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All India Legal Services Meet: ब्यूरोक्रेसी और ज्यूडिशरी का रिटायरमेंट के बाद की चिंता करना गंभीर विषय -सीएम गहलोत

जयपुर में आयोजित दो दिवसीय ऑल इंडिया लीगल सर्विसेज मीट (All India Legal Services Meet) का शनिवार को मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने उद्घाटन किया. इस दौरान सीएम गहलोत ने ब्यरोक्रेसी और ज्यूडिशरी (Cm Gehlot Speak on Bureaucracy and Judiciary) पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि ब्यूरोक्रेसी और ज्यूडिशरी का रिटायरमेंट के बाद की चिंता करना गंभीर विषय है.

Cm Gehlot in All India Legal Services Meet
ऑल इंडिया लीगल सर्विसेज मीट में सीएम गहलोत
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Published : Jul 16, 2022, 4:20 PM IST

Updated : Jul 16, 2022, 11:50 PM IST

जयपुर. जयपुर में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority) की ओर से शनिवार को दो दिवसीय ऑल इंडिया लीगल सर्विसेज मीट (All India Legal Services Meet) का आयोजन किया गया. इस दौरान आजादी के सौ साल बाद विधिक सेवाओं के स्वरूप पर मंथन हुआ. इसका उद्घाटन मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने किया. इस अवसर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देश में मौजूदा लोकतंत्र को लेकर केंद्र सरकार के साथ ही ब्यूरोक्रेसी और ज्यूडिशरी को भी सीधा निशाने (Cm Gehlot Speak on Bureaucracy and Judiciary) पर लिया है. मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि ब्यरोक्रेसी और ज्यूडिशरी का रिटायरमेंट के बाद की चिंता करना गंभीर बात है.

गहलोत ने कहा कि एक वक्त था जब सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने देश के लोकतंत्र को खतरा बताया. उसके बाद उनमें से एक जज सीजीआई बन गए और फिर मेंबर ऑफ पार्लियामेंट बन गए. इतना ही नहीं, जिन व्यवस्थाओं को लेकर उन्होंने सवाल उठाए थे उनके सीजेआई बनने के बाद भी उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ. उससे भी बड़ी बात यह कि वह सीजेआई से रिटायर होने के बाद मेंबर ऑफ पार्लिमेंट बन जाते हैं. ब्यरोक्रेसी और ज्यूडिशरी का इस प्रकार रिटायरमेंट के बाद की चिंता करना अत्यंत गंभीर विषय है. आज दो दिवसीय ऑल इंडिया लीगल सर्विसेज मीट (All India Legal Services Meet) में आजादी के सौ साल बाद विधिक सेवाओं के स्वरूप पर मंथन हुआ. इस दौरान मुख्यमंत्री गहलोत ने मौजूदा न्याय प्रणाली को लेकर चिंता जताई.

ऑल इंडिया लीगल सर्विसेज मीट में सीएम गहलोत

पढ़ें. CM Gehlot In Bikaner: सीएम गहलोत ने पीएम मोदी और आरएसएस पर साधा निशाना, कहा- देश में दम घुटने जैसे हालात

मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि मौजूदा वक्त में लोकतंत्र में जिस तरह से कार्य किए जा रहे हैं, वैसा अब तक कभी नहीं हुआ. उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने देश के लोकतंत्र को खतरा बताते हुए जो सवाल उठाए थे वह पहले सही थे या बाद में यह अब तक समझ नहीं आया है. गहलोत ने कहा कि देश के हालात खराब हो रहे हैं. लोकतांत्रिक तरीके से चुनी सरकार को हॉर्स ट्रेडिंग के जरिए तोड़ा जा रहा है. राजस्थान में भी जैसे तैसे सरकार बच गई, वरना यहां कोई दूसरा मुख्यमंत्री खड़ा रहता. कार्यक्रम में सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि आपराधिक मामलों में प्रक्रिया ही सजा के समान है। देश मे 6 लाख 11 हजार कैदी हैं. इनमें से अस्सी फीसदी विचाराधीन कैदी हैं. ऐसे प्रयास करने चाहिए कि इनके निस्तारण की प्रक्रिया तेज हो.

