जयपुर. सुप्रीम कोर्ट ने घाट की गुणी स्थित सिसोदिया रानी बाग में शादी समारोह आयोजित करने की सशर्त अनुमति दे दी है. न्यायाधीश अरुण मिश्रा और न्यायाधीश एस रविंद्र भट्ट की खंडपीठ ने यह आदेश पुरातत्व एवं म्यूजियम निदेशक की ओर से दायर अपील पर दिए.
न्यायाधीश अरुण मिश्रा ने फैसला सुनाते हुए कहा कि गार्डन में सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे तक ही समारोह आयोजित की जा सकते हैं. अदालत ने आठ बजे बाद गार्डन में किसी भी तरह की गतिविधि पर रोक लगा दी है. वहीं अदालत ने गार्डन में समारोह के दौरान लेजर लाइट, तेज संगीत और पटाखों पर भी रोक लगाई है. साथ ही अदालत ने निर्देश दिए हैं कि बाग में म्यूजिकल और दूसरे फाउंटेन को संरक्षित किया जाए.
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अदालत ने बाग की देखभाल के लिए कहा कि माली या दूसरा स्टाफ केवल बाग की देखभाल का ही काम करेगा. इसके अलावा बाग के सौंदर्यीकरण के लिए एक कंसल्टेंट की नियुक्ति की जाए और उसके लिए योजना बनाई जाए. यह कंसलटेंट बाग के सौंदर्यीकरण और इसके विकास का काम दिखेगा. अदालत ने आदेश की पालना रिपोर्ट एक माह में पेश करने के निर्देश दिए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गार्डन को लेकर एनजीटी का आदेश लागू नहीं किया जा सकता, क्योंकि इस क्षेत्र का उपयोग उचित कार्यों के लिए और पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए ऐसे आयोजन करने के लिए किया जा सकता है. अदालत ने इस संबंध में 5 नवंबर 2014 को एनजीटी की ओर से जारी आदेश को पलट दिया है. इस आदेश के जरिए वन क्षेत्र में होने के कारण गार्डन में समारोह पर रोक लगा दी गई थी.
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गौरतलब है कि आशीष गौतम ने वर्ष 2013 में गार्डन में समारोह आयोजन लेकर याचिका दायर की थी. जून 2013 में मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में चला गया था. ट्रिब्यूनल ने सरकार से जवाब पूछा था कि सिसोदिया गार्डन अधिसूचित क्षेत्र में आता है या नहीं? इस पर सरकार ने इसे अधिसूचित वन क्षेत्र में होना बताया था. इस पर एनजीटी ने 5 नवंबर 2014 को आदेश जारी कर गार्डन को संरक्षित वन क्षेत्र में बताते हुए समारोह आयोजित करने पर पाबंदी लगा दी थी. जिसे पुरातत्व विभाग की ओर से सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.