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बजट स्पेशलः केजरीवाल के नक्शेकदम पर चलते हुए 'दिल्ली मॉडल' अपना सकते हैं सीएम गहलोत..!

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Published : Feb 18, 2020, 7:17 PM IST

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत गुरुवार को राज्य का बजट पेश करने जा रहे हैं. इस बजट से प्रदेश के सभी वर्गों को खासी आशाएं हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने तीसरे कार्यकाल के दूसरे बजट में 'दिल्ली मॉडल' को अपना सकते हैं. माना जा रहा है कि गहलोत सरकार का पूरा फोकस शिक्षा, स्वास्थ्य, इंफ्रास्ट्रक्चर और पब्लिक सर्विस पर रहेगा. पढ़ें विस्तृत खबर....

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क्या 'दिल्ली मॉडल' अपनाएंगे गहलोत?

जयपुर। 20 फरवरी को राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार अपना बजट पेश करने जा रही है. वित्त मंत्रालय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास ही है ऐसे में सीएम गहलोत ही विधानसभा में राजस्थान का बजट पेश करेंगे. जानकारों की माने तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने इस बजट में 'दिल्ली मॉडल' को अपना सकते हैं.

आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने शिक्षा, स्वास्थ्य, इंफ्रास्ट्रक्चर और पब्लिक सर्विस पर पूरा देते हुए तीसरी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल की थी. दिल्ली में केजरीवाल की सरकार बनने के पीछे पब्लिक सर्विस से जुड़ी हुई योजनाओं को सबसे महत्वपूर्ण फेक्टर माना जा रहा है. ऐसे में बजट एक्सपर्ट यह मानकर चल रहे हैं कि प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जो पब्लिक सर्विस पर पहले से ही ज्यादा भरोसा करते हैं वह इस बार अपने बजट में 'दिल्ली मॉडल' को अपना सकते हैं.

क्या 'दिल्ली मॉडल' अपनाएंगे गहलोत?

बजट एक्सपर्ट पंकज घीया बताते हैं कि इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बजट काफी अलग रहने की उम्मीद है. जिस तरह से उन्होंने सभी वर्गों से बजट पूर्व सुझाव लिया, उससे लगता है कि उनका फोकस पब्लिक सर्विस पर रहेगा.

पंकज घीया ने कहा कि जिस तरीके से दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने आम जनता को खुश करने के लिए पब्लिक सर्विस पर जोर दिया. इसके लिए उन्होंने कई क्रांतिकारी कदम उठाए. उसी का परिणाम है जिसकी वजह से उन्हें अभूतपूर्व बहुमत के साथ जीत मिली.

केजरीवाल की इन योजनाओं को अपना सकती है गहलोत सरकार....

प्रदेश की गहलोत सरकार दिल्ली सरकार की तर्ज पर 'मोहल्ला क्लिनिक' जैसी कोई योजना लेकर आ सकते हैं. दिल्ली की सरकार ने 'डोर टू डोर' सर्विस शुरू की थी, इसी योजना को राजस्थान में भी शुरू किया जा सकता है. इसके अलावा बिजली और पानी पर खासतौर से इस बजट में ध्यान दिया जा सकता है.

यह भी पढ़ेंः इराक में बंधक 29 भारतीय नागरिकों की वतन वापसी, एयरपोर्ट पर छलक पड़े आंसू

पंकज घीया ने कहा कि इस बजट में आम आदमी खासकर युवा वर्ग पर खास फोकस रहने की संभावना है. इसके अलावा प्रदेश के युवा उद्यमियों को लेकर भी कुछ खास घोषणा इस बजट में की जा सकती है. मुख्यमंत्री से कुछ दिन पहले युवा उद्यमियों और विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ चर्चा भी की थी.

सीएम अशोक गहलोत पहले ही कह चुके हैं कि राज्य सरकार का प्रयास है कि एक जनकल्याणकारी बजट तैयार किया जाए. इसके अलावा प्रदेश को आर्थिक रूप से मजबूत करने पर भी जोर दिया जाएगा.

