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शहर की लो फ्लोर बसों को नहीं मिल रहे यात्री, नुकसान के चलते JCTSL ने घटाई बसें - rajasthan road transport news

लॉकडाउन के बाद जयपुर की लो फ्लोर बसों का संचालन तो शुरू हुआ, लेकिन बसों में बैठने के लिए यात्री नहीं मिल रहे. कोरोना की वजह से लोगों ने बसों से दूरी बना रखी है. यही वजह है कि जो बसें लॉकडाउन से पहले खचाखच भरकर चलती थी. उनमें अब एक चक्कर में महज 10 से 15 यात्री ही सवार हो रहे हैं.

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नुकसान के चलते JCTSL ने घटाई बसें
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Published : Jul 31, 2020, 9:09 PM IST

जयपुर. राजधानी में 4 महीने तक बंद रही सिटी ट्रांसपोर्ट बस सेवा को कोरोना गाइडलाइन के साथ दोबारा शुरू किया गया. शहर वासियों को आने-जाने में राहत मिले, इसके लिए शहर के सभी रूट पर करीब 200 बसों का संचालन शुरू किया गया. लेकिन फिलहाल लो फ्लोर बसों का संचालन जेसीटीएसएल के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है. कोरोना की वजह से लोगों ने बसों से दूरी बना रखी है.

आलम ये है कि प्रति किलोमीटर लो फ्लोर बस को महज 5 की इनकम हो रही है. जबकि खर्चा 60 का हो रहा है. यही नहीं बीते दिनों घाट की गुनी टनल के पास दो बसों की तो ये स्थिति रही कि उनके पास टोल टैक्स देने तक के पैसे नहीं थे. लो फ्लोर बस के कंडक्टर और ड्राइवर की माने तो कोरोना गाइडलाइन की पालना करते हुए यात्रियों में सोशल डिस्टेंस बनाया जा रहा है. उनकी थर्मल स्क्रीनिंग भी की जा रही है.

नुकसान के चलते JCTSL ने घटाई बसें

लेकिन लोगों में अभी कोरोना संक्रमण का डर है, यही वजह है कि 25 से 30 किलोमीटर के रूट पर एक चक्कर में महज 10 से 15 यात्री ही सफर कर रहे हैं. जबकि एसी बस में तो इतनी सवारी भी नहीं आती. जिसका एक कारण बसों का बढ़ा हुआ किराया भी बताया जा रहा है.

पढ़ेंः राजधानी में नहीं चलेंगी 15 साल पुरानी मिनी बसें, RTO ने 260 बस मालिकों को भेजा नोटिस

उधर, जेसीटीएसएल ओएसडी वीरेंद्र वर्मा ने कहा कि लॉकडाउन से पहले शहर में 200 से ज्यादा लो फ्लोर बसों का संचालन हो रहा था. जिससे करीब 18 लाख रुपए प्रतिदिन की आय होती थी. लेकिन लॉकडाउन के बाद बसों के संचालन में भारी नुकसान हो रहा है. चूंकि जनता भी कोविड-19 की वजह से बसों में यात्रा नहीं कर रही.

बता दें कि जो बसें पहले 50 हजार किलोमीटर चला करती थी, वो अभी महज 20 हजार किलोमीटर प्रतिदिन चल रही है. जेसीटीएसएल का बसों पर प्रतिदिन 10 लाख रुपए खर्च होता है. जबकि रेवेन्यू 3 लाख से भी कम है. ऐसे में अब यात्री भार को देखते हुए बसों के रूट को रिवाइज किया गया है और फिलहाल 104 बसों का ही संचालन किया जाएगा.

पढ़ेंः स्पेशल: कोरोना काल में सेकंड हैंड वाहनों पर गिरी गाज, लेकिन सस्ती कारें अभी भी सदाबहार

जेसीटीएसएल पहले ही तीन से चार करोड़ रुपए प्रति महीना घाटे में चल रहा था और अब नुकसान पहले से भी ज्यादा हो रहा है. लॉकडाउन से पहले तक लो फ्लोर बसों में शहर के दो लाख यात्री सवार हुआ करते थे. वहां अब महज 10 हजार यात्री ही सफर कर रहे हैं. जिसका खामियाजा फिलहाल जेसीटीएसएल को भुगतना पड़ रहा है.

जयपुर. राजधानी में 4 महीने तक बंद रही सिटी ट्रांसपोर्ट बस सेवा को कोरोना गाइडलाइन के साथ दोबारा शुरू किया गया. शहर वासियों को आने-जाने में राहत मिले, इसके लिए शहर के सभी रूट पर करीब 200 बसों का संचालन शुरू किया गया. लेकिन फिलहाल लो फ्लोर बसों का संचालन जेसीटीएसएल के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है. कोरोना की वजह से लोगों ने बसों से दूरी बना रखी है.

आलम ये है कि प्रति किलोमीटर लो फ्लोर बस को महज 5 की इनकम हो रही है. जबकि खर्चा 60 का हो रहा है. यही नहीं बीते दिनों घाट की गुनी टनल के पास दो बसों की तो ये स्थिति रही कि उनके पास टोल टैक्स देने तक के पैसे नहीं थे. लो फ्लोर बस के कंडक्टर और ड्राइवर की माने तो कोरोना गाइडलाइन की पालना करते हुए यात्रियों में सोशल डिस्टेंस बनाया जा रहा है. उनकी थर्मल स्क्रीनिंग भी की जा रही है.

नुकसान के चलते JCTSL ने घटाई बसें

लेकिन लोगों में अभी कोरोना संक्रमण का डर है, यही वजह है कि 25 से 30 किलोमीटर के रूट पर एक चक्कर में महज 10 से 15 यात्री ही सफर कर रहे हैं. जबकि एसी बस में तो इतनी सवारी भी नहीं आती. जिसका एक कारण बसों का बढ़ा हुआ किराया भी बताया जा रहा है.

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उधर, जेसीटीएसएल ओएसडी वीरेंद्र वर्मा ने कहा कि लॉकडाउन से पहले शहर में 200 से ज्यादा लो फ्लोर बसों का संचालन हो रहा था. जिससे करीब 18 लाख रुपए प्रतिदिन की आय होती थी. लेकिन लॉकडाउन के बाद बसों के संचालन में भारी नुकसान हो रहा है. चूंकि जनता भी कोविड-19 की वजह से बसों में यात्रा नहीं कर रही.

बता दें कि जो बसें पहले 50 हजार किलोमीटर चला करती थी, वो अभी महज 20 हजार किलोमीटर प्रतिदिन चल रही है. जेसीटीएसएल का बसों पर प्रतिदिन 10 लाख रुपए खर्च होता है. जबकि रेवेन्यू 3 लाख से भी कम है. ऐसे में अब यात्री भार को देखते हुए बसों के रूट को रिवाइज किया गया है और फिलहाल 104 बसों का ही संचालन किया जाएगा.

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जेसीटीएसएल पहले ही तीन से चार करोड़ रुपए प्रति महीना घाटे में चल रहा था और अब नुकसान पहले से भी ज्यादा हो रहा है. लॉकडाउन से पहले तक लो फ्लोर बसों में शहर के दो लाख यात्री सवार हुआ करते थे. वहां अब महज 10 हजार यात्री ही सफर कर रहे हैं. जिसका खामियाजा फिलहाल जेसीटीएसएल को भुगतना पड़ रहा है.

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