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Special : 2020 की तुलना में 2021 में डेथ सर्टिफिकेट रजिस्ट्रेशन के आंकड़े डराने वाले

कोरोना महामारी पिछले साल की अपेक्षा इस साल ज्यादा भयानक साबित हो रही है. पिछले साल मई महीने के 14 दिनों में 763 मरीजों की मौत हुई थी, वहीं इस साल 14 दिनों में 694 मरीजों की मौत हुई है. इस बार हालात पिछली बार की अपेक्षा अधिक खतरानाक हैं. देखें पूरी रिपोर्ट...

Rajasthan Corona Death Certificate, Death due to Corona in Jaipur
2020 की तुलना में 2021 में डेथ सर्टिफिकेट रजिस्ट्रेशन के आंकड़े डराने वाले
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Published : May 16, 2021, 2:31 PM IST

Updated : May 19, 2021, 5:44 PM IST

जयपुर. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पहले से ज्यादा घातक है. राजधानी में बढ़ रहे मौत के आंकड़े भी इसी ओर इंगित करते हैं. जहां मई से पहले के 14 महीनों में 763 मौत दर्ज की गई थी. वहीं मई के 14 दिनों में 694 मौत दर्ज की गई है. संक्रमण के इतर नगर निगम में डेथ सर्टिफिकेट रजिस्ट्रेशन के आंकड़े भी 2020 की तुलना में काफी भयावह हैं.

2020 की तुलना में 2021 में डेथ सर्टिफिकेट रजिस्ट्रेशन के आंकड़े डराने वाले

कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर राज्य सरकार ने 10 मई से प्रदेश में सख्ती दिखाते हुए लॉकडाउन किया. हालांकि अभी लॉकडाउन का असर देखने को नहीं मिल रहा है. राजधानी में लगातार बढ़ रही मृत्यु दर इसी की गवाह है. आलम ये है कि श्मशान घाटों पर एक साथ कई चिताओं को जलता देखा जा सकता है. और तो और आदर्श नगर शमशान घाट के अस्थि गृह में तो अब अस्थियां रखने की तक की जगह नहीं बची.

राज्य सरकार द्वारा बताए जा रहे आंकड़े और श्मशान घाटों तक पहुंचने वाले शवों की संख्या में भी अंतर है. जिसका एक कारण इलाज के दौरान मौत होने और रिपोर्ट मौत के बाद आने को भी बताया जा रहा है, लेकिन इन सबके बीच नगर निगम में मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए हो रहे रजिस्ट्रेशन की संख्या भी लगातार बढ़ रही है और ये आंकड़े 2020 की तुलना में कहीं ज्यादा और डराने वाले हैं.

प्रदेश में औसतन 14 हजार पॉजिटिव मरीज सामने आ रहे हैं और करीब 150 मौत कोरोना से हो रही है. इस भयावह स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने लॉकडाउन लगा रखा है. ऐसे में ईटीवी भारत अपील करता है कि जयपुर के लोग सावधानी बरतें और सरकार की ओर से जारी की गई गाइडलाइन की पालना करें, ताकि वह खुद भी सुरक्षित रहें और उनके परिजन भी सुरक्षित रहें.

दो निगम बनने से 2020 और 2021 के आंकड़ों में गफलत

कोरोना महामारी की पहली वेव के दौरान जयपुर में एक ही नगर निगम काम कर रहा था. हालांकि दो नगर निगम बनाने का नोटिफिकेशन 2019 अक्टूबर को जारी हुआ था लेकिन बीते साल 2020 के नवंबर-दिसंबर माह में हुए निकाय चुनाव के बाद पूरा काम दो निगमों जयपुर हेरिटेज और जयपुर ग्रेटर में बंट गया था. महामारी की पहली लहर के दौरान अप्रैल और मई माह के कुल आंकड़े मिलाएं तो कुल 2548 डेथ सर्टिफिकेट जारी किए गए. जबकि दूसरी लहर में यह आंकड़ा अलग-अलग करके देखा जाए तो अकेले जयपुर ग्रेटर का एक माह का आंकड़ा ही पिछली लहर से अधिक है.

आंकड़ों से समझते हैं गणित

साल 2021 में जयपुर ग्रेटर निगम में अकेले अप्रैल माह में 2726 डेथ सर्टिफिकेट जारी हुए. मतलब साफ है, यह आंकड़े महामारी की पिछली लहर के दौरान पूरे जयपुर से मिले आंकड़ों से भी अधिक हैं. हालांकि जयपुर हेरिटेज निगम का दायरा भी छोटा है. ऐसे में दूसरी लहर में यहां अप्रैल में 661 और मई में 556 डेथ सर्टिफिकेट जारी हुए जबकि ग्रेटर नगर निगम में अप्रैल और मई में क्रमशः 2726 और 2769 सर्टिफिकेट जारी किए गए. दोनों निगमों के साल 2021 का कुल आंकड़ा 6 हजार 712 बैठता है जो कि पहली लहर के दौरान 2020 के आंकड़ों से लगभग ढाई गुणा अधिक है.

