जयपुर. कला एवं संस्कृति विभाग, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी और राजस्थान संस्कृत अकादमी की ओर से जोधपुर में आयोजित 5 दिवसीय राष्ट्रीय नाट्यशास्त्र कार्यशाला (National Natyashastra Workshop in Jodhpur) समापन समारोह को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संबोधित किया. उन्होंने कहा कि रंगमंच की विधाओं में नाट्यशास्त्र का महत्वपूर्ण स्थान है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि नाटक हमारे जीवन में बदलाव लाने और समाज की हकीकत से रूबरू कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी सत्यवादी राजा हरिशचंद्र और माता-पिता भक्त श्रवण कुमार के नाटक से काफी प्रभावित हुए और इससे उनके जीवन में बड़ा बदलाव आया. हमारे महान नेता और प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू ने देश में साहित्य और संस्कृति के संरक्षण के लिए अनेक प्रतिष्ठित संस्थानों और संस्कृति के संरक्षण के लिए अनेक प्रतिष्ठित संस्थानों और अकादमियों की स्थापना की, जिनके माध्यम से आज गीत, संगीत, नृत्य आदि ललित कलाओं का संरक्षण और संवर्द्धन होने के साथ ही कलाकारों को प्रोत्साहन मिल पा रहा है.
उन्होंने कहा कि कलाकारों एवं साहित्यकारों ने राजभाषा हिन्दी को लोकप्रिय बनाने में बड़ा योगदान दिया है. गहलोत ने कहा कि आचार्य भरत मुनि के नाट्यशास्त्र का हमारे संस्कृति में विशेष स्थान है. उन्होंने इसमें नाटकों के विभिन्न भेदों और सिद्धांतों की व्यापक व्याख्या की है. उन्होंने कहा कि राजनीति, धर्म, जीवन, समाज और दुनिया से जुड़े नाटक सही मायने में जन कल्याण का माध्यम है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के कलाकारों की जानकारी के लिए राजस्थान में आर्टिस्ट डायरेक्टरी (Artist Directory in Rajasthan ) भी तैयार की जा रही है. इसमें अब तक 1700 से अधिक कलाकारों के आवेदन प्राप्त हो चुके हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार रचनाधर्मियों के मान-सम्मान में किसी तरह की कमी नहीं रखेगी.
कला क्षेत्र के विशेषज्ञों से जो भी सुझाव मिलेंगे उन पर सकारात्मक सोच के साथ निर्णय लिया जाएगा . इस अवसर पर गहलोत ने राजस्थान संस्कृत अकादमी (Rajasthan Sanskrit Academy Program) की ओर से प्रकाशित दो पुस्तकों ‘भरत मुनि के नाट्य शास्त्र का हिंदी अनुवाद’ एवं ‘प्रेम तत्व’ का विमोचन भी किया.