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जिम्मेदार बेपरवाह! बिना कोरोना गाइडलाइन की पालना किए गुलाबी नगरी में धड़ल्ले से दौड़ रहीं लो फ्लोर बसें

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Published : Feb 3, 2021, 2:00 PM IST

जयपुर में चार महीने तक सिटी ट्रांसपोर्ट बस सेवा पर ब्रेक लगा, जिससे जेसीटीएसएल को उबरने में कई महीने लग गए. हालांकि, अब स्कूल-कॉलेज खुलने के साथ बसों में यात्री भार बढ़ने लगा है. इन बसों में अभी भी कोरोना गाइडलाइन लागू है. ऐसे में शहर वासियों की सुविधा और कोरोना से बचाव को ध्यान में रखते हुए, घाटे के बावजूद सभी रूट पर 200 बसें संचालित की जा रही हैं. साथ ही नई बसें भी शुरू की जा रही हैं. हालांकि, प्रशासन कोरोना से बचाव को लेकर मानदंडों की पालना के लाख दावे कर रहा हो, लेकिन बसों में सवार जिम्मेदार कंडक्टर और ड्राइवर इनकी पालना सुनिश्चित नहीं कर रहे.

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लो फ्लोर बसों में नहीं हो रही कोरोना गाइडलाइन की पालना...

जयपुर. राजधानी में भले ही लो फ्लोर बसें 50 हजार किलोमीटर का चक्कर लगा रही हों, लेकिन पूर्व में यात्री भार से मिलने वाला 18 लाख रुपए का रेवेन्यू अभी 10 से 12 लाख तक सिमटा हुआ है. सभी रूट पर बसें भले ही संचालित हो रही हों, लेकिन लोग अभी भी बसों में ट्रैवल करने से बच रहे हैं.

लो फ्लोर बसों में नहीं हो रही कोरोना गाइडलाइन की पालना...

जेसीटीएसएल के कार्यवाहक एमडी और ओएसडी वीरेंद्र वर्मा की माने तो कोरोना के मद्देनजर राज्य सरकार ने समय-समय पर एडवाइजरी जारी की, जिसकी पालना भी की गई. भले ही कोविड- 19 का प्रकोप पहले की अपेक्षा कम हो गया हो. फिर भी कोई ढिलाई नहीं बरती जा रही. उन्होंने बताया कि अभी भी कंडक्टर और ड्राइवर को निर्देशित किया हुआ है कि वे मास्क का प्रयोग करें और करवाएं. सेनिटाइजर पास में रखें, जो भी यात्री बस में आएं, उनका थर्मल स्कैनर से टेंपरेचर चेक किया जाए. बसों का सेनेटाइजेशन प्रॉपर हो, बस के डिपो से रवाना होने और दोबारा आने पर उसे सेनेटाइज किया जाए.

यह भी पढ़ें: Special: आनंद ने गणित के क्षेत्र में हासिल की है शानदार उपलब्धि, PM नरेंद्र मोदी ने स्कॉलास्टिक अचीवमेंट अवॉर्ड से किया सम्मानित

उन्होंने बताया कि जब बसों का संचालन दोबारा शुरू किया गया, उस वक्त यात्रियों के लिये 50 फ़ीसदी सीटों का ही उपयोग किया गया. हालांकि, अब इस तरह के निर्देशों को खत्म कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि फिलहाल बसों में भीड़ भाड़ है भी नहीं. ऐसे में पूरी क्षमता के साथ ही बसों को संचालित किया जा रहा है. लेकिन अभी भी एहतियात बरते जा रहे हैं.

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जिम्मेदार भूले कोरोना का खतरा!

वहीं अधिकतर बसों में Pre-Printed टिकट्स बंद कर ETIM के जरिए टिकट दिया जा रहा है और भविष्य में लोगों को ये सुविधा मिले कि एक ही वक्त में ज्यादा लोगों को बस में न चढ़ना पड़े. इसके लिए जल्द बसों की संख्या बढ़ाई जा रही है. फिलहाल, बगराना डिपो में नई 38 बसें आ चुकी हैं. बसे बढ़ने से लोगों को भी सुविधा होगी.

यह भी पढ़ें: स्पेशल: नई Electric Bus जेब और डीजल बसें आबोहवा पर पड़ेगी भारी

उधर, जेसीटीएसएल की बसों में सवार यात्री मास्क में जरूर नजर आए. लेकिन कंडक्टर कोरोना गाइडलाइन फॉलो करते नहीं दिखे. ईटीवी भारत जब हकीकत जानने बसों में पहुंचा तो सामने आया कि यहां कुछ कंडक्टर को डिपो से थर्मल स्कैनर और सेनेटाइजर उपलब्ध नहीं कराया गया तो कुछ स्कैनर उपलब्ध होने के बावजूद उसे इस्तेमाल नहीं कर रहे थे. वहीं एक महिला कंडक्टर ने बताया कि डिपो पर उपलब्ध सभी थर्मल स्कैनर खराब हो चुके हैं. यही नहीं बसों में सेनेटाइजर की भी कोई व्यवस्था देखने को नहीं मिली.