वैसे जानकारों का कहना है कि GST के बाद प्रदेश सरकार के हाथ में ज्यादा कुछ नहीं है. ऐसे में गहलोत सरकार भी दिल्ली की तर्ज पर काम कर सकती है. केजरीवाल ने दावा किया था कि उन्होंने दिल्ली के व्यापारियों को कर देने के लिए प्रेरित किया. इसका फायदा ये हुआ कि सरकार ने अपनी आय 30000 करोड़ से बढ़ाकर 60000 करोड़ कर ली.

इसके अलावा गहलोत सरकार ने काफी समय से बंद पड़ी 'व्यापार सम्मान योजना' को फिर से शुरू किया है. इसके अलावा एमएनएसटी योजना यानी 'वन टाइम सेटेलमेंट योजना' के जरिए सरकार व्यापारियों के साथ कदम बढ़ा सकती है. इसमें जो पुराने मुकदमे हैं उन्हें एकमुश्त रकम लेकर सेटलमेंट करके खत्म किया जा सकता है. इससे न केवल सरकार की आय में वृद्धि होगी बल्कि व्यापारियों के बीच सरकार की छवि भी अच्छी होगी. व्यापारियों और सरकार के बीच समन्वय बनेगा जिससे प्रदेश के आर्थिक हालात सुधरेंगे. प्रदेश में रेवेन्यू बढ़ेगा तो सरकार अपनी जन कल्याणकारी योजनाओं को और बेहतर ढंग से आगे बढ़ा सकेगी.

पिछले बजट में क्या था खास....

पिछले साल 2019-20 के बजट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 11 नई योजनाओं की घोषणा की थी. कुल 2.32 लाख करोड़ के बजट में किसान और युवा और महिलाओं पर फोकस किया गया था. किसानों के लिए बजट में एक हजार करोड़ की कृषक कल्याण कोष की घोषणा की थी. वहीं महिलाओं के लिए 1000 करोड़ रुपए की 'प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी महिला शक्ति निधि' फंड बनाया था. युवाओं को 75000 नौकरी देने का वादा किया गया था.

इसके साथ निःशुल्क दवा योजना में 14 नई दवाइयों को शामिल किया गया था और मोहल्ला क्लिनिक की तर्ज पर जनता क्लिनिक खोलने की घोषणा की थी. इनमें से सभी योजनाओं को क्रियान्वित किया गया है. खास बात ये थी कि इन योजनाओं की समीक्षा के लिए मंत्रिमंडल सब कमेटी भी बनाई थी, जिसने प्रगति को लेकर समीक्षा कर अपनी रिपोर्ट सीएम गहलोत की दी थी.

जयपुर। 20 फरवरी को राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार अपना बजट पेश करने जा रही है. वित्त मंत्रालय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास ही है ऐसे में सीएम गहलोत ही विधानसभा में राजस्थान का बजट पेश करेंगे. जानकारों की माने तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने इस बजट में 'दिल्ली मॉडल' को अपना सकते हैं.

आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल ने शिक्षा, स्वास्थ्य, इंफ्रास्ट्रक्चर और पब्लिक सर्विस पर पूरा देते हुए तीसरी बार मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल की थी. दिल्ली में केजरीवाल की सरकार बनने के पीछे पब्लिक सर्विस से जुड़ी हुई योजनाओं को सबसे महत्वपूर्ण फेक्टर माना जा रहा है. ऐसे में बजट एक्सपर्ट यह मानकर चल रहे हैं कि प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जो पब्लिक सर्विस पर पहले से ही ज्यादा भरोसा करते हैं वह इस बार अपने बजट में 'दिल्ली मॉडल' को अपना सकते हैं.

क्या 'दिल्ली मॉडल' अपनाएंगे गहलोत?

बजट एक्सपर्ट पंकज घीया बताते हैं कि इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का बजट काफी अलग रहने की उम्मीद है. जिस तरह से उन्होंने सभी वर्गों से बजट पूर्व सुझाव लिया, उससे लगता है कि उनका फोकस पब्लिक सर्विस पर रहेगा.

