जयपुर. राजस्थान के 6 जिलों में 9 विधानसभा सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस के प्रत्याशियों को साल 2018 में विधानसभा चुनाव हराने वाले विधायक ही कांग्रेस का टिकट बांटते दिखाई देंगे, तो वहीं भरतपुर के विधायक सुभाष गर्ग के सामने कांग्रेस ने प्रत्याशी नहीं उतारा था. अब जहां सभी 9 विधायकों को जिला परिषद और पंचायत समिति के टिकट बांटने की जिम्मेदारी दी गई है, ऐसे में इन विधायकों से चुनाव हारे कांग्रेस प्रत्याशियों में रोष है.
उनका साफ तौर पर कहना है कि टिकट बांटने का काम कांग्रेस अपने प्रत्याशियों से करवाए ना कि निर्दलीय विधायकों से, ताकि टिकट कांग्रेस कार्यकर्ता को मिल सके. वहीं, बसपा से कांग्रेस में शामिल वे दोनों विधायक अब कांग्रेसी हो चुके हैं और पांच निर्दलीय विधायक जो कांग्रेस को सीधा समर्थन देते हैं उन्हें भी कांग्रेस पार्टी नकार नहीं सकती. ऐसे में टिकट बांटने के फार्मूले में दोनों पक्षों को साधना, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के लिए एक बड़ी चुनौती होगी.
इन 9 सीटों की बात की जाए तो 5 सीट पर निर्दलीय विधायक हैं, जिनमें दूदू से बाबूलाल नागर, बस्सी से लक्ष्मण मीणा, शाहपुरा से आलोक बेनीवाल, महुआ से ओम प्रकाश हुडला और सिरोही से संयम लोढ़ा शामिल हैं, तो वहीं इन 6 जिलों में दो विधायक बसपा से कांग्रेस में शामिल होने वाले नगर से वाजिद अली और नदबई से जोगिंदर अवाना हैं. इसी तरीके से भरतपुर विधानसभा से विधायक आरएलडी के सुभाष गर्ग की सीट पर भी चुनाव होने हैं. इन सीटों पर टिकट वितरण विधायकों के अनुसार होगा या कांग्रेस नेताओं के अनुसार यह टिकट वितरण के बाद ही साफ हो सकेगा.कार्यकर्ताओं के साथ कांग्रेस नेता मनीष यादव
बहरहाल, अब जयपुर में बैठकों के दौर समाप्त हो चुके हैं और सिंबल देने की प्रक्रिया अब शुरू होगी. हालांकि, छोटे चुनाव होने के चलते विरोध कम से कम हो ऐसे में कांग्रेस पार्टी प्रभारियों को सिंबल भले ही 15 अगस्त तक सौंप देंगे, लेकिन प्रभारी यह सिंबल विधायकों के माध्यम से नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 16 अगस्त को ही देंगे, ताकि बगावत को कम किया जा सके.
सिरोही जिला परिषद
सिरोही में निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा हैं. सिरोही में कुल 21 जिला परिषद के वार्ड हैं, जिसमें से साल 2015 में 6 जिला परिषद सदस्य कांग्रेस के और बाकी 15 सदस्य भाजपा के जीते थे. सिरोही से भाजपा की पायल परसरामपुरिया जिला प्रमुख बनी थीं. अबकी बार अगर सिरोही में कांग्रेस को जिला प्रमुख बनाना है तो सिरोही जिले की सिरोही विधानसभा से आने वाले जिला परिषद सदस्य कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण होंगे. ऐसे में संयम लोढ़ा जो कि पूरे सिरोही जिले में एकमात्र कांग्रेस समर्थित विधायक हैं उनका रोल महत्वपूर्ण हो जाता है.
