जयपुर. जलदाय कर्मियों के प्रांतीय नल मजदूर यूनियन इंटक का प्रतिनिधि सम्मेलन सोमवार को जल भवन में आयोजित हुआ. सम्मेलन में कर्मचारियों ने लंबे समय से लंबित चल रही मांगों को लेकर आक्रोश जताया है. साथ ही लगातार बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए कर्मचारियों की भर्ती को भी बढ़ाने की मांग की है. कर्मचारियों ने मंत्रियों के सामने नई भर्ती, पदोन्नति, वेतन विसंगतियों, कर्मचारियों को नियमित करने की भी मांग उठाई है.
जल भवन में आयोजित हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास (Transport Minister Pratap Singh Khachariyawas) मौजूद रहे. साथ ही जलदाय मंत्री बीडी कल्ला (Minister BD Kalla) और श्रम मंत्री टीकाराम जूली (Labor Minister Tikaram Julie) ने फोन से कर्मचारियों को संबोधित किया. जहां कर्मचारियों ने मंत्रियों के सामने अपनी मांगें रखी हैं. मंत्रियों ने कर्मचारियों को आश्वासन दिया है कि यूनियन के साथ 25 सितंबर से 1 अक्टूबर के बीच मीटिंग कर सभी समस्याओं का समाधान किया जाएगा.
जल भवन में हुए प्रांतीय नल मजदूर यूनियन इंटक के प्रतिनिधि सम्मेलन में प्रदेश भर के कर्मचारियों ने शिरकत की. सम्मेलन में प्रांतीय नल मजदूर यूनियन का चुनाव भी हुआ. यूनियन के संरक्षक राजेंद्र किशन व्यास ने संजय सिंह शेखावत को प्रदेश अध्यक्ष व राजेंद्र सोलंकी को महामंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा. राजस्थान इंटक के प्रदेश अध्यक्ष जगदीश राज श्रीमाली ने कर्मचारियों की सहमति से संजय सिंह शेखावत को प्रांतीय नल मजदूर यूनियन इंटक का निर्विरोध प्रदेश अध्यक्ष चुना है. साथ ही राजेंद्र सोलंकी को महामंत्री बनाया गया है.
पढ़ें. SI भर्ती परीक्षा को रद्द कराने को लेकर एकजुट हो रहे अभ्यर्थी, कहा-कोर्ट तक लेकर जाएंगे मामला
प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद संजय सिंह शेखावत ने कहा कि जल जीवन मिशन के कर्मचारियों की समस्या हो या ठेका कर्मियों की समस्या सभी समस्याओं को लेकर इंटक पूरी तरह से सतर्क है. समस्याओं के समाधान की योजना बनाकर जलदाय विभाग के सामने रखी जाएगी और सभी समस्याओं का समाधान कराया जाएगा.
राजस्थान इंटक के प्रदेश अध्य्क्ष जगदीश राज श्रीमाली ने कहा कि मांग पत्र को लेकर जल्द ही समाधान किया जाएगा. मंत्रियों ने भी इसका आश्वासन दिया है. जगदीश राज ने कहा कि पहले प्रदेश में 4 करोड़ की जनसंख्या थी जो आज बढ़कर साढ़े सात करोड़ हो गई है. पहले 35 हजार कर्मचारी थे और आज सिर्फ 9 हजार कर्मचारी ही रह गए है.
कर्मचारियों और जनसंख्या के अनुपात का संतुलन लगातार बिगड़ रहा है. भविष्य में आम जनता तक पानी पहुंचाने में दिक्कत होने वाली है. सम्मेलन में जनसंख्या के अनुपात में कर्मचारियों की भर्ती करने, संविदा पर काम कर रहे कर्मचारियों को स्थाई करने सहित जनता जल योजना के कर्मचारियों को स्थाई करने और कटौती का मुद्दा भी उठाया गया है.