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CM गहलोत ने डूंगरपुर घटना का उदाहरण दे कहा- प्रदेशवासी COVID-19 से डरने के बजाय फौरन अपनी जांच कराएं

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीटिंग की. इस दौरान उन्होंने प्रदेश में कोरोना के इलाज के लिए गठित विशेषज्ञ चिकित्सकों के समूह और सभी संभागों के प्रभारी अधिकारियों के साथ भी वार्ता की. साथ ही कहा कि प्रदेशवासी कोविड-19 को लेकर डरने के बजाय फौरन अस्पताल पहुंचकर अपनी जांच कराएं और उपचार लें.

CM Ashok ,Gehlot, राजस्थान न्यूज़
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए की मीटिंग
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Published : May 17, 2020, 8:25 AM IST

Updated : May 17, 2020, 8:36 AM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोरोना के संक्रमण, जांच एवं इलाज, क्वॉरेंटाइन सुविधाओं और गैर-कोविड रोगों के लिए चिकित्सकीय सुविधाओं की स्थिति के बारे में उच्च स्तरीय बैठक की. ये बैठक करीब 4 घंटे चली. बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने प्रदेश में कोरोना के इलाज के लिए गठित विशेषज्ञ चिकित्सकों के समूह और सभी संभागों के प्रभारी अधिकारियों के साथ भी वार्ता की.

मुख्यमंत्री ने चिकित्सकों से महामारी से लड़ने के लिए भविष्य की रणनीति और अधिकारियों से विभिन्न जिलों में कोरोना के संक्रमण की स्थिति, जांच व्यवस्था, उपकरणों की उपलब्धता, क्वारेंटीन सुविधाओं सहित अन्य विषयों पर फीडबैक लिया. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों से कहा कि लगातार सतर्क एवं सजग रहने की जरूरत है. विशेषकर राजस्थान आ रहे श्रमिकों की प्रभावी स्क्रीनिंग, जांच और क्वॉरेंटाइन सेंटर की पुख्ता व्यवस्था किया जाना जरूरी है. साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में सैंपलिंग बढ़ाई जाए.

पढ़ें: जिम्मेदार कौन? कोटा के MBS अस्पताल में स्ट्रेचर पर तड़पती मां ने बेटों के सामने तोड़ा दम

सीएम गहलोत ने कहा कि प्रदेशवासी कोविड-19 को लेकर डरने के बजाय फौरन अस्पताल पहुंचकर अपनी जांच कराएं और उपचार लें. कोरोना सहित किसी भी बीमारी को छुपाने की कोशिश ना करें. इससे बीमारी के गंभीर होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. राज्य सरकार ने सभी तरह की बीमारियों के उपचार के लिए उचित प्रबंध कर रखा है. हमारा माइक्रो मैनेजमेंट ऐसा हो कि प्रदेश में इलाज के अभाव में कोई जान ना जाए.

बैठक में चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा, मुख्य सचिव डीबी गुप्ता, अति. मुख्य सचिव (चिकित्सा) रोहित कुमार सिंह, अति. मुख्य सचिव (सार्वजनिक निर्माण) वीनू गुप्ता, अति. मुख्य सचिव (वित्त) निरंजन आर्य, प्रमुख शासन सचिव (सूचना प्रौद्योगिकी) अभय कुमार सहित अन्य अधिकारी और वरिष्ठ चिकित्सक उपस्थित थे.

कोरोना से हुई मौतों का किया जाए गहन विश्लेषण
सीएम गहलोत ने बैठक में निर्देश दिए कि राजस्थान में अब तक कोरोना से हुई 125 मौतों का विशेषज्ञों से विश्लेषण करवाया जाए. इन मौतों का गहन अध्ययन करने के लिए मृतकों के परिजनों से मिलकर रोगियों की पूरी केस हिस्ट्री, देरी से अस्पताल पहुंचने के कारणों और अन्य पुरानी बीमारियों की स्थिति की जानकारी लेकर उसका तार्किक विश्लेषण किया जाए. ऐसा करके ही हम कोरोना की लड़ाई के लिए चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार और लोगों को जागरूक करने की बेहतर रणनीति तैयार कर सकेंगे.

