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सीएम गहलोत ने की महिलाओं, SC/ST के विरूद्ध अत्याचार के प्रकरणों की समीक्षा - Jaipur News

सीएम अशोक गहलोत शनिवार को मुख्यमंत्री निवास पर जघन्य अपराध, महिलाओं एवं एससी-एसटी के खिलाफ अपराध और संगठित अपराधों पर नियंत्रण से जुड़े मुद्दों पर वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा की. मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस पर आम जनता की सुरक्षा की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है. हाल ही में कुछ घटनाएं सामने आई हैं, उनमें पुलिस अधिकारियों के खिलाफ ही महिला अत्याचार के गंभीर प्रकरण दर्ज हुए है. उन्होंने ऐसे प्रकरणों में शामिल पाए जाने पर सम्बन्धित पुलिस अधिकारी और पुलिस कार्मिक के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए.

सीएम गहलोत ने ली मीटिंग, Rajasthan Politics
सीएम गहलोत ने ली मीटिंग
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Published : Mar 20, 2021, 9:05 PM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, पोक्सो एक्ट और एससी-एसटी एवं कमजोर वर्ग के विरूद्ध अत्याचार के मामलों में जांच त्वरित गति से पूरी हो और पुलिस अधीक्षक कार्यालय से लेकर सर्किल स्तर, थाने और पुलिस चौकी तक इन मामलों में संवेदनशीलता के साथ अनुसंधान कर परिवादी को समय पर न्याय दिलाया जाए.

सीएम अशोक गहलोत शनिवार को मुख्यमंत्री निवास पर जघन्य अपराध, महिलाओं एवं एससी-एसटी के खिलाफ अपराध और संगठित अपराधों पर नियंत्रण से जुड़े मुद्दों पर वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा की. मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस पर आम जनता की सुरक्षा की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है. हाल ही में कुछ घटनाएं सामने आई हैं, उनमें पुलिस अधिकारियों के खिलाफ ही महिला अत्याचार के गंभीर प्रकरण दर्ज हुए है. उन्होंने ऐसे प्रकरणों में शामिल पाए जाने पर सम्बन्धित पुलिस अधिकारी और पुलिस कार्मिक के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए.

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गहलोत ने कहा कि पुलिस अधिकारी बिना किसी दबाव के भयमुक्त होकर कार्य करें, ताकि पीड़ित को त्वरित न्याय मिल सके. उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारी अनुसंधान के दौरान तथ्यों के आधार पर मामले की तह तक जाएं और जांच के दौरान किसी तरह के पूर्वाग्रह के साथ कार्य नहीं करें. उन्होंने कहा कि कुछ प्रमुख घटनाओं में कम से कम समय में जांच पूरी कर कोर्ट में चालान पेश कर अपराधियों को सजा दिलाई गई, ऐसे प्रकरणों में पुलिस टीम की हौसला अफजाई की जाए. उन्होंने थानों में सीसीटीवी लगाने की प्रक्रिया भी शीघ्र पूरी करने को कहा.

मुख्यमंत्री ने महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के लम्बित प्रकरणों में जांच कम से कम समय में पूरी करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि महिलाओं के विरूद्ध अपराध एवं एससी-एसटी एवं कमजोर वर्ग के खिलाफ अत्याचार के प्रकरणों में मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक एवं प्रमुख शासन सचिव (गृह) के स्तर पर समयबद्ध रूप से माॅनिटरिंग की जाए. गहलोत ने निचले स्तर से आए फीडबैक को भी पूरी गंभीरता से लेने और जिलों से आने वाले फीडबैक पर चर्चा कर सिस्टम में सुधार के प्रयास करने के निर्देश दिए. साथ ही लम्बे समय तक एक ही जगह जमे रहकर अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने के निर्देश दिए.

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गहलोत ने कहा कि पुलिस थानों में निर्बाध पंजीकरण के राज्य सरकार के फैसले से महिलाओं के विरूद्ध अपराधों के पंजीकरण में वृद्धि हुई है एवं मुकदमों के निस्तारण की गति भी बढ़ी है. इस फैसले की सर्वत्र सराहना हुई है एवं अपनी पीड़ा लेकर थाने जाने वाले परिवादियों में इससे एक सकारात्मक संदेश पहुंचा है. उन्होंने पुलिस में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की दिशा में कदम उठाने, महिलाओं के विरूद्ध अपराधों को रोकने केे लिए सामाजिक जनजागृति, ऑनर किलिंग और डायन प्रथा जैसी कुरीतियों को समाप्त करने के लिए स्वयंसेवी संगठनों के सहयोग से प्रयास करने के निर्देश दिए. उन्होंने पुलिस अभिरक्षा में मृत्यु, बच्चों की गुमशुदगी एवं अपहरण के मामलों में भी गंभीरता बरतने के निर्देश दिए.

