जयपुर: राजस्थान में बच्चों के मरने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. प्रदेश में बच्चों की मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. कोटा के जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़कर रविवार को 110 पहुंच गया है. तो वहीं, कोटा के बाद जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर और भरतपुर में भी हालात बिगड़ रहे हैं. ऐसे में जहां सरकार लगातार अस्पतालों का दौरा करने में लगी है, वहीं विपक्ष गहलोत सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है.
कोटा: दिसंबर में 107 बच्चों की मौत
राजस्थान के कोटा में बच्चों के मरने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. कोटा के जेके लोन अस्पताल में दिसंबर महीने में 107 बच्चों की मौत हुई. वहीं, जेके लोन अस्पताल में बच्चों की मौत का आंकड़ा रविवार को बढ़कर 110 पहुंच गया है.
पढ़ें- कोटा के बाद सीएम सिटी का हाल भी बेहाल, 1 महीने में 146 बच्चों की मौत
जोधपुर: दिसंबर में 146 बच्चों की मौत
जोधपुर मेडिकल कॉलेज के एनआईसीयू और पीआईसीयू में वर्ष 2019 में 5 हजार 635 बच्चे भर्ती हुए, जिनमें 754 बच्चों की मौत हुई. वहीं, इन 754 बच्चों में अकेले दिसम्बर में मरने वाले बच्चों की संख्या 146 रही.
पढ़ें- राजस्थान : कोटा के बाद अब बीकानेर में 162 नवजातों की मौत, अस्पताल प्रशासन खामोश !
बीकानेर: दिसंबर में 162 बच्चों की मौत
बीकानेर की बात करें तो वर्ष 2019 में जिले के अस्पतालों में 17 हजार 234 बच्चों का जन्म हुआ, जिसमें पांच हजार 19 बच्चों को आईसीयू में भर्ती करवाया गया, उसमें से 658 बच्चों की मौत हो गई. हालांकि, 2019 में इसके अलावा अस्पताल में भर्ती हुए बच्चों की संख्या 25 हजार 876 के अनुपात में मरने वाले बच्चों की संख्या एक हजार 681 रही. वहीं, अकेले दिसम्बर महीने में 162 नवजातों की मौत हुई है.
पढ़ें- 'बच्चों को बचाओ': भरतपुर में 1 साल में 114 नवजातों की मौत, कब सुधरेंगे हालात?
भरतपुर: दिसंबर में 18 बच्चों की मौत
भरतपुर संभाग के सबसे बड़े जनाना अस्पताल के एनआईसीयू में भी हालात बदतर बने हुए हैं. सुविधा और जीवनदायी उपकरणों की मरम्मत के लिए तरस रहे जनाना अस्पताल के एनआईसीयू में बीते 1 साल में 114 नवजात जान गंवा चुके हैं. वहीं, बात करें दिसंबर महीने की तो अकेले दिसंबर महीने में 18 बच्चों की मौत हुई है.
पढ़ें- राजस्थान में मासूमों की मौतों का सिलसिला जारी, उदयपुर में भी रोजाना 3 से 5 मौतें
उदयपुर: साल 2019 में 1188 बच्चों की मौत
उदयपुर की बात करें तो पिछले 1 साल में लगभग 1188 बच्चों की मौत हो चुकी है. वहीं, पिछले 1 महीने की बात करें तो उदयपुर संभाग के सबसे बड़े सरकारी चिकित्सालय महाराणा भूपाल में प्रतिदिन 3 से 5 बच्चों की मौत का आंकड़ा सामने आया है.