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Special: स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए घूम रही केंद्रीय टीम, निगम प्रशासन बेसुध! - ओडीएफ रैंकिंग

स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए केंद्रीय टीम शहर में ओडीएफ का जायजा ले रही है. संभव है, कि दिल्ली से इसी दौरान उन्हें सफाई-व्यवस्था की जांच के भी निर्देश मिल जाएं, लेकिन इसके लिए जयपुरवासी तो क्या जयपुर नगर निगम भी तैयार नहीं है. यही वजह है, कि शहर की सड़कों पर कचरे के ढेर, तो सड़कों पर सीवरेज का गंदा पानी बह रहा है. यदि ये सब स्वच्छ सर्वेक्षण टीम के नजर में आया तो जयपुर की रैंकिंग बेहतर होने के बजाय गिरना तय है.

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जगह-जगह गंदगी का आलम
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Published : Dec 29, 2019, 8:37 AM IST

जयपुर. राजधानी में जगह-जगह सड़क पर कचरा डिपो बने हुए हैं. खासतौर पर पुराने शहर में. यही नहीं शहर की सड़कों पर सीवरेज का गंदा पानी भी बहता हुआ देखा जा सकता है. इसके अलावा जयपुर को भले ही पहले ओडीएफ++ का दर्जा प्राप्त हो, लेकिन शहर के कई जोन में अब भी लोग खुले में शौच जाने से बाज नहीं आ रहे हैं.

जगह-जगह गंदगी का आलम

शहर के ये हालात तो तब हैं, जब जयपुर नगर निगम आमजन को जागरूक करने लिये तमाम प्रयास कर रहा है. अधिकारी, कर्मचारी और बीवीजी कंपनी को स्वच्छता को लेकर निर्देशित किया हुआ है, लेकिन निगम के ये प्रयास फिलहाल नाकाफी साबित होते दिख रहे हैं. स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए केंद्र की टीम शहर में है. यहां ओडीएफ को लेकर जांच की जा रही है.

एडिशनल कमिश्नर अरुण गर्ग ने बताया, कि अभी जो टीम आई है, वो ओडीएफ++ के लिए आई है. उन्होंने बताया, कि ये टीम बिना किसी सूचना के अचानक जांच करती है. यही नहीं टीम को क्या और कहां जांच करनी है, इसकी सूचना उन्हें भी पहले नहीं होती. हर घंटे उन्हें जांच के लिए दिल्ली से सूचना दी जाती है. अरुण गर्ग ने भरोसा जताया, कि जिस तरह पहले ओडीएफ++ का दर्जा प्राप्त हुआ था, उसे मेंटेन किया जायेगा. जहां तक स्वच्छता सर्वेक्षण की बात है तो उन्होंने स्थिति पहले से बेहतर होने का दावा किया.

यह भी पढ़ें : नवजात बच्चों की मौत पर CM का बयान- पिछले 6 सालों में इस साल सबसे कम मौतें

वहीं निगम प्रशासक विजयपाल सिंह ने कहा, कि ऐसा प्रयास है, कि पिछली बार से ज्यादा अंक इस बार हासिल कर पाएं, चूंकि इसी आधार पर रैंकिंग निर्धारित होती है. उन्होंने कहा, कि जिन पैरामीटर्स के तहत जांच की जानी है, उन्हें बेहतर से बेहतर किया जा रहा है. हालांकि उन्होंने रोड पर फैले कचरे का कारण आम जनता में जागरूकता के अभाव को बताया. साथ ही उन्होंने आईईसी एक्टिविटी, समझाइश और पेनल्टी के जरिए लोगों को जागरूक करने का प्रयास करने की बात कही.

भले ही निगम प्रशासन अब आईईसी एक्टिविटीज तेज करने की बात कहे. भले ही सर्वेक्षण टीम के आने की जानकारी निगम प्रशासन को ना हो, लेकिन शहर की यही हकीकत यदि केंद्र की टीम के सामने आती है, तो इसका असर शहर की रैंकिंग पर पड़ना तय है.

जयपुर. राजधानी में जगह-जगह सड़क पर कचरा डिपो बने हुए हैं. खासतौर पर पुराने शहर में. यही नहीं शहर की सड़कों पर सीवरेज का गंदा पानी भी बहता हुआ देखा जा सकता है. इसके अलावा जयपुर को भले ही पहले ओडीएफ++ का दर्जा प्राप्त हो, लेकिन शहर के कई जोन में अब भी लोग खुले में शौच जाने से बाज नहीं आ रहे हैं.

जगह-जगह गंदगी का आलम

शहर के ये हालात तो तब हैं, जब जयपुर नगर निगम आमजन को जागरूक करने लिये तमाम प्रयास कर रहा है. अधिकारी, कर्मचारी और बीवीजी कंपनी को स्वच्छता को लेकर निर्देशित किया हुआ है, लेकिन निगम के ये प्रयास फिलहाल नाकाफी साबित होते दिख रहे हैं. स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए केंद्र की टीम शहर में है. यहां ओडीएफ को लेकर जांच की जा रही है.

