जयपुर. राजस्थान की गहलोत सरकार में पिछले एक सप्ताह में सियासी उथल-पुथल जारी है. इस उथल-पुथल का (CM Gehlot controversial Statement) कारण गहलोत सरकार में मंत्री अशोक चांदना और यूथ कांग्रेस अध्यक्ष व डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा की ओर से इस्तीफे की पेशकश करना है. लेकिन इस मामले में सीएम अशोक गहलोत बयान देने से बचे नहीं बल्कि खुलकर अपनी बात रखी. सीएम अशोक गहलोत की ओर से दोनों मामलों में दिए बयान पर हर कोई चकित है. कारण यह है कि सामने राज्यसभा चुनाव है, वोट का दबाव होने के बाद भी सीएम ने खुलकर दोनों मामलों में बयान दिया है.
चांदना को गहलोत ने व्यंग्य के रूप में दिया जवाबः मंत्री अशोक चांदना ने नाराजगी जताते हुए अपने मंत्री पद को "जलालत" भरा बताते हुए इससे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मुक्ति भी मांगी. साथ ही मुख्यमंत्री के प्रिंसिपल सेक्रेट्री कुलदीप रांका को उनके विभाग की जिम्मेदारी देने को कहा. वहीं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी मंत्री अशोक चांदना को लेकर व्यंगात्मक लहजे में यह कह दिया की राजस्थान में जो खेलों को लेकर बड़ा आयोजन हो रहा है, उससे मंत्री अशोक चांदना दबाव में आ गए होंगे.
दबाव में आकर ही उन्होंने ऐसी बात कह दी होगी. उनकी बात को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए. इतना ही नहीं नाराज अशोक चांदना जब अपनी बात रखने मुख्यमंत्री आवास पर पहुंचे तो उन्हें 3 घंटे मुख्यमंत्री से मुलाकात करने के लिए इंतजार करना पड़ा. इसके बाद दोबारा चांदना सीएमआर पहुंचकर सीएम गहलोत से मुलाकात की. इस मुलाकात के बाद चांदना ने ट्वीट करते हुए गहलोत को कांग्रेस का अभिभावक गया.
घोघरा को गहलोत ने ऐसे दिया जवाबः यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष और डूंगरपुर से कांग्रेस विधायक गणेश घोघरा ने जब अपना इस्तीफा दिया तो उन्होंने इस बात से नाराजगी जताई की ग्रामीणों के प्रदर्शन में वह केवल शामिल हुए थे. उसके बावजूद भी एफआईआर में उनका नाम लिखवा दिया गया. इसी नाराजगी में उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपना इस्तीफा भी भेज दिया. लेकिन इस मामले में भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपनी बात साफगोई से रखी.
गणेश घोघरा को लेकर कहा कि वह भावुक व्यक्ति है. स्वयं पर और समर्थकों पर एफ आई आर दर्ज होने के चलते उन्होंने इस्तीफा दिया होगा. हम उनकी समझाइश कर लेंगे. साथ ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गणेश घोघरा को यह भी मैसेज दे दिया की राजस्थान का मुख्यमंत्री गांधीवादी है, किसी कर्मचारी को बंद कर देना गांधीवादी नहीं हो सकता. राजस्थान में कानून का राज है और कानून सबके लिए बराबर है.
सरकार के 42 महीने में 4 इस्तीफे, 3 बर्खास्तगी, 2 बहालीः राजस्थान की गहलोत सरकार के करीब 42 महीने पूरे हो चुके हैं. इन 42 महीनों में गहलोत को 4 इस्तीफे मिले हैं. जिनमें मंत्री लालचंद कटारिया ,वर्तमान मंत्री और विधायक हेमाराम चौधरी का इस्तीफा शामिल रहा. साथ ही यूथ कांग्रेस अध्यक्ष और डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा और खेल मंत्री अशोक चांदना की ओर से इस्तीफे की पेशकश हाल में हुई है. हालांकि इन चारों इस्तीफे देने वाले नेताओं को मैनेज कर लिया गया है. लेकिन यह चार इस्तीफे ही नहीं बल्कि गहलोत सरकार को अपने 42 महीने के शासनकाल में एक राजनीतिक उठापटक भी झेलनी पड़ी.
जिसमें उन्होंने तीन मंत्रियों सचिन पायलट, रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह को बर्खास्त भी किया. हालांकि 3 में से दो मंत्रियों रमेश मीणा और विश्वेंद्र सिंह को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने करीब डेढ़ साल बाद फिर से बहाली भी दे दी. राजनीतिक उठापटक के समय मुख्यमंत्री तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री रहे सचिन पायलट से इतने नाराज दिखाई दिए कि उन्होंने सचिन पायलट को नकारा और निकम्मा तक कह दिया था. हालांकि अब स्थितियां बदल चुकी हैं और सचिन पायलट कांग्रेस में फिर से स्थापित नेता बन चुके हैं.