जयपुर. बाड़मेर में आरटीआई कार्यकर्ता पर हमले के मामले की जांच अब सीआईडी सीबी (cid cb probe attack on rti activist case barmer) करेगी. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मामले की जांच सीआईडी सीबी से कराने के निर्देश दे दिए हैं. इसके साथ सीएम गहलोत ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख (Cm gehlot wrote letter to pm) कर आरटीआई कार्यकर्ता की सुरक्षा को लेकर बने कानून की अधिसूचना जारी करने की भी मांग की है.
अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस अपराध रवि प्रकाश ने बताया कि घटना की जांच के लिए सीआईडी सीबी की एक टीम बाड़मेर रवाना कर दी गई है. बाड़मेर पहुंचने के बाद सीआईडी सीबी की टीम एसपी रैंक के अधिकारी की निगरानी में अनुसंधान करेगी. इसके साथ ही पुलिस मुख्यालय के स्तर से इस पूरे प्रकरण की मॉनिटरिंग की जाएगी और जांच के लिए जो भी उचित दिशा निर्देश होंगे वह जारी किए जाएंगे.
बता दें, पिछले दिनों बाड़मेर जिले के गिड़ा थाना क्षेत्र इलाके में आरटीआई कार्यकर्ता अमराराम का अज्ञात बदमाशों ने अपहरण कर बेरहमी से पिटाई कर दी. बर्बता की हद तो ये थी कि बदमाशों ने युवक के पैरों में कील ठोंक दी. पिटाई के बाद बदमाश अमराराम को सड़क किनारे अधमरी हालत में फेंककर फरार हो गए. फिलहाल अमराराम को जोधपुर के अस्पताल में भर्ती करवाया गया है जहां उसका इलाज चल रहा है.
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आरटीआई कार्यकर्ता पर हुए इस हमले को लेकर सामाजिक संगठनों में भी खासा रोष देखा जा रहा है इसको लेकर सामाजिक संगठनों ने एक खुला पत्र मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम भी लिखा था. गहलोत सरकार ने निर्णय लिया है कि आरटीआई कार्यकर्ता अमराराम के ऊपर हुए हमले की जांच सीआईडी सीबी से कराई जाएगी.
सीएम गहलोत ने पीएम को लिखा पत्र
सीएम गहलोत ने प्रधामंत्री को पत्र लिख कर आरटीआई कार्यकर्ता की सुरक्षा को लेकर बने कानून की अधिसूचना जारी करने की भी मांग की है. अपने पत्र ने सीएम गहलोत ने लिखा कि भारत सरकार ने पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार कम करने के लिए अनूठी पहल करते हुए सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 लागू किया, जिससे देश भर में भ्रष्टाचार और अव्यवस्था के खिलाफ काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं को सशक्त किया जा सके. इस विशेष कानून का मार्ग प्रशस्त करने में राजस्थान देश के उन शुरुआती राज्यों में था, जिसने अपने यहां सूचना का अधिकार अपने नागरिकों को पहले से ही दे रखा था.
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लेकिन कुछ समय से यह देखा जा रहा है कि इन व्हिसलब्लोअर्स और आरटीआई कार्यकर्ताओं की आवाज को दबाने के लिए हिंसा का सहारा लिया जा रहा है. सूचना प्रदाता संरक्षण अधिनियम, 2011 की धारा 25 में केन्द्र सरकार को नियम बनाने की शक्तियां दी गई हैं, लेकिन केन्द्र सरकार की ओर से अभी तक इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत नियम बनाकर अधिसूचित नहीं किया गया है.
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यही कारण है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठा रहे इन आरटीआई एक्टिविस्ट और व्हिसलब्लोअर्स पर हो रहे अत्याचार को रोकने का मैकेनिज्म विकसित नहीं हो पा रहा है. ऐसे में अनुरोध है कि केन्द्र सरकार देश भर के आरटीआई एक्टिविस्ट व्हिसलब्लोअर्स, सामाजिक कार्यकताओं और सिविल सोसाइटी के संरक्षण के लिए जल्द से जल्द उन अधिनियम के प्रावधानों के तहत शीघ्र नियम बनाकर सूचना प्रदाता संरक्षण अधिनियम 2014 को लागू किया जाए, जिससे दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जा सके.