जयपुर. कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर पहले से ज्यादा घातक है. राजधानी में बढ़ रहे मौत के आंकड़े भी इसी ओर इंगित करते हैं. जहां मई से पहले के 14 महीनों में 763 मौत दर्ज की गई थी. वहीं मई के 14 दिनों में 694 मौत दर्ज की गई है. संक्रमण के इतर नगर निगम में डेथ सर्टिफिकेट रजिस्ट्रेशन के आंकड़े भी 2020 की तुलना में काफी भयावह हैं.

2020 की तुलना में 2021 में डेथ सर्टिफिकेट रजिस्ट्रेशन के आंकड़े डराने वाले

कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के मद्देनजर राज्य सरकार ने 10 मई से प्रदेश में सख्ती दिखाते हुए लॉकडाउन किया. हालांकि अभी लॉकडाउन का असर देखने को नहीं मिल रहा है. राजधानी में लगातार बढ़ रही मृत्यु दर इसी की गवाह है. आलम ये है कि श्मशान घाटों पर एक साथ कई चिताओं को जलता देखा जा सकता है. और तो और आदर्श नगर शमशान घाट के अस्थि गृह में तो अब अस्थियां रखने की तक की जगह नहीं बची.

राज्य सरकार द्वारा बताए जा रहे आंकड़े और श्मशान घाटों तक पहुंचने वाले शवों की संख्या में भी अंतर है. जिसका एक कारण इलाज के दौरान मौत होने और रिपोर्ट मौत के बाद आने को भी बताया जा रहा है, लेकिन इन सबके बीच नगर निगम में मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने के लिए हो रहे रजिस्ट्रेशन की संख्या भी लगातार बढ़ रही है और ये आंकड़े 2020 की तुलना में कहीं ज्यादा और डराने वाले हैं.

प्रदेश में औसतन 14 हजार पॉजिटिव मरीज सामने आ रहे हैं और करीब 150 मौत कोरोना से हो रही है. इस भयावह स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने लॉकडाउन लगा रखा है. ऐसे में ईटीवी भारत अपील करता है कि जयपुर के लोग सावधानी बरतें और सरकार की ओर से जारी की गई गाइडलाइन की पालना करें, ताकि वह खुद भी सुरक्षित रहें और उनके परिजन भी सुरक्षित रहें.

दो निगम बनने से 2020 और 2021 के आंकड़ों में गफलत

कोरोना महामारी की पहली वेव के दौरान जयपुर में एक ही नगर निगम काम कर रहा था. हालांकि दो नगर निगम बनाने का नोटिफिकेशन 2019 अक्टूबर को जारी हुआ था लेकिन बीते साल 2020 के नवंबर-दिसंबर माह में हुए निकाय चुनाव के बाद पूरा काम दो निगमों जयपुर हेरिटेज और जयपुर ग्रेटर में बंट गया था. महामारी की पहली लहर के दौरान अप्रैल और मई माह के कुल आंकड़े मिलाएं तो कुल 2548 डेथ सर्टिफिकेट जारी किए गए. जबकि दूसरी लहर में यह आंकड़ा अलग-अलग करके देखा जाए तो अकेले जयपुर ग्रेटर का एक माह का आंकड़ा ही पिछली लहर से अधिक है.

आंकड़ों से समझते हैं गणित

साल 2021 में जयपुर ग्रेटर निगम में अकेले अप्रैल माह में 2726 डेथ सर्टिफिकेट जारी हुए. मतलब साफ है, यह आंकड़े महामारी की पिछली लहर के दौरान पूरे जयपुर से मिले आंकड़ों से भी अधिक हैं. हालांकि जयपुर हेरिटेज निगम का दायरा भी छोटा है. ऐसे में दूसरी लहर में यहां अप्रैल में 661 और मई में 556 डेथ सर्टिफिकेट जारी हुए जबकि ग्रेटर नगर निगम में अप्रैल और मई में क्रमशः 2726 और 2769 सर्टिफिकेट जारी किए गए. दोनों निगमों के साल 2021 का कुल आंकड़ा 6 हजार 712 बैठता है जो कि पहली लहर के दौरान 2020 के आंकड़ों से लगभग ढाई गुणा अधिक है.

Last Updated : May 19, 2021, 5:44 PM IST
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