेस से बगावत कर चुनाव जीते संयम लोढ़ा ने लिखा 'घोर अनुशासनहीनता के चलते राजस्थान कांग्रेस करवाए प्रदेश स्तरीय चिंतन शिविर' एक ओर राजस्थान में लगातार अनुशासनहीनता के मामले सामने आते जा रहे हैं तो दूसरी ओर अब कांग्रेस को वह विधायक अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे हैं जो खुद कांग्रेस से बगावत कर चुनाव जीते.
दरअसल, निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा जो अब अशोक गहलोत कैंप के माने जाते हैं, उन्होंने आज एक ट्वीट करते हुए लिखा कि घोर अनुशासनहीनता के चलते राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी को प्रदेश स्तरीय चिंतन शिविर का आयोजन करना चाहिए.