जयपुर. पिछली विधानसभा सत्र में सरकार द्वारा सदन में विश्वास मत रखे जाने के दौरान सदन से बिना अनुमति नदारद रहने वाले 4 भाजपा विधायकों को अब बीजेपी ने भी क्लीन चिट दे दी है. भाजपा प्रवक्ता के बयान तो इसी ओर इशारा कर रहे हैं.
ये वही 4 विधायक हैं, जिनकी गैरमौजूदगी के चलते भाजपा के भीतर फूट की आशंका जताई जा रही थी. खुद पार्टी प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष ने भी इसे गंभीर मानते हुए इन चारों ही विधायकों को जयपुर तलब किया. सभी पक्षों को देखते हुए इस बारे में रिपोर्ट तैयार कर केंद्रीय आलाकमान तक भिजवाई खाने की बात नहीं है. पूरा मामला ठंडा पड़ गया. भाजपा प्रदेश प्रवक्ता कहते हैं कि जब इन विधायकों के जवाब संतोषजनक है, तो कार्रवाई का सवाल कैसे उठेगा.
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दरअसल प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया और नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया इन चारों में से 2 विधायकों की भूमिका संदिग्ध मान रहे थे. उसी के चलते उन्हें जयपुर भी तलब किया गया और इनकी जिला इकाई से इनके बारे में रिपोर्ट भी मांगी गई, लेकिन प्रदेश कि गहलोत सरकार की स्थिति पिछले दिनों डामाडोल दिखे जिसके चलते प्रदेश नेतृत्व में अपने विधायक को की रिपोर्ट को जग जाहिर नहीं किया और इस पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया. क्योंकि यदि इन विधायकों में से किसी पर कार्रवाई होती तो जग हंसाई पार्टी की ही होती या फिर हो सकता है की पार्टी इनके जवाब से संतुष्ट हो और जांच में भी इनकी भूमिका संदिग्ध ना आई हो. खैर फिर जो घटनाक्रम हुआ था, वो प्रदेश भाजपा नेतृत्व के कार्यकाल में हमेशा याद रखा जाएगा.
ये विधायक रहे थे सदन से नदारद
पिछली विधानसभा सत्र के पहले दिन यानी 14 अगस्त को जहाजपुर विधायक गोपीचंद मीणा, गढ़ी विधायक कैलाश मीणा, घाटोल विधायक हरेंद्र निनामा और धरियावाद विधायक गौतम मीणा सदन से गायब हो गए थे. हालांकि उसी दिन भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव लाने की योजना को निरस्त कर दिया था, जिसकी वजह से ये विधायक बिना सूचना दिए विधानसभा से चले गए, लेकिन बड़ा सवाल यही रहा था कि जब सदन में गहलोत सरकार ने विश्वास मत रखा और तब यदि स्थिति डिवीजन की आती तो बीजेपी और आरएलपी के 75 में से 71 वोट ही पड़ते.