जयपुर. राजधानी में प्री मानसून की दस्तक ने नगर निगम की पोल खोलकर रख दी है. शुक्रवार को हुई बारिश में शहर की सड़कें नालों में तब्दील हो गई. हालांकि शनिवार को नालों की सफाई के कार्य को तेजी दी गई. लेकिन इस दौरान निगम प्रशासन की एक और लापरवाही सामने आई. प्रशासन ने नाला सफाई में लगाए कर्मचारियों को सुरक्षा उपकरण मुहैया कराना भी उचित नहीं समझा.
जीतू, सोनू और केदार जैसे ना जाने कितने कर्मचारी इन दिनों राजधानी में नालों की सफाई कार्य में जुटे हुए हैं. हालांकि निगम प्रशासन को शायद इन कर्मचारियों के स्वास्थ्य के प्रति कोई सरोकार नहीं है. एक तरफ देश में वैश्विक महामारी कोरोना फैली हुई है, तो दूसरी तरफ ये कर्मचारी गंदे नाले साफ कर रहे हैं. बावजूद इसके पीपीई किट तो दूर की बात इन कर्मचारियों को साधारण गम बूट, हैंड ग्लव्स और मास्क तक उपलब्ध नहीं कराया गया है.
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बता दें कि ये कर्मचारी महज 400 से 500 रुपए की दिहाड़ी पर अपनी जान जोखिम में डालकर शहर को स्वच्छ रखने की कवायद में जुटे हुए हैं. इनकी मानें तो पेट के लिए ये सब करना पड़ता है, फिर चाहे प्रशासन कोई सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराएं या ना कराएं.
एक तरफ प्री मानसून की दस्तक ने निगम प्रशासन के उन दावों की पोल खोल दी, जो करोड़ों का टेंडर देकर शहर के 897 बड़े-छोटे नालों की सफाई को लेकर किया जा रहा था. वहीं, अब एकाएक नालों की सफाई करने में कर्मचारियों को लगाया तो, लेकिन उन्हें सुरक्षा उपकरण देना ही भूल गया.
बता दें कि नाला सफाई में लगे कर्मचारियों को गैस मास्क, हेलमेट, गम बूट, ग्लव्स, सेफ्टी बेल्ट उपलब्ध कराया जाना अनिवार्य है. यही नहीं मौके पर ऑक्सीजन सिलेंडर की मौजूदगी भी सुनिश्चित करना होता है क्योंकि इन नालों में कई जहरीली गैस भी मौजूद होती है. ऐसे में बिना संसाधनों के सफाई करना इन सफाई कर्मचारियों की मौत का कारण भी बनता है.