जयपुर. राजधानी जयपुर को जल्द भूमिगत मेट्रो की सौगात मिलेगी. लेकिन इससे पहले मेट्रो को रेलवे सेफ्टी कमिश्नर की परीक्षा में पास होना होगा. इसके लिए मेट्रो प्रशासन मामूली चूक भी नहीं रहने देना चाहता. यही वजह है कि शुक्रवार देर रात मेट्रो सीएमडी खुद मेट्रो ट्रायल का जायजा लेने छोटी चौपड़ मेट्रो स्टेशन पहुंचे और यहां छूटी कमियों को अपने मोबाइल में कैप्चर कर इन्हें दूर करने के निर्देश दिए.
जयपुर मेट्रो फेज वन ए पार्ट बनने के करीब 8 महीने बाद उसे सेफ्टी सर्टिफिकेट मिल पाया था. जयपुर मेट्रो 4 अटेम्प्ट में रेलवे सेफ्टी कमिश्नर की परीक्षा में पास हो पाया था. लेकिन इस बार जयपुर मेट्रो रेल कॉरपोरेशन कोई कमी नहीं छोड़ना चाहता है और पहले अटेम्प्ट में ही सेफ्टी सर्टिफिकेट लेकर जयपुर वासियों को भूमिगत मेट्रो की सौगात देने में जुटा हुआ है.
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शुक्रवार देर रात मेट्रो सीएमडी डॉ. समित शर्मा और मेट्रो प्रशासन के अन्य अधिकारी छोटी चौपड़ मेट्रो स्टेशन पहुंचे. इस दौरान वे एंट्री प्वाइंट पर सीढ़ियों की माइनर प्रॉब्लम से लेकर मेट्रो ट्रेन के ट्रायल रन तक एक-एक व्यवस्था को बारीकी से देखा. साथ ही मोबाइल में कैप्चर कर कमियों को दूर करने के निर्देश दिए.
इस दौरान ईटीवी भारत से खास बातचीत में सीएमडी ने बताया कि जयपुर मेट्रो का छोटी चौपड़ और बड़ी चौपड़ मेट्रो स्टेशन बनकर तैयार है और अभी सीएमआरएस का इंस्पेक्शन होने वाला है. ऐसे में ट्रायल रन का काम चल रहा है. यहां बने स्टेशन स्टेट ऑफ द आर्ट है. उन्होंने बताया कि फिलहाल सभी तरह की टेस्टिंग की जा रही है, जिसमें पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम, ट्रेन रन, फायर सेफ्टी को लेकर मॉक ड्रिल, ट्रेन इंफॉर्मेशन मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर, सिंग्नल एंड टेलीकॉम, रोलिंग स्टॉक टेस्टिंग की जा रही है.
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सीएमडी डॉ समित शर्मा ने बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से रेलवे ने डीप एक्सरसाइज प्रिस्क्राइब कर रखी है. उसकी टेस्टिंग और ऑथराइजेशन के बिना इसका कमर्शियल ऑपरेशन शुरू नहीं किया जा सकता है. जेएमआरसी के लिए ये चुनौती का समय है और ऐसे में टीम दिन-रात जुटी हुई है. उन्होंने बताया कि ट्रायल के दौरान 20 सेंटीमीटर का ट्रैक अलाइनमेंट प्रॉब्लम था, जिसे रेलवे बोर्ड को भेजा गया था, जहां से उसे लखनऊ आरडीएसओ भिजवाया गया और आखिर में जेएमआरसी को अनुमति प्राप्त हो गई.
सीएमडी ने बताया कि सितंबर 2013 में ये काम शुरू हुआ था. 7 साल का लंबा समय बीत जाने के बाद 1100 करोड़ रुपए खर्च हुए, जिसके बाद अब जयपुर मेट्रो के पास विश्व स्तरीय प्लेटफार्म वाली मेट्रो स्टेशन है. उन्होंने बताया कि अब इंतजार सिर्फ सीएमआरएस के इंस्पेक्शन और उनके ऑथराइजेशन का है.