जयपुर. सचिन पायलट सहित 19 बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को हाईकोर्ट में दिलचस्प नजारा सामने आया. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती ने जहां पक्षकारों को जरूरत से ज्यादा नफरत नहीं करने की नसीहत दी, तो दूसरी ओर अपने स्कूल के दिनों को भी याद किया.
याचिका पर सुनवाई के दौरान पक्ष और विपक्ष के वकीलों की तेजतर्रार बहस को सुनकर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि किसी भी चीज से जरूरत से ज्यादा नफरत करना ठीक नहीं होता है. यदि जरूरत से ज्यादा नफरत की जाती है तो वह चीज आपके पास ही आ जाती है. अपने बचपन के अनुभवों को साझा करते हुए मुख्य न्यायाधीश महांती ने कहा कि जब वह बोर्डिंग में रहकर स्कूल जाते थे तो उन्हें सबसे बुरा काम जूते-मौजे पहनना और लंबे-लंबे निबंध लिखना लगता था.
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महांती ने कहा कि वह हमेशा सोचते थे कि इन से कब छुटकारा मिलेगा? वहीं कानून की पढ़ाई के दौरान और उसके बाद वह अधिकांश समय जूते-मौजे पहनने को अवॉइड करते थे और सैंडल पहना करते थे. सीजे ने कहा कि इन दोनों चीजों को मैं जरूरत से ज्यादा बुरा मान कर नफरत करता था, लेकिन अब जज बनने के बाद यह दोनों काम उन्हें करने पड़ते हैं. कोर्ट में आने के दौरान उन्हें जूते-मौजे पहनने पड़ते हैं तो वहीं अदालती काम के चलते बड़े-बड़े फैसले लिखने पड़ते हैं.
आप कौन, हम भारत के लोग
मामले में पक्षकार बनने के मोहन लाल नामा के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के दौरान सीजे ने उनके वकील से कहा कि आप किसकी तरफ से हैं और क्या चाहते हैं. इस पर नामा के वकील विमल चौधरी ने कहा कि संविधान की दी गई शक्तियों के तहत वे भारत के लोग होने के आधार पर मामले में अपना पक्ष रखना चाहते हैं.
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चौधरी ने पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा और इंदिरा गांधी का हवाला देते हुए कहा कि संविधान की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है और वे इसके लिए पक्षकार बनना चाहते हैं. वहीं, पब्लिक अगेंस्ट करप्शन की ओर से कहा गया कि यदि अनुसूची 10 के पैरा 2 को खत्म किया गया तो इससे भ्रष्टाचार बढ़ेगा.