सिरोही पंचायत समिति
सिरोही में पांच पंचायत समितियां हैं. इन पांच पंचायत समितियों में से साल 2015 में एक में भाजपा का प्रधान बना, दो में कांग्रेस के प्रधान बने और दो में निर्दलीय प्रधान बने. साल 2015 में सिरोही से निर्दलीय प्रधान बना. अबकी बार सिरोही में विधायक निर्दलीय संयम लोढ़ा हैं, ऐसे में स्थानीय नेताओं की टिकट वितरण को लेकर संयम लोढ़ा से नाराजगी जगजाहिर है. ऐसे में पार्टी के सामने चुनौती यह है कि कैसे कांग्रेस के नेताओं का निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा के साथ सामंजस्य बैठाया जाए.
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सवाई माधोपुर जिला परिषद
सवाई माधोपुर जिले की गंगापुर सिटी विधानसभा से निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा आते हैं. सवाई माधोपुर जिले में 2015 में जिला परिषद के 25 वार्ड थे. इनमें से 18 वार्ड कांग्रेस ने और 7 वार्ड भाजपा ने जीते थे. सवाई माधोपुर से कांग्रेस की विनीता सिंह जिला प्रमुख बनी थीं. अबकी बार अगर जिला प्रमुख कांग्रेस को अपना बनाना है तो इसके लिए गंगापुर सिटी से जीतने वाले जिला परिषद सदस्य भी महत्वपूर्ण भूमिका में होंगे. ऐसे में निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता है.
सवाई माधोपुर-गंगापुर सिटी पंचायत समिति
2015 में सवाई माधोपुर में कुल 6 पंचायत समितियां थीं. पंचायत समिति चुनाव में 6 पंचायत समितियों में से 2 में भाजपा और 4 में कांग्रेस के प्रधान बने. इन 4 में से 1 पंचायत समिति गंगापुर सिटी पंचायत समिति में कांग्रेस का प्रधान बना था. अब पिछले परिणाम दोहराने में चुनौती यह रही है कि गंगापुर सिटी के विधायक रामकेश मीणा कांग्रेस के तो साथ हैं, लेकिन वह निर्दलीय विधायक हैं. ऐसे में कांग्रेस के नेताओं की ओर से उनके कहने पर टिकट वितरण पर आपत्ति जताई जा रही है.
भरतपुर जिला परिषद
भरतपुर जिले की 3 सीटें भरतपुर, नगर और नदबई में टिकटों को लेकर विवाद है. भरतपुर से आरएलडी के सुभाष गर्ग आते हैं. नगर से बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए वाजिब अली और नदबई से बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए जोगिंदर अवाना विधायक हैं. भरतपुर में जिला परिषद के कुल 37 वार्ड हैं. इनमे से 2015 में 11 वार्ड में कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत दर्ज की थी, 4 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव जीते थे, 3 प्रत्याशी बीएसपी के जीते थे, तो 19 प्रत्याशी भाजपा के जीते. भरतपुर से भाजपा की बीना सिंह जिला प्रमुख बनीं. अब अगर इस बार जिला प्रमुख कांग्रेस को अपना बनाना है तो नदबई, नगर और भरतपुर के सेवर के जिला प्रमुख सदस्य महत्वपूर्ण होंगे.
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भरतपुर-नगर, नदबई और सेवर पंचायत समिति
2015 में भरतपुर जिले की 10 पंचायत समितियों में से 8 पंचायत समितियों में भाजपा का प्रधान बना और दो में कांग्रेस का. इनमें से पंचायत समिति सदस्यों के टिकट को लेकर जहां विवाद चल रहा है उसमें नगर, नदबई विधानसभा शामिल है. साल 2015 में भारतीय जनता पार्टी का प्रधान बना था. अबकी बार जब नगर और नदबई के विधायक वाजिब अली और जोगिंदर अवाना ने बसपा का दामन छोड़ कांग्रेस का दामन थाम लिया है, तो कांग्रेस की स्थिति मजबूत हो गई है, लेकिन अब यहां विवाद इस बात का है कि टिकट बसपा से कांग्रेस में आए विधायकों के कहने पर दिया जाए या फिर कांग्रेस के प्रत्याशी रहे नेताओं के नाम पर.