एडिशनल कमिश्नर अरुण गर्ग ने बताया, कि अभी जो टीम आई है, वो ओडीएफ++ के लिए आई है. उन्होंने बताया, कि ये टीम बिना किसी सूचना के अचानक जांच करती है. यही नहीं टीम को क्या और कहां जांच करनी है, इसकी सूचना उन्हें भी पहले नहीं होती. हर घंटे उन्हें जांच के लिए दिल्ली से सूचना दी जाती है. अरुण गर्ग ने भरोसा जताया, कि जिस तरह पहले ओडीएफ++ का दर्जा प्राप्त हुआ था, उसे मेंटेन किया जायेगा. जहां तक स्वच्छता सर्वेक्षण की बात है तो उन्होंने स्थिति पहले से बेहतर होने का दावा किया.

यह भी पढ़ें : नवजात बच्चों की मौत पर CM का बयान- पिछले 6 सालों में इस साल सबसे कम मौतें

वहीं निगम प्रशासक विजयपाल सिंह ने कहा, कि ऐसा प्रयास है, कि पिछली बार से ज्यादा अंक इस बार हासिल कर पाएं, चूंकि इसी आधार पर रैंकिंग निर्धारित होती है. उन्होंने कहा, कि जिन पैरामीटर्स के तहत जांच की जानी है, उन्हें बेहतर से बेहतर किया जा रहा है. हालांकि उन्होंने रोड पर फैले कचरे का कारण आम जनता में जागरूकता के अभाव को बताया. साथ ही उन्होंने आईईसी एक्टिविटी, समझाइश और पेनल्टी के जरिए लोगों को जागरूक करने का प्रयास करने की बात कही.

भले ही निगम प्रशासन अब आईईसी एक्टिविटीज तेज करने की बात कहे. भले ही सर्वेक्षण टीम के आने की जानकारी निगम प्रशासन को ना हो, लेकिन शहर की यही हकीकत यदि केंद्र की टीम के सामने आती है, तो इसका असर शहर की रैंकिंग पर पड़ना तय है.

Intro:जयपुर - स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए केंद्र की टीम शहर में ओडीएफ का जायजा ले रही है। संभव है कि दिल्ली से इसी दौरान उन्हें सफाई व्यवस्था की जांच के भी निर्देश मिल जाए। लेकिन इसके लिए जयपुरवासी तो क्या जयपुर नगर निगम भी तैयार नहीं है। यही वजह है कि शहर की सड़कों पर कचरे के ढेर, तो सड़कों पर सीवरेज का गंदा पानी बह रहा है। और यदि ये सब स्वच्छ सर्वेक्षण टीम के नजर में आया तो जयपुर की रैंकिंग बेहतर होने के बजाय गिरना तय है।


Body:जयपुर शहर में जगह-जगह सड़क पर कचरा डिपो बने हुए हैं। खासतौर पर पुराने शहर में। यही नहीं शहर की सड़कों पर सीवरेज का गंदा पानी भी बहता हुआ देखा जा सकता है। इसके अलावा जयपुर को भले ही पूर्व में ओडीएफ++ का दर्जा प्राप्त हो। लेकिन शहर के कई जोन में अभी भी लोग खुले में शौच जाने से बाज नहीं आ रहे। शहर के ये हालात तो तब है जब जयपुर नगर निगम आमजन को जागरूक करने लिये तमाम प्रयास कर रहा है। अधिकारी, कर्मचारी और बीवीजी कंपनी को स्वच्छता को लेकर निर्देशित किया हुआ है। लेकिन निगम के ये प्रयास फिलहाल नाकाफी साबित होते दिख रहे हैं। कारण है कि स्वच्छ सर्वेक्षण के लिए केंद्र की टीम शहर में है। यहां ओडीएफ को लेकर जांच की जा रही है। इस संबंध में एडिशनल कमिश्नर अरुण गर्ग ने बताया कि अभी जो टीम आई हुई है वो ओडीएफ++ के लिए आई हुई है। उन्होंने बताया कि ये टीम बिना किसी सूचना के अचानक जांच करती है, यही नहीं टीम को क्या और कहां जांच करनी है, इसकी सूचना उन्हें भी पूर्व में नहीं होती। हर घंटे उन्हें जांच के लिए दिल्ली से सूचना दी जाती है। अरुण गर्ग ने भरोसा जताया कि जिस तरह पहले ओडीएफ++ का दर्जा प्राप्त हुआ था, उसे मेंटेन किया जायेगा। जहाँ तक स्वच्छता सर्वेक्षण की बात है तो उन्होंने स्थिति पहले से बेहतर होने का दावा किया।
बाईट - अरुण गर्ग, एडिशनल कमिश्नर

वहीं निगम प्रशासक विजयपाल सिंह ने कहा कि प्रयास है पिछली बार से ज्यादा अंक इस बार हासिल कर पाए। चूंकि इसी के आधार पर रैंकिंग निर्धारित होती है। उन्होंने कहा कि जिन पैरामीटर्स के तहत जांच की जानी है, उन्हें बेहतर से बेहतर किया जा रहा है। हालांकि उन्होंने रोड पर फैले कचरे का कारण आम जनता में जागरूकता के अभाव को बताया। और ऐसे में अब आईईसी एक्टिविटी, समझाइश और पेनल्टी के जरिए लोगों को जागरूक करने का प्रयास करने की बात कही।
बाईट - विजयपाल सिंह, प्रशासक, नगर निगम


Conclusion:भले ही निगम प्रशासन अब आईईसी एक्टिविटीज तेज करने की बात कहे। भले ही सर्वेक्षण टीम के आने की जानकारी निगम प्रशासन को ना हो। लेकिन शहर की यही हकीकत यदि केंद्र की टीम के सामने आती है, तो इसका असर शहर की रैंक पर पड़ना तय है।
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