जयपुर. प्रदेश में कोयले की कमी (Coal crisis in Rajasthan) के बीच राज्य के ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी और ऊर्जा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव डॉ. सुबोध अग्रवाल ने दिल्ली जाकर केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह से मुलाकात की. इस दौरान भाटी ने प्रदेश में बिजली आपूर्ति सुनिश्चित रखने के लिए केंद्र से प्रतिदिन 42500 मीट्रिक टन अतिरिक्त कोयला आवंटन की मांग की. साथ ही छत्तीसगढ़ के पीकेवी कॉल ब्लॉक को जल्द ही वन पर्यावरण मंत्रालय से स्वीकृति दिए जाने की मांग भी दोहराई.
दरअसल प्रदेश में कोयले की कमी एक बार फिर होने के आसार दिखने लगे हैं. केंद्र से मंजूरी मिलने के बाद भी छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से फेज टू में कोल माइंस का काम शुरू नहीं हो पाया. राजस्थान की कुछ थर्मल इकाइयों को भी मेंटेनेंस के नाम पर बंद कर दिया गया है, हालांकि प्रदेश सरकार अपने स्तर पर विदेश से भी कोयला आयात करने की तैयारी (Alternative Measures for Coal Supply) कर रही है. लेकिन इस बीच केंद्र से इस समस्या के समाधान के लिए हस्तक्षेप की मांग की गई है.
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री के समक्ष रखी यह मांगे : दिल्ली में हुई इस मुलाकात के दौरान प्रदेश के ऊर्जा मंत्री और ऊर्जा सचिव ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह से राजस्थान से जुड़े विभिन्न मसलों पर चर्चा की जिसमें कोयले की आपूर्ति के साथ ही प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुसार सौभाग्य योजना की समय सीमा में वृद्धि करने की भी मांग की गई. वहीं परिवर्तित कुसुम योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए आवेदक किसानों को बैंकों से सुलभ ऋण मिल सके, इस संबंध में भी केंद्र सरकार से हस्तक्षेप की मांग की.
ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी ने बताया कि प्रदेश में अक्षय ऊर्जा से जुड़ी परियोजनाओं की स्थापना आसान हो सके इसके लिए जरूरी है की कुसुम योजना में आवेदकों को बैंकों से मिलने वाले ऋण में हो रही परेशानी का समाधान हो. वहीं मंत्री ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्री से राजस्थान में लो वोल्टेज लाइनों को भूमिगत करने की मांग और इसमें सहयोग का आग्रह भी किया.
छत्तीसगढ़ भी जा सकते हैं ऊर्जा मंत्री और एसीएस : छत्तीसगढ़ में कोल माइंस से जुड़े मामले के समाधान के लिए ऊर्जा मंत्री भंवर सिंह भाटी और अतिरिक्त मुख्य सचिव ऊर्जा डॉ सुबोध अग्रवाल जल्द ही छत्तीसगढ़ भी जा सकते हैं. छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस की ही सरकार है और राजस्थान में भी कांग्रेस की ऐसे में मंत्री स्तर पर वार्ता कर आपसी सहमति से समस्या का समाधान किया जा सकता है.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने साल 2015 में राजस्थान को 3 कोल ब्लॉक आवंटित किए थे. इसमें परसा ईस्ट कैंट बेसन, परसा और कैंट एक्सटेंशन का आवंटन हुआ. इनमें से परसा ईस्ट कैंट बेसन ब्लॉक में ही कोयले का खनन कार्य शुरू हुआ. जिससे 15 मिलियन टन कोयला हर साल निकल रहा है. पिछले लंबे समय से बकाया दो कॉल ब्लॉक को छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से अनुमति नहीं मिली.