जयपुर. राजस्थान में चाहें सरकार पर आया सियासी संकट हो या फिर राज्यसभा चुनाव (Congress In Rajasthan) में जीत दिलाना निर्दलीय, बीटीपी, माकपा, आरएलडी और बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों ने सरकार का हर मौके पर साथ निभाया. यहां तक कि बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों ने तो अपनी पार्टी का विलय ही विधानसभा में कांग्रेस पार्टी में करवा दिया. इन सभी 24 विधायकों ने कांग्रेस कि गहलोत सरकार का तो भरपूर साथ दिया है और सरकार इन विधायकों के समर्थन से कांग्रेस पार्टी को मिले बहुमत से नंबर गेम में कहीं आगे निकल गई लेकिन इन विधायकों के समर्थन का एक खामियाजा उन सीटों पर कांग्रेस संगठन को जरूर उठाना पड़ रहा है.
हालात ये है की इन 24 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस पार्टी का संगठन पूरी तरीके से तहस-नहस हो गया है. इन 24 में से 23 सीटों पर कांग्रेस के टिकट पर इन्हीं समर्थक विधायकों से हारने वाले नेता अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं. अब सरकार में बाहर से आए विधायकों की ही चल रही है. हालात यह है कि इन सभी 24 विधानसभा में पंचायत नगर निगम निकाय में कांग्रेस पार्टी के टिकट भी कांग्रेस के प्रत्याशियों की जगह इन्हीं विधायकों से पूछ कर दिए जाते (Congress Allies In Rajasthan) हैं. जिसके चलते अपने ही क्षेत्र में कांग्रेस के चुनाव लड़ चुके नेताओं की साख खराब हो रही है. इन नेताओं का यहां तक कहना है कि जहां भाजपा से हारने वाले कांग्रेस के प्रत्याशी हैं वहां तो उन नेताओं की सरकार में पूरी चलती है लेकिन जहां भाजपा के अलावा अन्य दलों से कांग्रेस के प्रत्याशी चुनाव हारे वहां कांग्रेस के नेताओं और संगठन की हालत खराब है.
24 सीट जहां कांग्रेस के प्रत्याशियों को शिकायत: राजस्थान में तेरा निर्दलीय विधायक ,बसपा से कांग्रेस में शामिल होने वाले विधायक, दो बीटीपी के विधायक, दो माकपा के विधायक और एक आरएलडी के विधायक ने अपना समर्थन कांग्रेस पार्टी को दिया है, लेकिन इन 24 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस का संगठन कमजोर हो गया है. इनमें 13 निर्दलीय विधायकों की विधानसभा सीटें हैं. जिसमें शाहपुरा से आलोक बेनीवाल, महुआ से ओमप्रकाश हुडला, थानागाजी से कांति प्रसाद मीणा , मारवाड़ जंक्शन से खुशवीर सिंह जोजावर ,बहरोड़ से बलजीत यादव , दूदू से बाबूलाल नागर, खंडेला से महादेव सिंह खंडेला , कुशलगढ़ से रमिला खड़िया , गंगानगर से राजकुमार गौड़ , गंगापुर से रामकेश मीणा , बस्सी से लक्ष्मण मीणा , सिरोही से संयम लोढ़ा , किशनगढ़ से सुरेश टांक शामिल हैं.
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के गिरधारी लाल डूंगरगढ़ विधानसभा सीट से और बलवान पूनिया भादरा विधानसभा सीट से हैं. बीटीपी के राजकुमार रोत चौरासी विधानसभा सीट और रामप्रसाद सागवाड़ा विधानसभा सीट से आते हैं. आरएलडी के सुभाष गर्ग भरतपुर विधानसभा से आते हैं हालांकि यहां से कांग्रेस ने किसी को प्रत्याशी ही नहीं उतारा था. बीएसपी से कांग्रेस शामिल हुए विधायक भी कांग्रेस की सीटों पर असर डाल रहे हैं. इनमें राजेंद्र गुड्डा उदयपुरवाटी विधानसभा से, संदीप यादव तिजारा विधानसभा से, लखन मीणा करौली विधानसभा से, दीपचंद खेरिया किशनगढ़ बास विधानसभा से, जोगिंदर अवाना नदबई विधानसभा से और वाजिब अली नगर विधानसभा सीट से आते हैं.
इनमें से लगातार 3 बार हारने वाली सीट: जिन 24 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस ने समर्थन लिया है, वहां कांग्रेस संगठन के हालात आज से नहीं बल्कि लंबे समय से खराब चल रहे हैं. इनमें से 15 विधानसभा सीटें तो ऐसी है ,जहां कांग्रेस पार्टी लगातार तीन चुनाव हार चुकी है, तो वहीं बाकी बची विधानसभा सीटों में से भी ज्यादातर वो है जहां 2 बार से ज्यादा कांग्रेस पार्टी चुनाव हारी है. ऐसे में जो सवाल इन विधानसभा सीट के कांग्रेस प्रत्याशी उठा रहे हैं कहीं न कहीं उनमें सच्चाई दिखाई देती है. ये सीटें हैं-
- गंगानगर विधानसभा
- भादरा विधानसभा
- उदयपुरवाटी विधानसभा
- गंगापुर विधानसभा
- मारवाड़ जंक्शन विधानसभा
- खंडेला विधानसभा
- शाहपुरा विधानसभा
- बस्सी विधानसभा
- किशनगढ़ बास विधानसभा
- बहरोड़ विधानसभा
- थानागाजी विधानसभा
- नगर विधानसभा
- नदबई विधानसभा
- सिरोही विधानसभा
- कुशलगढ़ विधानसभा