लोगों को कोरोना के साथ जीने के लिए करें तैयार
सीएण गहलोत ने बैठक के दौरान कहा कि प्रदेश में कोरोना से होने वाली मौतों का प्रतिशत कम है. हमने अपनी टेस्ट क्षमता काफी बढ़ा ली है. अब तक कुछ ही मामलों में वेंटीलेटर की आवश्यकता पड़ी है. ये सभी अच्छे संकेत हैं, लेकिन आगे कोरोना महामारी किस रूप में सामने होगा, इसे लेकर हमें सजग रहने की जरूरत है. उन्होंने विशेषज्ञों से कहा कि वो ऐसी नियमावली बनाएं, जिसका पालन कर लोग खुद को कोरोना के साथ जीने के लिए तैयार कर सकें.

पढ़ें: मास्क को लेकर कंपनियों की सांठगांठ, सरकार को बेचा 88 पैसे का मास्क 6.50 रुपए में, अब अफसर लगे बचाने में

जेलों में भी मेडिकल प्रोटोकॉल की हो पूरी पालना
मुख्यमंत्री ने जयपुर जेल में एक साथ बड़ी संख्या में कैदियों के कोरोना पॉजिटिव होने के मामले को भी गंभीरता से लिया. उन्होंने कहा कि इन मरीजों को उचित चिकित्सा उपलब्ध करवाने के साथ ही कोरोना के तय मेडिकल प्रोटोकॉल की जेलों में भी पूरी पालना सुनिश्चित की जाए. प्रदेश की दूसरी जेलों में भी आवश्यकतानुसार कैदियों की कोरोना जांच करवाई जाए.

समय पर होता इलाज तो बच जाती बच्चे की जिंदगी
मुख्यमंत्री ने डूंगरपुर का एक उदाहरण देते हुए कहा कि वहां कोरोना के डर के कारण समय पर उपचार नहीं कराया गया. इसके चलते एक 4 साल के बच्चे की मौत हो गई. बच्चे के एक परिजन ने मुख्यमंत्री निवास पर फोन कर बीमारी की जानकारी दी तो तत्काल एम्बुलेंस भिजवाई गई. लेकिन, एम्बुलेंस से अस्पताल जाते वक्त रास्ते में ही बच्चे ने दम तोड़ दिया. ऐसी स्थिति बेहद दुखद है. अगर परिजन समय पर बच्चे को अस्पताल ले जाते या प्रशासन को सूचना देते तो उसे बचाया जा सकता था.

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोरोना के संक्रमण, जांच एवं इलाज, क्वॉरेंटाइन सुविधाओं और गैर-कोविड रोगों के लिए चिकित्सकीय सुविधाओं की स्थिति के बारे में उच्च स्तरीय बैठक की. ये बैठक करीब 4 घंटे चली. बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने प्रदेश में कोरोना के इलाज के लिए गठित विशेषज्ञ चिकित्सकों के समूह और सभी संभागों के प्रभारी अधिकारियों के साथ भी वार्ता की.

मुख्यमंत्री ने चिकित्सकों से महामारी से लड़ने के लिए भविष्य की रणनीति और अधिकारियों से विभिन्न जिलों में कोरोना के संक्रमण की स्थिति, जांच व्यवस्था, उपकरणों की उपलब्धता, क्वारेंटीन सुविधाओं सहित अन्य विषयों पर फीडबैक लिया. इस दौरान उन्होंने अधिकारियों से कहा कि लगातार सतर्क एवं सजग रहने की जरूरत है. विशेषकर राजस्थान आ रहे श्रमिकों की प्रभावी स्क्रीनिंग, जांच और क्वॉरेंटाइन सेंटर की पुख्ता व्यवस्था किया जाना जरूरी है. साथ ही ग्रामीण क्षेत्र में सैंपलिंग बढ़ाई जाए.

