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Coal Crisis in Rajasthan: छत्तीसगढ़ के सरगुजा कोल माइंस में कोयला खत्म होने की कगार पर, केंद्र से अतिरिक्त कोयले की मांग.. - ETV bharat Rajasthan News

राजस्थान में कोयला संकट के बीच छत्तीसगढ़ के सरगुजा में केप्टिव कोल माइंस में भी (Coal Crisis in Rajasthan) कोयला खत्म होने की कगार पर है. प्रदेश कोयले के लिए केप्टिव कोल माइंस पर 60 प्रतिशत तक निर्भर करता है. ऐसे में राजस्थान के लिए कोयला संकट विकराल रूप ले सकता है. जिसको लेकर राजस्थान ने केंद्रीय कोयला मंत्रालय से अतिरिक्त कोयले की मांग की है.

Coal Crisis in Rajasthan
राजस्थान में कोयला संकट
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Published : Jul 4, 2022, 4:27 PM IST

Updated : Jul 4, 2022, 10:17 PM IST

जयपुर. प्रदेश में मानसून की दस्तक ने कोयला संकट से जूझ रहे राजस्थान ऊर्जा विभाग को थोड़े समय के लिए राहत दी है. लेकिन जल्द ही छत्तीसगढ़ कोयला विवाद नहीं सुलझाया गया तो प्रदेश में बड़ा बिजली संकट खड़ा हो सकता है. वर्तमान में छत्तीसगढ़ के सरगुजा में केप्टिव कोल माइंस में कोयला खत्म होने की कगार पर है. नए आवंटित कोल ब्लॉक से स्थानीय विरोध के कारण खनन शुरू नहीं हो पाया. ऐसे में अब राजस्थान ने केंद्रीय कोयला मंत्रालय से अतिरिक्त कोयले की मांग की है.

60 % केप्टिव कोल माइंस पर निर्भरता: राजस्थान में विद्युत उत्पादन निगम कोयला आधारित 23 इकाइयां (Coal Crisis in Rajasthan) स्थापित हैं, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 7580 मेगावाट है. इनमें से 4380 मेगावाट की थर्मल आधारित विद्युत उत्पादन इकाइयों में कोयला, छत्तीसगढ़ से ही आता है. लेकिन सरगुजा कैपटिव कोल माइंस में भी कोयला खत्म होने की कगार पर है.

राजस्थान में कोयला संकट फिर गहराया..

पढ़ें. Coal scarcity in Rajasthan: राज्य के बिजलीघरों के लिए कोयला लाएगा अडानी, 5.79 लाख मीट्रिक टन कोयला करेंगे आयात

अब मौजूदा हालात में अगर वहां से कोयला मिलना बंद होता है तो इसका सीधा असर राजस्थान की विद्युत उत्पादन इकाइयों पर पड़ेगा. ऐसे में या तो छत्तीसगढ़ में आवंटित कोयला खदानों से राजस्थान के हक का कोयला खनन शुरू किया जाए, या फिर कोल इंडिया राजस्थान को अतिरिक्त कोयला उपलब्ध करवाए. वर्तमान में राजस्थान में लगने वाले कोयले का करीब 40 फीसदी आपूर्ति कोल इंडिया ही करता है.

खनन की अनुमति के बाद भी नहीं शुरू हो पाई प्रक्रिया: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी छत्तीसगढ़ कोयला खनन विवाद सुलझाने के लिए पहले भी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कर चर्चा कर चुके हैं. छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से कोयला खनन की अनुमति भी जारी कर दी गई थी. लेकिन स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों और लोगों के विरोध के चलते जो नई कोयला खान राजस्थान को मिली है, उसमें खनन का काम शुरू नहीं हो पाया है. इसको लेकर फिर से छत्तीसगढ़ के सीएम को पत्र लिखा जाएगा.

पढ़ें. छत्तीसगढ़ कोयला खनन विवाद: मानसून से पहले कोयला स्टॉक पर संकट,रबी सीजन में भी रहेगा बिजली संकट!

मानसून से मिली राहत, लेकिन आगे की प्लानिंग जरूरी: प्रदेश में मानसून की दस्तक के बाद राजस्थान में बिजली का कोई संकट नहीं है, लेकिन ये स्थिति मानसून के दौरान ही रहेगी. ऊर्जा सचिव और डिस्कॉम चेयरमैन भास्कर ए सावंत के अनुसार ऊर्जा विभाग मौजूदा परिस्थितियों को देखकर आगे की प्लानिंग कर रहा है. सावंत के अनुसार मानसून के बाद उत्पादन इकाइयों में लगने वाले कोयले का इंतजाम करना जरूरी है. ऊर्जा सचिव ने बताया कि राजस्थान की उत्पादन इकाइयों में उतना ही कोयला शेष है, जितना अन्य राज्यों के विद्युत उत्पादन इकाइयों में मौजूद है. लेकिन छत्तीसगढ़ कोयला खनन विवाद नहीं सुलझा तो स्थिति खराब हो सकती है.