इसके साथ ही बैठक में गहलोत ने निर्बाध पंजीकरण में अभी तक की प्रगति और जघन्य अपराध माॅनिटरिंग यूनिट की प्रगति के बारे में जानकारी ली. साथ ही मादक पदार्थों की तस्करी रोकने, माफिया और संगठित अपराधों के खिलाफ कार्रवाई तेज करने जैसे विषयों पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए. उन्होंने पुलिस को अनुसंधान में सहायता के लिए लोक अभियोजकों की मदद उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए. बैठक की शुरूआत में पुलिस महानिदेशक एम. एल. लाठर ने बजट में पुलिस विभाग के लिए किए गए प्रावधानों विशेषकर 3 हजार 500 सहायक उप निरीक्षक के पदों की स्वीकृति के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि इससे अनुसंधान के कार्याें में तेजी आएगी. प्रमुख शासन सचिव गृह अभय कुमार सिंह ने एफएसएल को और अधिक मजबूत करने तथा ई-प्रोसेक्यूशन के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में सुझाव दिए.

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एडीजी (सिविल राइट्स) नीना सिंह ने अपने प्रस्तुतिकरण में बताया कि गृह मामलात की संसदीय स्थाई समिति ने अपनी रिपोर्ट में राजस्थान में पुलिस थानों में निर्बाध पंजीकरण तथा पंजीकरण में सुगमता का परीक्षण करने के लिए किए जा रहे डिकाॅय ऑपरेशन, एसपी ऑफिस के माध्यम से एफआईआर दर्ज कराने और थानों में स्वागत कक्ष के निर्माण जैसे फैसलों की सराहना की है और अन्य राज्यों को भी ऐसे कदम उठाने के सुझाव दिए हैं. उन्होंने बताया कि बलात्कार के प्रकरणों में औसत अनुसंधान समय वर्ष 2017-18 के 269 दिन के मुकाबले वर्ष 2019-20 में घटकर 122 दिन हो गया है. बैठक में बताया गया कि एसपी ऑफिस के माध्यम से अभी तक 202 प्रकरण दर्ज हुए हैं. एडीजी (अपराध) आरपी मेहरड़ा ने प्रदेश में अपराध नियंत्रण के लिए किए जा रहे प्रयासों एवं एडीजी (एसओजी) अशोक कुमार राठौड़ ने माफिया एवं संगठित अपराधों के खिलाफ उठाए गए कदमों के बारे में प्रस्तुतिकरण दिया. बैठक में मुख्य सचिव निरंजन आर्य, प्रमुख शासन सचिव वित्त अखिल अरोरा, एडीजी (मुख्यालय) भूपेन्द्र दक, एडीजी (इंटेलीजेंस) उमेश मिश्रा, सूचना एवं जनसम्पर्क आयुक्त महेन्द्र सोनी सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे.

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अत्याचार, पोक्सो एक्ट और एससी-एसटी एवं कमजोर वर्ग के विरूद्ध अत्याचार के मामलों में जांच त्वरित गति से पूरी हो और पुलिस अधीक्षक कार्यालय से लेकर सर्किल स्तर, थाने और पुलिस चौकी तक इन मामलों में संवेदनशीलता के साथ अनुसंधान कर परिवादी को समय पर न्याय दिलाया जाए.

सीएम अशोक गहलोत शनिवार को मुख्यमंत्री निवास पर जघन्य अपराध, महिलाओं एवं एससी-एसटी के खिलाफ अपराध और संगठित अपराधों पर नियंत्रण से जुड़े मुद्दों पर वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के माध्यम से समीक्षा की. मुख्यमंत्री ने कहा कि पुलिस पर आम जनता की सुरक्षा की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है. हाल ही में कुछ घटनाएं सामने आई हैं, उनमें पुलिस अधिकारियों के खिलाफ ही महिला अत्याचार के गंभीर प्रकरण दर्ज हुए है. उन्होंने ऐसे प्रकरणों में शामिल पाए जाने पर सम्बन्धित पुलिस अधिकारी और पुलिस कार्मिक के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए.

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गहलोत ने कहा कि पुलिस अधिकारी बिना किसी दबाव के भयमुक्त होकर कार्य करें, ताकि पीड़ित को त्वरित न्याय मिल सके. उन्होंने कहा कि पुलिस अधिकारी अनुसंधान के दौरान तथ्यों के आधार पर मामले की तह तक जाएं और जांच के दौरान किसी तरह के पूर्वाग्रह के साथ कार्य नहीं करें. उन्होंने कहा कि कुछ प्रमुख घटनाओं में कम से कम समय में जांच पूरी कर कोर्ट में चालान पेश कर अपराधियों को सजा दिलाई गई, ऐसे प्रकरणों में पुलिस टीम की हौसला अफजाई की जाए. उन्होंने थानों में सीसीटीवी लगाने की प्रक्रिया भी शीघ्र पूरी करने को कहा.