कोर्ट की टिप्पणी पर 116 लोगों को खड़ा कर दिया
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने मौजूदा व्यवस्थाओं को लेकर टिप्पणी की तो उनके खिलाफ 116 अलग-अलग प्रबुद्ध जनों से पत्र लिखवाया गया. उसमें रिटायर्ड जज, रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स, वरिष्ठ वकील सहित विभिन्न वर्ग के लोग शामिल थे. यह अपने आप में बड़ी बात है कि कोर्ट के जजों ने अपनी कोई भावना व्यक्त की तो उनके खिलाफ ही लोगों को खड़ा कर दिया जाए. किस तरह से इन सब को मैनेज किया गया यह भी सोचने वाली बात है. कोर्ट में जज भी अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं और उसको लेकर कई बार टिप्पणियां भी करते हैं लेकिन सरकारें इस तरह से उनपर दबाव बनाएं इससे बड़ा खतरा लोकतंत्र को कहां होगा.

महंगे वकील पीड़ित को न्याय से दूर करते हैं
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि जिस तरह से वकीलों की फीस रहती है, उसे दे पाना आम लोगों के बस का ही नहीं रहता. ऐसे में गरीब पीड़ित को न्याय मिल पाना संभव नहीं है. अच्छे वकील की फीस 1 करोड़, 80 लाख, 50 लाख तक होती है. यह धारणा बन गई है कि जितना महंगा वकील होगा उतना ही जज उससे इंप्रेस होगा. वकील का चेहरा देखकर जज फैसला करें यह भी बड़ी चिंता की बात है.

वो तो हमारी सरकार बच गई, नहीं तो मेरी जगह दूसरा होताः मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार गिराने को लेकर एक बार फिर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया. गहलोत ने कहा कि आज लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार को गिराने का प्रयास किया जा रहा है. राजस्थान में भी यह कोशिश हुई लेकिन हम अपनी सरकार बचाने में पता नहीं कैसे कामयाब हो गए? नहीं तो आज मेरी जगह कोई और खड़ा होता.

इसके साथ ही गहलोत ने केंद्रीय विधि मंत्री किरण रिजिजू से, कहा कि एक मेरी भावना आप पहुंचाइये पीएम नरेंद्र मोदी तक. 'मैं 3 महीने से लगातार बोल रहा हूं, पर आप तो गृह मंत्री भी रहे हैं, मुझे मालूम है, आपको गॉड गिफ्ट है कि जब आप बोलते हैं तो लोग सुनते हैं'. गहलोत ने कहा कि 'मैं कहना चाहूंगा आपको कि हम बार-बार कह रहे हैं कि आज देश में तनाव है, हिंसा का माहौल है, ये नहीं होना चाहिए, लोकतंत्र उसी पर टिका हुआ होता है, टॉलरेंस पावर होनी चाहिए . क्या प्रधानमंत्री को ये नहीं कहना चाहिए कि 'देश के अंदर भाईचारा, प्रेम, मोहब्बत, सद्भावना रहनी चाहिए और मैं किसी कीमत पर हिंसा को बर्दाश्त नहीं करूंगा'. सीएम ने कहा कि मैं समझता हूं कि आप उनको कन्विंस कर सकते हो, हमारे कहने से तो वो कर नहीं रहे हैं, आप जाकर हमारी भावना पहुंचाइये. उन्होंने कहा कि आज देश में बना माहौल चिंता पैदा कर रहा है, ये चिंता समाप्त होनी चाहिए.

ऐसे कदम उठाए जाएं कि दो सालों में दो करोड़ मुकदमे कम हो जाएं: रिजिजू
देश के कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि देश में 5 करोड़ से अधिक मुकदमे लंबित चल रहे हैं. ऐसे में वर्ष 2047 में क्या हालत होंगे. ऐसे ठोस कदम उठाए जाने चाहिए कि अगले दो सालों में दो करोड़ मुकदमे कम हो जाएं. केंद्रीय कानून मंत्री 18वीं ऑल इंडिया लीगल सर्विसेज अथॉरिटी मीट को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि आम जन को राहत देने के लिए न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच तालमेल की जरूरत है. वहीं हाईकोर्ट में हिंदी और स्थानीय भाषाओं में कामकाज को प्राथमिकता देनी चाहिए.

