जयपुर. कोरोना महामारी के बीच अब विधायक अपने विधायक कोष से सोशल वेलफेयर और गरीबों को भोजन व्यवस्था सहित अन्य आवश्यक काम के लिए सौ फीसदी राशि तक खर्च कर सकेंगे. सरकार ने इसके लिए विधायकों को छूट दी है. विधायक मेडिकल उपकरणों के लिए भी विधायक कोष से अब एक लाख की जगह 5 लाख रूपए तक की अनुशंसा कर सकेंगे. इसके साथ ही जरूरत पडे़ तो अर्जेंट और टेंपरेरी बेसिस पर डॉक्टर और नर्स की सेवाएं भी ली जाएगी.
सीएम अशोक गहलोत ने शुक्रवार देर रात मुख्यमंत्री निवास पर कोर ग्रुप, वार रूम अधिकारियों, जिला कलेक्टरों, पुलिस अधीक्षकों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की. इस दौरान उन्होंने कहा कि कुछ भामाशाहों ने इस भावना के साथ कोविड-19 राहत कोष में अंशदान किया है कि उनकी सहयोग राशि का उपयोग उनके जिले में हो.
सरकार उनकी इस भावना का सम्मान करते हुए यह राशि संबंधित जिला कलेक्टर को आवंटित कर देगी. बैठक में सचिव आपदा प्रबंधन ने बताया कि आपातकालीन स्थिति में जिला कलेक्टरों को राशन सामग्री पहुंचाने, खरीद और आवश्यक सेवाएं उपलब्ध करवाने के संबंध में विशिष्ट शक्तियां दी गई हैं. वे कोरोना महामारी को रोकने और जरूरतमंद व्यक्तियों को राहत पहुंचाने में इनका उपयोग कर सकते हैं.
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अंतरराज्यीय सीमाएं सील, आवाजाही पर रोक
मुख्यमंत्री ने बताया कि राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन और भारत सरकार के एनडीएमए एक्ट के तहत कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए यह निर्देश पूर्व में जारी किए गए हैं कि जो जहां हैं, वहीं रहे. इस कारण देश के सभी राज्यों की अंतरराज्यीय सीमाएं सील कर दी गई हैं.
ऐसे में अपील की जाती है कि जिस प्रकार राजस्थान सरकार प्रदेश में रह रहे अन्य राज्यों के श्रमिकों का ध्यान रख रही है, उसी प्रकार अन्य राज्य सरकारें वहां रह रहे प्रवासी राजस्थानियों का ख्याल रखें. इसी तरह राजस्थान में रह रहे अन्य राज्यों के श्रमिक, कामगार और अन्य लोग भी राजस्थान से बाहर नहीं जा सकेंगे. उन्हें भोजन और राशन सामग्री सहित अन्य व्यवस्थाएं सरकारी स्तर पर की जाएगी.
डॉक्टर-नर्सेज को एचसीक्यू दवा का कोर्स
मुख्यमंत्री ने कहा कि संक्रमित मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर और नर्सेज हाई रिस्क जोन में सेवाएं दे रहे हैं. सरकार उनकी सुरक्षा को लेकर गंभीर है. मरीजों के सीधे संपर्क में आने वाले इन चिकित्सकों और नर्सेज को संक्रमण से बचाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन के अनुसार एचसीक्यू दवा का कोर्स दिया जाए.
एक लाख तक की आबादी वाले नगरों में कोरोना संक्रमण की जांच के लिए सैंपल कलेक्शन की सुविधा उपलब्ध करवाई जाए. जरूरत होने पर जिला कलेक्टर सेवानिवृत्त चिकित्सकों और नर्सिंगकर्मियों की सेवाएं भी ले सकते हैं.
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लॉक डाउन को कर्फ्यू की तरह ही लें
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में फिलहाल कोरोना संक्रमित रोगियों की संख्या नियंत्रण में है. लेकिन कभी भी यह बीमारी भयावह रूप ले सकती है. ऐसे में प्रदेशभर में लॉकडाउन की सख्ती से पालना कराई जाए. लॉकडाउन को कर्फ्यू की तरह ही लिया जाए. लोगों को घरों में रखने के लिए सख्ती करनी पडे़ तो करें. पुलिस के आला अधिकारी भी सड़कों पर निकलें और आवश्यकता हो तो आर्मी की ड्रिल भी करवाएं.
सर्वे करवा पहुंचाएं खाद्य सामग्री
मुख्यमंत्री ने जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए कि वे असहाय और निराश्रित लोगों का सर्वे करवाकर लोगों को तैयार खाना पहुंचाने. जरूरतमंद लोगों तक राशन सामग्री के पैकेट होम डिलीवरी के जरिए उपलब्ध करवाएं. जिला कलेक्टर होटल व्यवसायियों से भी इस कार्य में सहयोग लें. होटल्स में भोजन बनाने के लिए कुक सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध होती हैं, ऐसे में वे संकट की इस घड़ी में मददगार हो सकते हैं.
सीधे गोदाम से खरीद सकेंगे गेहूं
आटा मिल मालिक एफसीआई के गोदामों से सीधे गेहूं की खरीद कर सकते हैं. इसका आटा तैयार कर यह उचित दर पर उपभोक्ताओं को मिले, कालाबाजारी नहीं हो. फैक्ट्री मालिक अपने श्रमिकों को लॉकडाउन की अवधि में सवैतनिक अवकाश दें ताकि उन्हें आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पडे़.
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खाली पदों पर लगाएंगे अफसर
मुख्यमंत्री ने जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए कि यदि उनके जिलों में प्रशासनिक अधिकारियों के पद खाली होने कारण कोरोना महामारी से संबंधित कार्यों में बाधा आ रही है, तो वे तुंरत प्रभाव से सूचना कार्मिक विभाग को उपलब्ध करवाएं. सरकार तत्काल प्रभाव से अधिकारी लगाएगी.
स्टाफ की सूचियां करवाएं तैयार
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने कहा कि जिला कलेक्टर अपने-अपने जिलों में निजी अस्पतालों में कार्यरत चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ की सूचियां तैयार करवाएं. जिससे जरूरत होने पर उनकी सेवाएं ली जा सकें. आयुष चिकित्सकों और नर्सिंग स्टाफ को भी इस कार्य के लिए प्रशिक्षित किया जाए.
सोशल डिस्टेंसिंग, हेल्थ प्रोटोकॉल का रखें ध्यान
मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने निर्देश दिए कि जरूरतमंद लोगों को भोजन और खाद्य सामग्री के वितरण के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग और हेल्थ प्रोटोकॉल का पूरा ध्यान रखा जाए. भोजन वितरण के दौरान भीड़ एकत्रित नहीं हो. अगर किसानों के बिजली बिल जमा नहीं हुए हैं, तो लॉकडाउन की स्थिति को देखते हुए उनका कनेक्शन नहीं काटा जाए.