जयपुर. राजस्थान डिस्कॉम (Rajasthan Discom) की माली हालत बेहद खराब है और 86,000 करोड़ रुपये से अधिक का घाटा चल रहा है. साल दर साल ये घटा बढ़ रहा है और इसका असर आम उपभोक्ताओं के बिजली के बिलों पर भी साफ तौर पर दिखने लगा है.
बिजली के बिलों में स्थाई शुल्क से लेकर फिक्स चार्ज और फ्यूल चार्ज के नाम पर हो रही बढ़ोतरी समय के साथ बढ़ती जा रही है, जिससे आम उपभोक्ता परेशान है. बिजली उपभोक्ता यह नहीं समझ पा रहा कि उसके बिलों में कुल उपभोग की गई बिजली के अलावा इतने सारे शुल्क किस बात के वसूल किए जा रहे हैं.
वहीं, विपक्ष में बैठी भाजपा इसे सियासी मुद्दा बना रही है. भाजपा प्रवक्ता और विधायक रामलाल शर्मा (BJP MLA Ram Lal Sharma) इसके पीछे बड़ा कारण सरकार के सहयोगी विधायकों की दादागिरी बता रहे हैं. शर्मा के अनुसार विधायकों के दबाव में डिस्कॉम विजिलेंस टीम अपना काम नहीं कर पाती, जिससे बिजली की चोरी लगातार बढ़ रही है. वहीं, डिस्कॉम का कुप्रबंधन तो इसका बड़ा कारण है ही.
16 साल में 27 फीसदी बिजली छीजत व चोरी हुई कम : राजस्थान डिस्कॉम में छीजत और बिजली चोरी के आंकड़ों की बात की जाए तो साल 2005 में राजस्थान में बिजली की छीजत 45 फीसदी तक थी और साल दर साल कम करते-करते अब करीब 18 से 20 फीसदी तक लाई गई है. वर्तमान में ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला (Energy Minister BD Kalla) दावा करते हैं कि करीब 18 फीसदी बिजली की छीजत है और साल 2023 तक इसे 15 फीसदी तक लेकर आने का प्रयास है. मतलब साल दर साल बिजली की छीजत में कमी जरूर लाई गई, लेकिन डिस्कॉम का घाटा कम नहीं हुआ.
डिस्कॉम घाटे के कारण : दरअसल, डिस्कॉम का घाटा और उसकी भरपाई के लिए लिए जाने वाला कर्जा ही घाटे का प्रमुख कारण है. जो कर्जा लिया जाता है उसका भारी-भरकम ब्याज के कारण डिस्कॉम का घाटा हर साल बढ़ता जाता है. यह जानकारी भी ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला ने ही दी है. हालांकि, कल्ला कहते हैं कि राजस्थान को सोलर एनर्जी का हब बनाकर मौजूदा घाटे को कम किया जाएगा. हालांकि, इस प्रकार के दावे बीजेपी सरकार में भी तत्कालिक ऊर्जा मंत्री किया करते थे, लेकिन घाटा तब भी कम नहीं हो पाया.
महंगी बिजली खरीदना नहीं हुआ बंद, उपभोक्ताओं पर फिक्स चार्जेस का अतिरिक्त भार : ऊर्जा विभाग ने कई साल पहले बिजली खरीद के लिए नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन से जुड़े विभिन्न पावर प्लांट से अनुबंध किया था और उसके आधार पर ही अब तक बिजली की खरीद महंगी दरों पर की जा रही है. आलम यह है कि राजस्थान सौर ऊर्जा में आत्मनिर्भर होने का दावा करने के बाद भी हर साल करीब 35 करोड़ यूनिट बिजली की खरीद करता है और इनकी अपेक्षाकृत दर भी अधिक है. हालांकि, पिछले दिनों ऐसे पांच प्रांतों से पूर्व में किया गया अनुबंध समाप्त करने को लेकर डिस्कॉम ने प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन उसमें सफलता नहीं मिल पाई और मजबूरन उसी पुराने पावर परचेज एग्रीमेंट के आधार पर बिजली की खरीद करना पड़ रही है. पिछले वित्तीय वर्ष में ही डिस्कॉम को 6740 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था.
किसानों को सबसे सस्ती बिजली देना भी है कारण : राजस्थान में किसानों को सस्ती बिजली दिया जाना भी एक बड़ा कारण है. सरकार हर साल 16,000 करोड़ की सस्ती बिजली किसानों को सब्सिडी पर देती है. मतलब आम उपभोक्ताओं की तुलना में प्रदेश के किसानों को न केवल कम दरों पर मिलती है, बल्कि सरकार भी इसका अनुदान वहन करती है.