जयपुर. जयपुर में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (National Legal Services Authority) की ओर से शनिवार को दो दिवसीय ऑल इंडिया लीगल सर्विसेज मीट (All India Legal Services Meet) का आयोजन किया गया. इस दौरान आजादी के सौ साल बाद विधिक सेवाओं के स्वरूप पर मंथन हुआ. इसका उद्घाटन मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने किया. इस अवसर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने देश में मौजूदा लोकतंत्र को लेकर केंद्र सरकार के साथ ही ब्यूरोक्रेसी और ज्यूडिशरी को भी सीधा निशाने (Cm Gehlot Speak on Bureaucracy and Judiciary) पर लिया है. मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि ब्यरोक्रेसी और ज्यूडिशरी का रिटायरमेंट के बाद की चिंता करना गंभीर बात है.

गहलोत ने कहा कि एक वक्त था जब सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने देश के लोकतंत्र को खतरा बताया. उसके बाद उनमें से एक जज सीजीआई बन गए और फिर मेंबर ऑफ पार्लियामेंट बन गए. इतना ही नहीं, जिन व्यवस्थाओं को लेकर उन्होंने सवाल उठाए थे उनके सीजेआई बनने के बाद भी उसमें कोई बदलाव नहीं हुआ. उससे भी बड़ी बात यह कि वह सीजेआई से रिटायर होने के बाद मेंबर ऑफ पार्लिमेंट बन जाते हैं. ब्यरोक्रेसी और ज्यूडिशरी का इस प्रकार रिटायरमेंट के बाद की चिंता करना अत्यंत गंभीर विषय है. आज दो दिवसीय ऑल इंडिया लीगल सर्विसेज मीट (All India Legal Services Meet) में आजादी के सौ साल बाद विधिक सेवाओं के स्वरूप पर मंथन हुआ. इस दौरान मुख्यमंत्री गहलोत ने मौजूदा न्याय प्रणाली को लेकर चिंता जताई.

ऑल इंडिया लीगल सर्विसेज मीट में सीएम गहलोत

पढ़ें. CM Gehlot In Bikaner: सीएम गहलोत ने पीएम मोदी और आरएसएस पर साधा निशाना, कहा- देश में दम घुटने जैसे हालात

मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि मौजूदा वक्त में लोकतंत्र में जिस तरह से कार्य किए जा रहे हैं, वैसा अब तक कभी नहीं हुआ. उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने देश के लोकतंत्र को खतरा बताते हुए जो सवाल उठाए थे वह पहले सही थे या बाद में यह अब तक समझ नहीं आया है. गहलोत ने कहा कि देश के हालात खराब हो रहे हैं. लोकतांत्रिक तरीके से चुनी सरकार को हॉर्स ट्रेडिंग के जरिए तोड़ा जा रहा है. राजस्थान में भी जैसे तैसे सरकार बच गई, वरना यहां कोई दूसरा मुख्यमंत्री खड़ा रहता. कार्यक्रम में सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि आपराधिक मामलों में प्रक्रिया ही सजा के समान है। देश मे 6 लाख 11 हजार कैदी हैं. इनमें से अस्सी फीसदी विचाराधीन कैदी हैं. ऐसे प्रयास करने चाहिए कि इनके निस्तारण की प्रक्रिया तेज हो.

