जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरुवार को सीएमआर से बायोडिग्रेडवल गमले में पौधा रोपकर 71 वें राज्य स्तरीय वन महोत्सव का शुभारंभ किया. साथ ही इस दौरान उन्होंने वाहन को हरी झंडी दिखाकर वन महोत्सव स्थल के लिए रवाना किया. वन महोत्सव के तहत मुख्यमंत्री द्वारा रोपित पीपल के पौधे को नाहरगढ़ अभ्यारण के वन क्षेत्र बीड़ पापड़ में लगाया गया. इस दौरान कोविड-19 के चलते सावधानी रखते हुए भीड़ एकत्रित नहीं की गई. सीमित संख्या में वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी कार्यक्रम में शामिल हुए.
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वन महोत्सव स्थल पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम विश्नोई, हेड ऑफ फॉरेस्ट फॉर जीवी रेड्डी समेत वन विभाग के अधिकारियों के नाम के पौधे रोपे गए. वन मंत्री सुखराम बिश्नोई के नाम पर बड़ का पौधा रोपा गया. वन महोत्सव स्थल पर वन विभाग के अधिकारी, विकास समिति, स्वयंसेवी संस्थाएं और एनसीसी सदस्यों द्वारा विभिन्न प्रजातियों के वृक्ष रोपे गए. नीम, शीशम, पीपल, बड़, गुलर, जामुन, कचनार समेत विभिन्न फलदार और छायादार पौधे लगाए गए.
वन विभाग के पीसीसीएफ और डीएफओ उपकार बोराना ने बताया कि आमजन में वनों का महत्व वृक्षारोपण के प्रति जागरूक कर प्रदेश में हरियाली को बढ़ाना है और पर्यावरण को स्वच्छ बनाना है. वन विभाग की ओर से बड पापड़ स्थल पर करीब 350 एकड़ जगह पर 1000 पौधे रोपने का लक्ष्य रखा गया है. कोरोना महामारी के चलते इस साल 71 वां महोत्सव अलग तरीके से मनाया गया है.
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पीसीसीएफ एमएल मीणा ने बताया कि वन महोत्सव का उद्देश्य होता है. आमजन में पेड़ों और वनों के प्रति जागरूक करना है. मानव जीवन में वृक्षों का काफी महत्व है, इसलिए हम सभी को वृक्ष लगाना चाहिए और उनका ख्याल भी रखना चाहिए. वृक्ष लगाना पुण्य का काम भी माना जाता है, क्योंकि वृक्षों से पशु, पक्षी और जानवरों को भोजन भी प्राप्त होता है. पौधों से हमें ऑक्सीजन भी मिलती है और कम से कम इतने पौधे तो जरूर लगाएं, जिससे हमें ऑक्सीजन तो मिल सके.