मुख्यमंत्री ने महिलाओं के खिलाफ अत्याचार के लम्बित प्रकरणों में जांच कम से कम समय में पूरी करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि महिलाओं के विरूद्ध अपराध एवं एससी-एसटी एवं कमजोर वर्ग के खिलाफ अत्याचार के प्रकरणों में मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक एवं प्रमुख शासन सचिव (गृह) के स्तर पर समयबद्ध रूप से माॅनिटरिंग की जाए. गहलोत ने निचले स्तर से आए फीडबैक को भी पूरी गंभीरता से लेने और जिलों से आने वाले फीडबैक पर चर्चा कर सिस्टम में सुधार के प्रयास करने के निर्देश दिए. साथ ही लम्बे समय तक एक ही जगह जमे रहकर अपने प्रभाव का गलत इस्तेमाल करने वाले पुलिसकर्मियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने के निर्देश दिए.

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गहलोत ने कहा कि पुलिस थानों में निर्बाध पंजीकरण के राज्य सरकार के फैसले से महिलाओं के विरूद्ध अपराधों के पंजीकरण में वृद्धि हुई है एवं मुकदमों के निस्तारण की गति भी बढ़ी है. इस फैसले की सर्वत्र सराहना हुई है एवं अपनी पीड़ा लेकर थाने जाने वाले परिवादियों में इससे एक सकारात्मक संदेश पहुंचा है. उन्होंने पुलिस में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाने की दिशा में कदम उठाने, महिलाओं के विरूद्ध अपराधों को रोकने केे लिए सामाजिक जनजागृति, ऑनर किलिंग और डायन प्रथा जैसी कुरीतियों को समाप्त करने के लिए स्वयंसेवी संगठनों के सहयोग से प्रयास करने के निर्देश दिए. उन्होंने पुलिस अभिरक्षा में मृत्यु, बच्चों की गुमशुदगी एवं अपहरण के मामलों में भी गंभीरता बरतने के निर्देश दिए.

इसके साथ ही बैठक में गहलोत ने निर्बाध पंजीकरण में अभी तक की प्रगति और जघन्य अपराध माॅनिटरिंग यूनिट की प्रगति के बारे में जानकारी ली. साथ ही मादक पदार्थों की तस्करी रोकने, माफिया और संगठित अपराधों के खिलाफ कार्रवाई तेज करने जैसे विषयों पर वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए. उन्होंने पुलिस को अनुसंधान में सहायता के लिए लोक अभियोजकों की मदद उपलब्ध कराने के सम्बन्ध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए. बैठक की शुरूआत में पुलिस महानिदेशक एम. एल. लाठर ने बजट में पुलिस विभाग के लिए किए गए प्रावधानों विशेषकर 3 हजार 500 सहायक उप निरीक्षक के पदों की स्वीकृति के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि इससे अनुसंधान के कार्याें में तेजी आएगी. प्रमुख शासन सचिव गृह अभय कुमार सिंह ने एफएसएल को और अधिक मजबूत करने तथा ई-प्रोसेक्यूशन के क्रियान्वयन के सम्बन्ध में सुझाव दिए.

यह भी पढ़ेंः स्पेशलः कभी बाघ विहीन हो गया था सरिस्का...अब 23 बाघों की दहाड़ पर्यटकों को कर रही रोमांचित

एडीजी (सिविल राइट्स) नीना सिंह ने अपने प्रस्तुतिकरण में बताया कि गृह मामलात की संसदीय स्थाई समिति ने अपनी रिपोर्ट में राजस्थान में पुलिस थानों में निर्बाध पंजीकरण तथा पंजीकरण में सुगमता का परीक्षण करने के लिए किए जा रहे डिकाॅय ऑपरेशन, एसपी ऑफिस के माध्यम से एफआईआर दर्ज कराने और थानों में स्वागत कक्ष के निर्माण जैसे फैसलों की सराहना की है और अन्य राज्यों को भी ऐसे कदम उठाने के सुझाव दिए हैं. उन्होंने बताया कि बलात्कार के प्रकरणों में औसत अनुसंधान समय वर्ष 2017-18 के 269 दिन के मुकाबले वर्ष 2019-20 में घटकर 122 दिन हो गया है. बैठक में बताया गया कि एसपी ऑफिस के माध्यम से अभी तक 202 प्रकरण दर्ज हुए हैं. एडीजी (अपराध) आरपी मेहरड़ा ने प्रदेश में अपराध नियंत्रण के लिए किए जा रहे प्रयासों एवं एडीजी (एसओजी) अशोक कुमार राठौड़ ने माफिया एवं संगठित अपराधों के खिलाफ उठाए गए कदमों के बारे में प्रस्तुतिकरण दिया. बैठक में मुख्य सचिव निरंजन आर्य, प्रमुख शासन सचिव वित्त अखिल अरोरा, एडीजी (मुख्यालय) भूपेन्द्र दक, एडीजी (इंटेलीजेंस) उमेश मिश्रा, सूचना एवं जनसम्पर्क आयुक्त महेन्द्र सोनी सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे.

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