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एकल पट्टा प्रकरण में परिवादी का यूटर्न, कार्रवाई आगे चलाने से इनकार

एसीबी मामलों की विशेष अदालत में चर्चित एकल पट्टा प्रकरण (Single lease deed case) में परिवादी रामशरण सिंह ने यूटर्न लेते हुए कहा है कि वह इस मामले में आगे की कार्रवाई नहीं चाहता है. इसमें परिवादी ने अपनी उम्र का हवाला भी दिया है. कोर्ट ने परिवादी को 19 सितंबर को वीसी के जरिए कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है.

Complainant of single lease deed case takes u-turn, know details
एकल पट्टा प्रकरण में परिवादी का यूटर्न, कार्रवाई आगे चलाने से इनकार
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Published : Sep 15, 2022, 11:31 PM IST

जयपुर. एसीबी मामलों की विशेष अदालत में चर्चित एकल पट्टा प्रकरण (ACB court hearing in single lease deed case) की चल रही सुनवाई के बीच परिवादी रामशरण सिंह ने यूटर्न ने लिया है. परिवादी ने अदालत में एक अन्य अधिवक्ता के जरिए प्रार्थना पेश कर अपने अधिवक्ता संदेश खंडेलवाल को दिया वकालतनामा वापस लेने की बात कही है.

प्रार्थना पत्र में कहा गया कि अधिवक्ता संदेश खंडेलवाल इस प्रकरण से जुडे़ मामले में पैरवी नहीं करेंगे. वहीं परिवादी ने कहा कि वह 93 वर्ष का हो चुका है और प्रकरण में काफी जांच पड़ताल की जा चुकी है. ऐसे में अब वह मुकदमें में आगे कार्रवाई नहीं चाहता है. वहीं प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए अधिवक्ता संदेश खंडेलवाल ने कहा कि नया वकील करने से पहले उनसे एनओसी नहीं ली गई है.

पढ़ें: Single Lease Deed Case: क्यों ना एकल पट्टा प्रकरण की जांच सीबीआई को सौंप दी जाए-HC

वहीं प्रार्थना पत्र भी परिवादी के पुत्र के जरिए पेश हुआ है. इसके अलावा परिवादी ने पूर्व में उन्हें प्रकरण की निस्तारण तक पैरवी करने के लिए अधिकृत किया था और अभी तक परिवादी की ओर से उन्हें प्रकरण को लेकर कोई निर्देश नहीं मिले हैं. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने परिवादी को वीसी के जरिए 19 सितंबर को पेश होने के आदेश दिए हैं.

पढ़ें: Rajasthan High court verdict, पूर्व IAS संधू को विदेश जाने की अनुमति संबंधी शर्त रद्द

गौरतलब है कि गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी को वर्ष 2011 में एकल पट्टा जारी करने में धांधली को लेकर एसीबी ने वर्ष 2016 में रामशरण सिंह की शिकायत पर मामला दर्ज किया था. मामले में कंपनी के प्रोपराइटर शैलेन्द्र गर्ग, तत्कालीन आईएएस जीएस संधू, जेडीए जोन दस के तत्कालीन उपायुक्त ओंकारमल सैनी, निष्काम दिवाकर और गृह निर्माण सहकारी समिति के पदाधिकारियों को आरोपी बनाया गया था.

पढ़ें: एकल पट्टा प्रकरण में यूडीएच मंत्री धारीवाल सहित तीन अन्य की भूमिका नहीं- ACB

इसके अलावा शांति धारीवाल व अन्य को लेकर जांच लंबित रखी थी. एसीबी ने जून 2019 में शांति धारीवाल और एनएल मीणा व अन्य को राहत देते हुए उनके पक्ष में क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी थी. जिसे कोर्ट ने खारिज करते हुए कुछ बिंदुओं पर एसपी स्तर से उच्च अधिकारी से तीन माह में जांच कराने को कहा था. वहीं एसीबी की ओर से इन्हें क्लीन चिट देते हुए रिपोर्ट पेश की जा चुकी है.

जयपुर. एसीबी मामलों की विशेष अदालत में चर्चित एकल पट्टा प्रकरण (ACB court hearing in single lease deed case) की चल रही सुनवाई के बीच परिवादी रामशरण सिंह ने यूटर्न ने लिया है. परिवादी ने अदालत में एक अन्य अधिवक्ता के जरिए प्रार्थना पेश कर अपने अधिवक्ता संदेश खंडेलवाल को दिया वकालतनामा वापस लेने की बात कही है.

प्रार्थना पत्र में कहा गया कि अधिवक्ता संदेश खंडेलवाल इस प्रकरण से जुडे़ मामले में पैरवी नहीं करेंगे. वहीं परिवादी ने कहा कि वह 93 वर्ष का हो चुका है और प्रकरण में काफी जांच पड़ताल की जा चुकी है. ऐसे में अब वह मुकदमें में आगे कार्रवाई नहीं चाहता है. वहीं प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुए अधिवक्ता संदेश खंडेलवाल ने कहा कि नया वकील करने से पहले उनसे एनओसी नहीं ली गई है.

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वहीं प्रार्थना पत्र भी परिवादी के पुत्र के जरिए पेश हुआ है. इसके अलावा परिवादी ने पूर्व में उन्हें प्रकरण की निस्तारण तक पैरवी करने के लिए अधिकृत किया था और अभी तक परिवादी की ओर से उन्हें प्रकरण को लेकर कोई निर्देश नहीं मिले हैं. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने परिवादी को वीसी के जरिए 19 सितंबर को पेश होने के आदेश दिए हैं.

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गौरतलब है कि गणपति कंस्ट्रक्शन कंपनी को वर्ष 2011 में एकल पट्टा जारी करने में धांधली को लेकर एसीबी ने वर्ष 2016 में रामशरण सिंह की शिकायत पर मामला दर्ज किया था. मामले में कंपनी के प्रोपराइटर शैलेन्द्र गर्ग, तत्कालीन आईएएस जीएस संधू, जेडीए जोन दस के तत्कालीन उपायुक्त ओंकारमल सैनी, निष्काम दिवाकर और गृह निर्माण सहकारी समिति के पदाधिकारियों को आरोपी बनाया गया था.

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इसके अलावा शांति धारीवाल व अन्य को लेकर जांच लंबित रखी थी. एसीबी ने जून 2019 में शांति धारीवाल और एनएल मीणा व अन्य को राहत देते हुए उनके पक्ष में क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी थी. जिसे कोर्ट ने खारिज करते हुए कुछ बिंदुओं पर एसपी स्तर से उच्च अधिकारी से तीन माह में जांच कराने को कहा था. वहीं एसीबी की ओर से इन्हें क्लीन चिट देते हुए रिपोर्ट पेश की जा चुकी है.

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