जयपुर. पांच राज्यों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस पार्टी को मजबूती देने के लिए चिंतन-मनन होने जा रहा है. पार्टी ने सोमवार को उदयपुर में 13 से 15 मई के बीच कांग्रेस के तीन दिवसीय चिंतन शिविर का औपचारिक एलान कर दिया है. इस शिविर में कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के अलावा कांग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री, कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य, सांसद, राज्यों के प्रभारी और महासचिव, प्रदेश अध्यक्ष, विधायक दल के नेता और वरिष्ठ नेता शामिल होंगे.
शिविर में करीब 400 नेताओं के शामिल होने का अनुमान है. शिविर में नेताओं और कार्यकर्ताओं से हार के कारण जानने की कोशिश की जाएगी. इसके साथ ही इस साल होने वाले गुजरात, हिमाचल विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनावों को लेकर रणनीति पर मनन होगा. इसके साथ ही अलग-अलग सेंशन में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की तरफ से वर्ष 2024 में होने वाले आम चुनाव के प्रजेंटेंशन पर चर्चा होगी. खास बात ये है कि नौ साल पहले भी कांग्रेस का चिंतन शिविर राजस्थान में आयोजित किया गया था. वर्ष 2013 में आयोजित हुए इस शिविर में वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जाने की तैयारियों और रणनीति को लेकर चर्चा की गई थी. तब राहुल गांधी को पार्टी का उपाध्यक्ष भी बनाया गया था. उस वक्त भी राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ही थे.
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आर्थिक कमेटी में सचिन पायलट को जगह : चिंतन शिविर में कई प्रस्ताव पास किए जाएंगे. जिसमें राजनीतिक प्रस्तावों से लेकर इस समय देश में चल रहे विभिन्न विषयों को भी शामिल किया गया है. जिसके लिए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने वरिष्ठ नेताओं की छह कमेटी बनाई है. जिनका काम शिविर से पहले सभी विषयों पर प्रस्ताव तैयार करना होगा. इन प्रस्तावों को चिंतन शिविर के दौरान चर्चा के लिए पेश किया जाएगा. इन 6 में से आर्थिक कमेटी में राजस्थान से सचिन पायलट को शामिल किया गया (Sachin Pilot included in finance committee of Congress) है. शिविर में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की कांग्रेस में भूमिका को लेकर भी अंतिम निर्णय हो सकता है. कहा जा रहा है कि चिंतन शिविर में 'पीके' के प्लान पर मुहर लग सकती है.
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ये प्रस्ताव होंगे चिंतन शिविर में पास :
- खेती-किसानी प्रस्ताव
- राजनीतिक प्रस्ताव
- आर्थिक प्रस्ताव
- सोशल एंपावरमेंट प्रस्ताव
- संगठनात्मक प्रस्ताव
- यूथ एंड एंपावरमेंट प्रस्ताव
- पीके का भविष्य भी तय होगा चिंतन शिविर में
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शिविर के लिए क्यों चुना उदयपुर : मेवाड़ में कुल 7 जिले आते हैं. इन जिलों में कुल 35 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से भाजपा को 20 सीटों पर जीत मिली थी. जबकि डूंगरपुर की दो सीटों पर बीटीपी ने जीत दर्ज की थी. वहीं, इस क्षेत्र में कांग्रेस के खाते में रही थी 12 सीटें. कांग्रेस के रणनीतिकार मानते हैं कि पार्टी के लिए मेवाड़ काफी महत्वपूर्ण है. पहली वजह ये है कि इस साल गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं. गुजरात का बनासकांठा सहित कई इलाके उदयपुर के नजदीक हैं. ऐसे में इस चिंतन-मनन का प्रभाव गुजरात में होगा. दूसरी बड़ी वजह ये भी है कि 2018 के चुनाव के नतीजों में मेवाड़ के सात जिलों की कुल 35 सीटों में 12 सीटें मिली थीं. ऐसे में पार्टी का मानना है कि अगर राजस्थान में फिर फतह करनी है, तो मेवाड़ उसके लिए काफी अहम है.