जयपुर. केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण ने केंद्र सरकार और रेलवे प्रशासन को (Central Administrative Tribunal gave notice to Central Government) नोटिस जारी कर पूछा है कि मृत कर्मचारी की विधवा की मौत के बाद उसकी तलाकशुदा पुत्री को फैमिली पेंशन का लाभ क्यों नहीं दिया जा रहा है?. अधिकरण ने यह आदेश प्रेमलता उर्फ उर्मिला की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता हरेंद्र नील ने अधिकरण को बताया की याचिकाकर्ता के पिता रेलवे में ड्राइवर पद पर तैनात थे और फुलेरा में पदस्थापित थे. उनकी 4 मार्च 2002 को मौत हो गई थी. इसके बाद याचिकाकर्ता की विधवा मां को फैमिली पेंशन मिलने लगी. याचिकाकर्ता की ओर से 7 मार्च 2003 को फैमिली कोर्ट में अपने तलाक की अर्जी पेश की गई. तलाक का मामला लंबित रहने के दौरान याचिकाकर्ता की मां का 31 जनवरी 2007 को निधन हो गया.
इसके बाद 28 अगस्त 2008 को कोर्ट ने उसकी तलाक की डिक्री जारी की. याचिकाकर्ता ने जब फैमिली पेंशन के लिए आवेदन किया तो विभाग ने यह कहते हुए पेंशन देने से इनकार कर दिया की वह अपने माता-पिता की मौत के समय तलाकशुदा की श्रेणी में नहीं थी. याचिका में कहा गया की केंद्रीय कार्मिक मंत्रालय के पेंशन विभाग की ओर से 19 जुलाई 2017 को जारी ऑफिस मेमोरेंडम में यह माना गया है कि तलाक के मामले काफी लंबे चलते हैं. इसलिए अपने माता-पिता के जीवन काल मे तलाक की अर्जी पेश करने वाली महिलाएं भी फैमिली पेंशन की हकदार हैं.
यह मायने नहीं रखता की कोर्ट ने तलाक की डिग्री उसके माता-पिता की मौत के बाद पारित की है. याचिका में कहा गया की इस ऑफिस मेमोरेंडम के तहत याचिकाकर्ता फैमिली पेंशन की हकदार है, क्योंकि उसके अपनी मां की मौत से पहले ही तलाक की अर्जी पेश कर दी थी. जिस पर सुनवाई करते हुए अधिकरण ने केंद्र सरकार और रेलवे से जवाब तलब किया है.