जयपुर. चर्चित पहलू खान मॉब लिंचिंग केस में निचली अदाल के फैसले के बाद राजस्थान की गहलोत सरकार ने बैठक बुलाई. निचली अदालत का फैसला आने के साथ ही सरकार ने इस फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती देने का निर्णय ले लिया है . लेकिन इस बार मामले में इस तरह की कोई चूक नहीं रहे इसको लेकर खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मामले की परीक्षण में जुट गए हैं. यहीं वजह है कि शुक्रवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सीएमओ में गृह विभाग के अतिरिक्त सचिव राजीव स्वरूप, डीजीपी भूपेंद्र सिंह, एडीजी क्राइम के अधिकारियों के साथ में उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की.
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बैठक में सरकार द्वारा कोर्ट में दिए गए साक्ष्यों का भी परीक्षण किया गया इसके साथ ही सीएम गहलोत ने विधि विभाग के अधिकारियों को इस बात का परीक्षण करने के निर्देश दिए कि आखिर पूरे मामले में कहां पर सरकार के स्तर पर चूक रही. जिसकी वजह से आरोपियों को संदेह का लाभ मिलते हुए कोर्ट ने बरी किया.
दरअसल, पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के वक्त अप्रैल 2017 में अलवर में भीड़ में पहलू खान पर हमला कर दिया था. जिसमें घायल होने के बाद उसकी मौत हो गई थी. इस मामले पर कांग्रेस ने मोब लिंचिंग का आरोप लगाया था. कांग्रेस लगातार उस समय तत्कालीन सरकार पर दबाव बनाती रही थी कि भीड़ ने जानबूझकर पहलू खान पर हमला किया. जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई. जब पहलू खान गोपालन के लिए हरियाणा से गाय लेकर आया था. लेकिन तथाकथित गौरक्षकों ने पहलू खान पर हमला बोल दिया था.
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आपतो बता दें कि पहलू खान मामले को आधार बनाते हुए राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने के साथ ही हाल ही में विधानसभा में मॉब लिंचिंग को लेकर कानून लाया गया. दो या दो से अधिक भीड़ द्वारा किसी के ऊपर हमला करना मॉब लिंचिंग की श्रेणी में माना गया और उसने कठोर कानून की धाराओं को भी जोड़ा गया है.