जयपुर. राजधानी में जगह-जगह सड़क पर कचरा डिपो बने हुए हैं. खासतौर पर पुराने शहर में. यही नहीं शहर की सड़कों पर सीवरेज का गंदा पानी भी बहता हुआ देखा जा सकता है. इसके अलावा जयपुर को भले ही पहले ओडीएफ++ का दर्जा प्राप्त हो, लेकिन शहर के कई जोन में अब भी लोग खुले में शौच जाने से बाज नहीं आ रहे हैं.
शहर के ये हालात तो तब हैं, जब जयपुर नगर निगम आमजन को जागरूक करने लिये तमाम प्रयास कर रहा है. अधिकारी, कर्मचारी और बीवीजी कंपनी को स्वच्छता को लेकर निर्देशित किया हुआ है, लेकिन निगम के ये प्रयास फिलहाल नाकाफी साबित होते दिख रहे हैं. स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए केंद्र की टीम शहर में है. यहां ओडीएफ को लेकर जांच की जा रही है.
एडिशनल कमिश्नर अरुण गर्ग ने बताया, कि अभी जो टीम आई है, वो ओडीएफ++ के लिए आई है. उन्होंने बताया, कि ये टीम बिना किसी सूचना के अचानक जांच करती है. यही नहीं टीम को क्या और कहां जांच करनी है, इसकी सूचना उन्हें भी पहले नहीं होती. हर घंटे उन्हें जांच के लिए दिल्ली से सूचना दी जाती है. अरुण गर्ग ने भरोसा जताया, कि जिस तरह पहले ओडीएफ++ का दर्जा प्राप्त हुआ था, उसे मेंटेन किया जायेगा. जहां तक स्वच्छता सर्वेक्षण की बात है तो उन्होंने स्थिति पहले से बेहतर होने का दावा किया.
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वहीं निगम प्रशासक विजयपाल सिंह ने कहा, कि ऐसा प्रयास है, कि पिछली बार से ज्यादा अंक इस बार हासिल कर पाएं, चूंकि इसी आधार पर रैंकिंग निर्धारित होती है. उन्होंने कहा, कि जिन पैरामीटर्स के तहत जांच की जानी है, उन्हें बेहतर से बेहतर किया जा रहा है. हालांकि उन्होंने रोड पर फैले कचरे का कारण आम जनता में जागरूकता के अभाव को बताया. साथ ही उन्होंने आईईसी एक्टिविटी, समझाइश और पेनल्टी के जरिए लोगों को जागरूक करने का प्रयास करने की बात कही.
भले ही निगम प्रशासन अब आईईसी एक्टिविटीज तेज करने की बात कहे. भले ही सर्वेक्षण टीम के आने की जानकारी निगम प्रशासन को ना हो, लेकिन शहर की यही हकीकत यदि केंद्र की टीम के सामने आती है, तो इसका असर शहर की रैंकिंग पर पड़ना तय है.