मिल रहा 18 से 19 रैक कोयला: राजस्थान को फिलहाल करीब 18 से 19 रैक कोयला प्रतिदिन मिल रहा है. प्रत्येक रैक में 4 हजार मैट्रिक टन कोयला होता है. छत्तीसगढ़ में सरगुजा केप्टिव कोल माइन्स 1108 हेक्टेयर में फैली है, जिनमें कोयला अब समाप्ति की ओर है.

जयपुर. प्रदेश में मानसून की दस्तक ने कोयला संकट से जूझ रहे राजस्थान ऊर्जा विभाग को थोड़े समय के लिए राहत दी है. लेकिन जल्द ही छत्तीसगढ़ कोयला विवाद नहीं सुलझाया गया तो प्रदेश में बड़ा बिजली संकट खड़ा हो सकता है. वर्तमान में छत्तीसगढ़ के सरगुजा में केप्टिव कोल माइंस में कोयला खत्म होने की कगार पर है. नए आवंटित कोल ब्लॉक से स्थानीय विरोध के कारण खनन शुरू नहीं हो पाया. ऐसे में अब राजस्थान ने केंद्रीय कोयला मंत्रालय से अतिरिक्त कोयले की मांग की है.

60 % केप्टिव कोल माइंस पर निर्भरता: राजस्थान में विद्युत उत्पादन निगम कोयला आधारित 23 इकाइयां (Coal Crisis in Rajasthan) स्थापित हैं, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता 7580 मेगावाट है. इनमें से 4380 मेगावाट की थर्मल आधारित विद्युत उत्पादन इकाइयों में कोयला, छत्तीसगढ़ से ही आता है. लेकिन सरगुजा कैपटिव कोल माइंस में भी कोयला खत्म होने की कगार पर है.

राजस्थान में कोयला संकट फिर गहराया..

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अब मौजूदा हालात में अगर वहां से कोयला मिलना बंद होता है तो इसका सीधा असर राजस्थान की विद्युत उत्पादन इकाइयों पर पड़ेगा. ऐसे में या तो छत्तीसगढ़ में आवंटित कोयला खदानों से राजस्थान के हक का कोयला खनन शुरू किया जाए, या फिर कोल इंडिया राजस्थान को अतिरिक्त कोयला उपलब्ध करवाए. वर्तमान में राजस्थान में लगने वाले कोयले का करीब 40 फीसदी आपूर्ति कोल इंडिया ही करता है.

खनन की अनुमति के बाद भी नहीं शुरू हो पाई प्रक्रिया: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी छत्तीसगढ़ कोयला खनन विवाद सुलझाने के लिए पहले भी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कर चर्चा कर चुके हैं. छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से कोयला खनन की अनुमति भी जारी कर दी गई थी. लेकिन स्थानीय स्वयंसेवी संगठनों और लोगों के विरोध के चलते जो नई कोयला खान राजस्थान को मिली है, उसमें खनन का काम शुरू नहीं हो पाया है. इसको लेकर फिर से छत्तीसगढ़ के सीएम को पत्र लिखा जाएगा.

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मानसून से मिली राहत, लेकिन आगे की प्लानिंग जरूरी: प्रदेश में मानसून की दस्तक के बाद राजस्थान में बिजली का कोई संकट नहीं है, लेकिन ये स्थिति मानसून के दौरान ही रहेगी. ऊर्जा सचिव और डिस्कॉम चेयरमैन भास्कर ए सावंत के अनुसार ऊर्जा विभाग मौजूदा परिस्थितियों को देखकर आगे की प्लानिंग कर रहा है. सावंत के अनुसार मानसून के बाद उत्पादन इकाइयों में लगने वाले कोयले का इंतजाम करना जरूरी है. ऊर्जा सचिव ने बताया कि राजस्थान की उत्पादन इकाइयों में उतना ही कोयला शेष है, जितना अन्य राज्यों के विद्युत उत्पादन इकाइयों में मौजूद है. लेकिन छत्तीसगढ़ कोयला खनन विवाद नहीं सुलझा तो स्थिति खराब हो सकती है.

मिल रहा 18 से 19 रैक कोयला: राजस्थान को फिलहाल करीब 18 से 19 रैक कोयला प्रतिदिन मिल रहा है. प्रत्येक रैक में 4 हजार मैट्रिक टन कोयला होता है. छत्तीसगढ़ में सरगुजा केप्टिव कोल माइन्स 1108 हेक्टेयर में फैली है, जिनमें कोयला अब समाप्ति की ओर है.

Last Updated : Jul 4, 2022, 10:17 PM IST
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