पंकज घीया ने कहा कि जिस तरीके से दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने आम जनता को खुश करने के लिए पब्लिक सर्विस पर जोर दिया. इसके लिए उन्होंने कई क्रांतिकारी कदम उठाए. उसी का परिणाम है जिसकी वजह से उन्हें अभूतपूर्व बहुमत के साथ जीत मिली.

केजरीवाल की इन योजनाओं को अपना सकती है गहलोत सरकार....

प्रदेश की गहलोत सरकार दिल्ली सरकार की तर्ज पर 'मोहल्ला क्लिनिक' जैसी कोई योजना लेकर आ सकते हैं. दिल्ली की सरकार ने 'डोर टू डोर' सर्विस शुरू की थी, इसी योजना को राजस्थान में भी शुरू किया जा सकता है. इसके अलावा बिजली और पानी पर खासतौर से इस बजट में ध्यान दिया जा सकता है.

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पंकज घीया ने कहा कि इस बजट में आम आदमी खासकर युवा वर्ग पर खास फोकस रहने की संभावना है. इसके अलावा प्रदेश के युवा उद्यमियों को लेकर भी कुछ खास घोषणा इस बजट में की जा सकती है. मुख्यमंत्री से कुछ दिन पहले युवा उद्यमियों और विभिन्न सामाजिक संगठनों के साथ चर्चा भी की थी.

सीएम अशोक गहलोत पहले ही कह चुके हैं कि राज्य सरकार का प्रयास है कि एक जनकल्याणकारी बजट तैयार किया जाए. इसके अलावा प्रदेश को आर्थिक रूप से मजबूत करने पर भी जोर दिया जाएगा.

वैसे जानकारों का कहना है कि GST के बाद प्रदेश सरकार के हाथ में ज्यादा कुछ नहीं है. ऐसे में गहलोत सरकार भी दिल्ली की तर्ज पर काम कर सकती है. केजरीवाल ने दावा किया था कि उन्होंने दिल्ली के व्यापारियों को कर देने के लिए प्रेरित किया. इसका फायदा ये हुआ कि सरकार ने अपनी आय 30000 करोड़ से बढ़ाकर 60000 करोड़ कर ली.

इसके अलावा गहलोत सरकार ने काफी समय से बंद पड़ी 'व्यापार सम्मान योजना' को फिर से शुरू किया है. इसके अलावा एमएनएसटी योजना यानी 'वन टाइम सेटेलमेंट योजना' के जरिए सरकार व्यापारियों के साथ कदम बढ़ा सकती है. इसमें जो पुराने मुकदमे हैं उन्हें एकमुश्त रकम लेकर सेटलमेंट करके खत्म किया जा सकता है. इससे न केवल सरकार की आय में वृद्धि होगी बल्कि व्यापारियों के बीच सरकार की छवि भी अच्छी होगी. व्यापारियों और सरकार के बीच समन्वय बनेगा जिससे प्रदेश के आर्थिक हालात सुधरेंगे. प्रदेश में रेवेन्यू बढ़ेगा तो सरकार अपनी जन कल्याणकारी योजनाओं को और बेहतर ढंग से आगे बढ़ा सकेगी.

पिछले बजट में क्या था खास....

पिछले साल 2019-20 के बजट में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 11 नई योजनाओं की घोषणा की थी. कुल 2.32 लाख करोड़ के बजट में किसान और युवा और महिलाओं पर फोकस किया गया था. किसानों के लिए बजट में एक हजार करोड़ की कृषक कल्याण कोष की घोषणा की थी. वहीं महिलाओं के लिए 1000 करोड़ रुपए की 'प्रियदर्शनी इंदिरा गांधी महिला शक्ति निधि' फंड बनाया था. युवाओं को 75000 नौकरी देने का वादा किया गया था.

इसके साथ निःशुल्क दवा योजना में 14 नई दवाइयों को शामिल किया गया था और मोहल्ला क्लिनिक की तर्ज पर जनता क्लिनिक खोलने की घोषणा की थी. इनमें से सभी योजनाओं को क्रियान्वित किया गया है. खास बात ये थी कि इन योजनाओं की समीक्षा के लिए मंत्रिमंडल सब कमेटी भी बनाई थी, जिसने प्रगति को लेकर समीक्षा कर अपनी रिपोर्ट सीएम गहलोत की दी थी.

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