जयपुर. प्रदेश के सबसे बड़े कोविड केयर अस्पताल में 14 मई को ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित होने से तीन लोगों की मौत हो गई थी. मामले को लेकर पीड़ित परिवार के लोग न्याय की गुहार लगा रहे हैं. मृतक के परिजन जब अस्पताल मैनेजमेंट के पास गए, तो उन्हें संतोष पूर्वक जवाब नहीं मिल पाया. इसके बाद मृतक के परिजन पुलिस के पास अस्पताल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाने प्रतापनगर थाने पहुंचे. लेकिन पुलिस ने भी उन्हें थाने से लौटा दिया.
मृतक के परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करने की बजाय धमकाया कि शुक्र मनाओ तुम लोगों को गिरफ्तार कर अंदर नहीं डाल रहे हैं. पुलिस की धमकी से डर कर परिजन चले गए. मृतक के भाई उत्तम कूलवाल के अनुसार आरयूएचएस अस्पताल में ऑक्सीजन सप्लाई बाधित होने की बात को नकार दिया है, जो कि गलत है. अस्पताल में मौजूद लोग इस बात के गवाह है कि ऑक्सीजन आपूर्ति बाधित हुई थी.
अस्पताल के स्टाफ ने ही सिलेंडर लेकर मरीजों को लगाए थे. लेकिन जांच कमेटी ने दोषियों को बचाने के चक्कर में रिपोर्ट में लीपापोती कर दी. इसके साथ ही मरीज की मौत को अभी नार्मल बता दिया गया. जबकि मौत अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से हुई थी. रिपोर्ट दर्ज करवाने के लिए प्रताप नगर थाने गए, तो वहां पर भी एसएचओ श्रीमोहन मीणा ने कहा कि कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं होगी.
एसएचओ पर आरोप है कि उन्होंने पीड़ितों को कहा कि शुक्र मनाओ की तुम्हारे खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं की तुम्हें अंदर नहीं किया. वहीं इस पूरे मामले को लेकर प्रताप नगर थाना एसएचओ श्रीमोहन मीणा का कहना है कि थाने में किसी भी परिवादी ने मुलाकात नहीं की. ड्यूटी अफसर के पास कुछ लोग थाने में आए थे. मामले की जांच प्रशासनिक स्तर पर चल रही है. मृतक परिजनों के मुताबिक ऑक्सीजन की सप्लाई बाधित होने से तीन मरीजों की मौत हो गई थी. मृतक परिजन न्याय के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं. ऐसे में पुलिस और अस्पताल प्रशासन की कार्यशैली पर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं.
SMS अस्पताल में 1800 सिलेंडर क्षमता वाले ऑक्सीजन टैंकर की स्थापना
SMS अस्पताल में करीब 1800 सिलेंडर की क्षमता वाले लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन टैंकर की स्थापना की गई है. इसके बाद अस्पताल में भर्ती मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ रघु शर्मा ने सोमवार को वर्चुअल समारोह में सवाई मानसिंह अस्पताल में 20 किलो लीटर आक्सीजन क्षमता के टेंक का वर्चुअल शुभारम्भ किया.
डॉ शर्मा ने कहा कि लगभग ढाई हजार बेड क्षमता के एसएमएस अस्पताल में 1500 आक्सीजन सपोर्टेड बेड हैं. कोविड से पूर्व इस अस्पताल में प्रतिदिन लगभग 1000 हजार सिलेण्डर आक्सीजन की खपत हो रही थी. अस्पताल में स्थापित एक आक्सीजन जनरेशन प्लांट से प्रतिदिन लगभग 150 सलेण्डर आक्सीजन का उत्पादन हो रहा है. उन्होंने बताया की महामारी कोविड को ध्यान में रखते हुए अस्पताल के 700 आक्सीजन सपोटेड बेड और 136 वेंटीलेटर युक्त आईसीयू बेड कोविड के लिए आरक्षित कर दिये गये. कोविड की दूसरी लहर के दौरान एसएमएस अस्पताल में प्रतिदिन 2100 से 2400 सलेण्डर की आवश्यकता हो रही थी.
उन्होंने बताया कि नेशनल हेल्थ मिशन की फण्डिंग से इस आक्सीजन प्लांट का शुंभारम्भ हुआ है. उन्होंने मात्र एक माह की अवधि में इस आक्सीजन टैंक को स्थापित करने के लिए में एसएमएस अधीक्षक डॉक्टर राजेश शर्मा ओर उनकी टीम को बधाई दी. इस लिक्वीड आक्सीजन टैंक की क्षमता 1800 सलेण्डर की है. एसएमएस अस्पताल में 1800 सलेण्डर क्षमता के स्टोरेज से एसएमएस अस्पताल में आक्सीजन आपूर्ति निर्वाध रूप से हो सकेगी. अस्पताल को आक्सीजन की दृष्टि से आत्मनिर्भर बनाने के लिए शीघ्र ही जेडीए के सहयोग से 4 आक्सीजन जनरेशन प्लांट भी स्थापित किये जा रहे हैं. यह चारों प्लांट 150-150 सलेण्डर क्षमता के होंगे.
चिकित्सा राज्य मंत्री डॉ सुभाष गर्ग ने कहा कि लिक्विड ऑक्सीजन टेंक के लोकार्पण से एसएमएस अस्पताल को ऑक्सीजन की समस्या से राहत मिलेगी. उन्होंने चिकित्साकर्मियों को कोविड के दौरान किये जा रहे सराहनीय कार्य के लिए धन्यवाद दिया. इस मौके पर चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया ने बताया कि प्रदेश के सभी राजकीय मेडिकल कॉलेज में लिक्विड ऑक्सीजन टैंक स्थापित किये जा रहे हैं. एसएमएस प्रिसिंपल डॉ सुधीर भंडारी ने भी समारोह में भाग लिया. प्रारम्भ में एसएमएस अधीक्षक डॉ राजेश शर्मा ने ऑक्सीजन टैंक की स्थापना के बारे में जानकारी दी.