जयपुर. पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों ने देशवासियों की कमर तोड़ कर रख दी है. राजस्थान में भी पेट्रोल-डीजल की कीमतें आसमान पर है. राज्यों की बात की जाए तो मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बाद राजस्थान तीसरा राज्य है जहां सबसे महंगा पेट्रोल है. इसी तरीके से डीजल की बात की जाए तो डीजल की कीमतों के मामले में राजस्थान पूरे देश में नंबर एक पर है.
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ऐसे में बढ़ी हुई पेट्रोल-डीजल की कीमतों के चलते ही राजस्थान की कांग्रेस सरकार भी सवालों में घिरी हुई है. यही कारण है कि राजस्थान की गहलोत सरकार ने 2 फीसदी वैट की कमी पेट्रोल और डीजल में की है, लेकिन उसके बावजूद भी देश में पेट्रोल के मामले में राजस्थान तीसरे नंबर पर तो डीजल के मामले में नंबर 1 पर बना हुआ है.
इस मामले पर हाल ही में विधानसभा में बोलते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य सरकार के वैट की दरों को बढ़ाने के पीछे अपनी मजबूरी को बता दिया. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकारों के पास पैसा इकट्ठा करने का कोई विकल्प नहीं होता. डीजल के दाम की बात की जाए तो बीजेपी शासित राज्य मध्य प्रदेश, कर्नाटक और मणिपुर में रेट क्या है. अगर केवल हरियाणा की बात करें तो वहां चाहे सरकार भाजपा की रही है या कांग्रेस की, हमेशा हरियाणा से राजस्थान पेट्रोल की कीमत ज्यादा रहती है.
सीएम गहलोत ने कहा कि मध्यप्रदेश में हमेशा राजस्थान से ज्यादा पेट्रोल की दरें रहती है. गहलोत ने कहा कि हमने राजस्थान में जनता की डिमांड को देखते हुए 2 फीसदी वैट कम किया. इस 2 फीसदी से ही 1000 करोड़ के रेवेन्यू का नुकसान हुआ है. गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार जिस प्रकार से फैसले कर रही है, उसी के चलते देशवासियों को पेट्रोल महंगा मिल रहा है.
गहलोत ने कहा कि जब यूपीए गवर्नमेंट थी तो 140 प्रति बैरल कच्चे तेल की कीमत थी, लेकिन उस समय पेट्रोल-डीजल की कीमतें 70 की ही थी. आज पेट्रोल की कीमतें 90 रुपए पार क्यों कर रही है, जबकि कच्चे तेल की कीमतें केवल 40 डॉलर है. गहलोत ने कहा कि जिस मद में राज्यों को ज्यादा पैसा मिलता है वह एक्साइज ड्यूटी केंद्र सरकार ने कम कर दी तो जिस स्पेशल एक्साइज ड्यूटी और एडिशनल एक्साइज ड्यूटी में राज्यों की कोई हिस्सेदारी नहीं है उसमें बढ़ोतरी कर दी गई है. इसके चलते राज्य सरकार को मजबूरी में वैट बढ़ाना पड़ा है.
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सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि बेसिक एक्साइज ड्यूटी से राज्यों को हिस्सा मिलता है और जो 2016 में 9.48 रुपए थी, उसे केंद्र सरकार ने घटाकर 1.40 रुपए कर दिया गया है. इसी में राज्य सरकार को पैसा मिलता था और वह कम कर दिया गया. स्पेशल एक्साइज ड्यूटी जो 6 रुपए थी उसे बढ़ाकर 11 रुपए कर दिया गया है, इसमें राज्यों को हिस्सा नहीं मिलता.
एडिशनल एक्साइज ड्यूटी जिस में भी राज्यों को हिस्सा नहीं मिलता उसे 2 रुपए से बढ़ाकर 18 रुपए कर दिया. इन दोनों टैक्स में ही राज्यों की हिस्सेदारी नहीं होती है. ऐसे में केंद्र ने जानबूझकर राज्यों को मिलने वाले बेसिक एक्साइज टैक्स में कमी की और केंद्र को मिलने वाले स्पेशल और एडिशनल एक्साइज टैक्स में बढ़ोतरी कर दी. इसके चलते राज्यों को मजबूरी में टैक्स बढ़ाना पड़ता है.
इसी तरीके से सीएम गहलोत ने डीजल की कीमतों को लेकर कहा कि डीजल पर 2016 में 11.33 रुपए एक्साइज ड्यूटी थी, जिसे केंद्र सरकार ने घटाकर 1.80 रुपए कर दिया है. इसमें राज्यों को हिस्सा मिलता था, जबकि स्पेशल एक्साइज ड्यूटी जिसमें राज्यों को हिस्सा नहीं मिलता है उसे वह 1 रुपए से बढ़ाकर 8 रुपए कर दी गई. एडिशनल एक्साइज ड्यूटी को 6 रुपए से बढ़ाकर 18 रुपए कर दिए गए.
गहलोत ने कहा कि केंद्र सरकार अपना खजाना भरती जा रही है और उनकी जानकारी में है कि उनके पड़ोसी राज्य हरियाणा में कीमतें कम हैं. लेकिन हम इसके बावजूद भी कम नहीं कर पा रहे क्योंकि कम करेंगे तो हमारा रेवेन्यू बिल्कुल कम हो जाएगा. उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण ऐसी स्थिति होने के बाद भी हमने 2 फीसदी वैट कम किया.
पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा कि डीजल-पेट्रोल में राज्य सरकार ने 2 फीसदी वैट घटाया है. उन्होंने कहा कि परेशानी यह है कि पेट्रोलियम उत्पाद पर एक्साइज टैक्स लगता है. उसका शेयर हर राज्य को मिलता है, लेकिन जब कोई स्पेशल एक्साइज ड्यूटी या स्पेशल ड्यूटी लगती है या सेस लगता है तो उसका हिस्सा राज्यों को नहीं मिलता है.
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महेश जोशी ने कहा कि अब अगर केंद्र सरकार स्पेशल एक्साइज ड्यूटी, एडिशनल एक्साइज ड्यूटी और सेस की जगह एक्साइज ड्यूटी में ही इन टैक्सों को लगा दें तो राज्य सरकार पेट्रोल-डीजल में जनता को और राहत दे सकती है.