कोर्ट की टिप्पणी पर 116 लोगों को खड़ा कर दिया
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने मौजूदा व्यवस्थाओं को लेकर टिप्पणी की तो उनके खिलाफ 116 अलग-अलग प्रबुद्ध जनों से पत्र लिखवाया गया. उसमें रिटायर्ड जज, रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स, वरिष्ठ वकील सहित विभिन्न वर्ग के लोग शामिल थे. यह अपने आप में बड़ी बात है कि कोर्ट के जजों ने अपनी कोई भावना व्यक्त की तो उनके खिलाफ ही लोगों को खड़ा कर दिया जाए. किस तरह से इन सब को मैनेज किया गया यह भी सोचने वाली बात है. कोर्ट में जज भी अपनी भावनाओं को व्यक्त करते हैं और उसको लेकर कई बार टिप्पणियां भी करते हैं लेकिन सरकारें इस तरह से उनपर दबाव बनाएं इससे बड़ा खतरा लोकतंत्र को कहां होगा.

महंगे वकील पीड़ित को न्याय से दूर करते हैं
मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि जिस तरह से वकीलों की फीस रहती है, उसे दे पाना आम लोगों के बस का ही नहीं रहता. ऐसे में गरीब पीड़ित को न्याय मिल पाना संभव नहीं है. अच्छे वकील की फीस 1 करोड़, 80 लाख, 50 लाख तक होती है. यह धारणा बन गई है कि जितना महंगा वकील होगा उतना ही जज उससे इंप्रेस होगा. वकील का चेहरा देखकर जज फैसला करें यह भी बड़ी चिंता की बात है.

वो तो हमारी सरकार बच गई, नहीं तो मेरी जगह दूसरा होताः मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार गिराने को लेकर एक बार फिर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया. गहलोत ने कहा कि आज लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार को गिराने का प्रयास किया जा रहा है. राजस्थान में भी यह कोशिश हुई लेकिन हम अपनी सरकार बचाने में पता नहीं कैसे कामयाब हो गए? नहीं तो आज मेरी जगह कोई और खड़ा होता.

इसके साथ ही गहलोत ने केंद्रीय विधि मंत्री किरण रिजिजू से, कहा कि एक मेरी भावना आप पहुंचाइये पीएम नरेंद्र मोदी तक. 'मैं 3 महीने से लगातार बोल रहा हूं, पर आप तो गृह मंत्री भी रहे हैं, मुझे मालूम है, आपको गॉड गिफ्ट है कि जब आप बोलते हैं तो लोग सुनते हैं'. गहलोत ने कहा कि 'मैं कहना चाहूंगा आपको कि हम बार-बार कह रहे हैं कि आज देश में तनाव है, हिंसा का माहौल है, ये नहीं होना चाहिए, लोकतंत्र उसी पर टिका हुआ होता है, टॉलरेंस पावर होनी चाहिए . क्या प्रधानमंत्री को ये नहीं कहना चाहिए कि 'देश के अंदर भाईचारा, प्रेम, मोहब्बत, सद्भावना रहनी चाहिए और मैं किसी कीमत पर हिंसा को बर्दाश्त नहीं करूंगा'. सीएम ने कहा कि मैं समझता हूं कि आप उनको कन्विंस कर सकते हो, हमारे कहने से तो वो कर नहीं रहे हैं, आप जाकर हमारी भावना पहुंचाइये. उन्होंने कहा कि आज देश में बना माहौल चिंता पैदा कर रहा है, ये चिंता समाप्त होनी चाहिए.

ऐसे कदम उठाए जाएं कि दो सालों में दो करोड़ मुकदमे कम हो जाएं: रिजिजू
देश के कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि देश में 5 करोड़ से अधिक मुकदमे लंबित चल रहे हैं. ऐसे में वर्ष 2047 में क्या हालत होंगे. ऐसे ठोस कदम उठाए जाने चाहिए कि अगले दो सालों में दो करोड़ मुकदमे कम हो जाएं. केंद्रीय कानून मंत्री 18वीं ऑल इंडिया लीगल सर्विसेज अथॉरिटी मीट को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि आम जन को राहत देने के लिए न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच तालमेल की जरूरत है. वहीं हाईकोर्ट में हिंदी और स्थानीय भाषाओं में कामकाज को प्राथमिकता देनी चाहिए.

Last Updated : Jul 16, 2022, 11:50 PM IST
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