इसी तरह से भरतपुर विधानसभा में आने वाली सेवर पंचायत समिति में भी टिकट आरएलडी के सुभाष गर्ग के कहने पर दिया जाए या फिर कांग्रेस के नेताओं के कहने पर, इस बात पर विवाद चल रहा है. हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने सुभाष गर्ग के सामने भरतपुर से विधानसभा चुनाव में कैंडिडेट नहीं उतारा था. सेवर पंचायत समिति में 2015 में प्रधान कांग्रेस पार्टी का बना था.
दौसा जिला परिषद
2015 में दौसा में कुल 29 जिलापरिषद सदस्य थे. इनमें से 4 जिला परिषद सदस्य भाजपा, 24 जिला परिषद सदस्य कांग्रेस और 1 जिला परिषद सदस्य निर्दलीय था. दौसा से कांग्रेस की गीता खटाना जिला प्रमुख बनीं. दौसा जिले के महुआ से निर्दलीय विधायक ओम प्रकाश हुडला आते हैं. कांग्रेसियों ने निर्दलीय विधायक के कहने पर टिकट देने के नियम पर आपत्ति जताई है, लेकिन दौसा जिला प्रमुख बनाना है तो महुआ से जीत कर आने वाले जिला परिषद सदस्यों का भी महत्वपूर्ण योगदान रहेगा. ऐसे में कांग्रेस पार्टी निर्दलीय विधायक को किनारे नहीं कर सकती है.
दौसा पंचायत समिति
2015 के चुनाव में दौसा में कुल 6 पंचायत समितियां हैं. 2015 के चुनाव में 6 की 6 पंचायत समितियों में कांग्रेस के प्रधान बने. इस बार विवाद महुआ पंचायत समिति को लेकर है. निर्दलीय विधायक ओम प्रकाश हुडला चुनाव जीते हैं. साल 2015 में महुआ पंचायत समिति कांग्रेस के कब्जे में थी. अब उसे वापस कैसे जीता जाए, इस पर सवाल इस बात पर खड़े हो रहे हैं कि टिकट महुआ से निर्दलीय विधायक ओम प्रकाश हुडला के कहने पर दिए जाए या फिर कांग्रेस के प्रत्याशीयों या वहां के स्थानीय नेताओं के कहने पर.
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जयपुर जिला परिषद
साल 2015 में जयपुर में जिला परिषद के कुल के 51 वार्ड थे. इनमें से 2015 में 27 वार्ड भाजपा ने, 22 कांग्रेस ने और 2 जिला परिषद सदस्य निर्दलीय जीते. जयपुर से भाजपा के मूलचंद मीणा को जिला प्रमुख बनाया गया था. अबकी बार होने वाले जिला परिषद चुनाव में बड़ी चुनौती कांग्रेस के सामने यह आ रही है कि दूदू, बस्सी और शाहपुरा, तीन विधानसभा ऐसी हैं जहां विधायक निर्दलीय हैं. ऐसे में 2018 में विधानसभा टिकट पर चुनाव लड़े प्रत्याशियों ने निर्दलीय विधायकों के कहने पर टिकट देने पर आपत्ति जताई है.
जयपुर पंचायत समिति
जयपुर में कुल पंचायत समितियों में से 2015 में 6 पर भाजपा और 9 पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की. इनमें से दूदू, बस्सी और शाहपुरा पंचायत समिति में टिकट को लेकर विवाद है. साल 2015 में दूदू पंचायत समिति में भाजपा का प्रधान बना था. शाहपुरा पंचायत समिति में कांग्रेस का प्रधान बना था. वहीं, बस्सी पंचायत समिति में भी कांग्रेस ने परचम लहराया था, लेकिन अबकी बार इन तीनों सीटों पर निर्दलीय विधायक काबिज हैं. ऐसे में इनके सामने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े प्रत्याशियों शाहपुरा से मनीष यादव, बस्सी से दौलत मीणा और दूदू से रितेश बैरवा ने निर्दलीय विधायकों के कहने पर टिकट देने पर आपत्ति जताई है.