बहरहाल, बसों में यात्री भीड़ को कम करने के लिए बसों की संख्या तो बढ़ाई जा रही है. लेकिन जब तक कोविड- 19 से छुटकारा नहीं मिल जाता, तब तक बसों में सेवाएं देने वाले ड्राइवर और कंडक्टर को भी गाइडलाइन को फॉलो करना होगा. तभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर यात्री भरोसा जताएंगे.

जयपुर. राजधानी में भले ही लो फ्लोर बसें 50 हजार किलोमीटर का चक्कर लगा रही हों, लेकिन पूर्व में यात्री भार से मिलने वाला 18 लाख रुपए का रेवेन्यू अभी 10 से 12 लाख तक सिमटा हुआ है. सभी रूट पर बसें भले ही संचालित हो रही हों, लेकिन लोग अभी भी बसों में ट्रैवल करने से बच रहे हैं.

लो फ्लोर बसों में नहीं हो रही कोरोना गाइडलाइन की पालना...

जेसीटीएसएल के कार्यवाहक एमडी और ओएसडी वीरेंद्र वर्मा की माने तो कोरोना के मद्देनजर राज्य सरकार ने समय-समय पर एडवाइजरी जारी की, जिसकी पालना भी की गई. भले ही कोविड- 19 का प्रकोप पहले की अपेक्षा कम हो गया हो. फिर भी कोई ढिलाई नहीं बरती जा रही. उन्होंने बताया कि अभी भी कंडक्टर और ड्राइवर को निर्देशित किया हुआ है कि वे मास्क का प्रयोग करें और करवाएं. सेनिटाइजर पास में रखें, जो भी यात्री बस में आएं, उनका थर्मल स्कैनर से टेंपरेचर चेक किया जाए. बसों का सेनेटाइजेशन प्रॉपर हो, बस के डिपो से रवाना होने और दोबारा आने पर उसे सेनेटाइज किया जाए.

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उन्होंने बताया कि जब बसों का संचालन दोबारा शुरू किया गया, उस वक्त यात्रियों के लिये 50 फ़ीसदी सीटों का ही उपयोग किया गया. हालांकि, अब इस तरह के निर्देशों को खत्म कर दिया गया है. उन्होंने कहा कि फिलहाल बसों में भीड़ भाड़ है भी नहीं. ऐसे में पूरी क्षमता के साथ ही बसों को संचालित किया जा रहा है. लेकिन अभी भी एहतियात बरते जा रहे हैं.

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जिम्मेदार भूले कोरोना का खतरा!

वहीं अधिकतर बसों में Pre-Printed टिकट्स बंद कर ETIM के जरिए टिकट दिया जा रहा है और भविष्य में लोगों को ये सुविधा मिले कि एक ही वक्त में ज्यादा लोगों को बस में न चढ़ना पड़े. इसके लिए जल्द बसों की संख्या बढ़ाई जा रही है. फिलहाल, बगराना डिपो में नई 38 बसें आ चुकी हैं. बसे बढ़ने से लोगों को भी सुविधा होगी.

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उधर, जेसीटीएसएल की बसों में सवार यात्री मास्क में जरूर नजर आए. लेकिन कंडक्टर कोरोना गाइडलाइन फॉलो करते नहीं दिखे. ईटीवी भारत जब हकीकत जानने बसों में पहुंचा तो सामने आया कि यहां कुछ कंडक्टर को डिपो से थर्मल स्कैनर और सेनेटाइजर उपलब्ध नहीं कराया गया तो कुछ स्कैनर उपलब्ध होने के बावजूद उसे इस्तेमाल नहीं कर रहे थे. वहीं एक महिला कंडक्टर ने बताया कि डिपो पर उपलब्ध सभी थर्मल स्कैनर खराब हो चुके हैं. यही नहीं बसों में सेनेटाइजर की भी कोई व्यवस्था देखने को नहीं मिली.

बहरहाल, बसों में यात्री भीड़ को कम करने के लिए बसों की संख्या तो बढ़ाई जा रही है. लेकिन जब तक कोविड- 19 से छुटकारा नहीं मिल जाता, तब तक बसों में सेवाएं देने वाले ड्राइवर और कंडक्टर को भी गाइडलाइन को फॉलो करना होगा. तभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर यात्री भरोसा जताएंगे.

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