पढ़ें: जिम्मेदार कौन? कोटा के MBS अस्पताल में स्ट्रेचर पर तड़पती मां ने बेटों के सामने तोड़ा दम

सीएम गहलोत ने कहा कि प्रदेशवासी कोविड-19 को लेकर डरने के बजाय फौरन अस्पताल पहुंचकर अपनी जांच कराएं और उपचार लें. कोरोना सहित किसी भी बीमारी को छुपाने की कोशिश ना करें. इससे बीमारी के गंभीर होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. राज्य सरकार ने सभी तरह की बीमारियों के उपचार के लिए उचित प्रबंध कर रखा है. हमारा माइक्रो मैनेजमेंट ऐसा हो कि प्रदेश में इलाज के अभाव में कोई जान ना जाए.

बैठक में चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा, मुख्य सचिव डीबी गुप्ता, अति. मुख्य सचिव (चिकित्सा) रोहित कुमार सिंह, अति. मुख्य सचिव (सार्वजनिक निर्माण) वीनू गुप्ता, अति. मुख्य सचिव (वित्त) निरंजन आर्य, प्रमुख शासन सचिव (सूचना प्रौद्योगिकी) अभय कुमार सहित अन्य अधिकारी और वरिष्ठ चिकित्सक उपस्थित थे.

कोरोना से हुई मौतों का किया जाए गहन विश्लेषण
सीएम गहलोत ने बैठक में निर्देश दिए कि राजस्थान में अब तक कोरोना से हुई 125 मौतों का विशेषज्ञों से विश्लेषण करवाया जाए. इन मौतों का गहन अध्ययन करने के लिए मृतकों के परिजनों से मिलकर रोगियों की पूरी केस हिस्ट्री, देरी से अस्पताल पहुंचने के कारणों और अन्य पुरानी बीमारियों की स्थिति की जानकारी लेकर उसका तार्किक विश्लेषण किया जाए. ऐसा करके ही हम कोरोना की लड़ाई के लिए चिकित्सा सुविधाओं के विस्तार और लोगों को जागरूक करने की बेहतर रणनीति तैयार कर सकेंगे.

लोगों को कोरोना के साथ जीने के लिए करें तैयार
सीएण गहलोत ने बैठक के दौरान कहा कि प्रदेश में कोरोना से होने वाली मौतों का प्रतिशत कम है. हमने अपनी टेस्ट क्षमता काफी बढ़ा ली है. अब तक कुछ ही मामलों में वेंटीलेटर की आवश्यकता पड़ी है. ये सभी अच्छे संकेत हैं, लेकिन आगे कोरोना महामारी किस रूप में सामने होगा, इसे लेकर हमें सजग रहने की जरूरत है. उन्होंने विशेषज्ञों से कहा कि वो ऐसी नियमावली बनाएं, जिसका पालन कर लोग खुद को कोरोना के साथ जीने के लिए तैयार कर सकें.

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जेलों में भी मेडिकल प्रोटोकॉल की हो पूरी पालना
मुख्यमंत्री ने जयपुर जेल में एक साथ बड़ी संख्या में कैदियों के कोरोना पॉजिटिव होने के मामले को भी गंभीरता से लिया. उन्होंने कहा कि इन मरीजों को उचित चिकित्सा उपलब्ध करवाने के साथ ही कोरोना के तय मेडिकल प्रोटोकॉल की जेलों में भी पूरी पालना सुनिश्चित की जाए. प्रदेश की दूसरी जेलों में भी आवश्यकतानुसार कैदियों की कोरोना जांच करवाई जाए.

समय पर होता इलाज तो बच जाती बच्चे की जिंदगी
मुख्यमंत्री ने डूंगरपुर का एक उदाहरण देते हुए कहा कि वहां कोरोना के डर के कारण समय पर उपचार नहीं कराया गया. इसके चलते एक 4 साल के बच्चे की मौत हो गई. बच्चे के एक परिजन ने मुख्यमंत्री निवास पर फोन कर बीमारी की जानकारी दी तो तत्काल एम्बुलेंस भिजवाई गई. लेकिन, एम्बुलेंस से अस्पताल जाते वक्त रास्ते में ही बच्चे ने दम तोड़ दिया. ऐसी स्थिति बेहद दुखद है. अगर परिजन समय पर बच्चे को अस्पताल ले जाते या प्रशासन को सूचना देते तो उसे बचाया जा सकता था.

Last Updated : May 17, 2020, 8:36 AM IST
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