जयपुर. कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन से जुड़ी किल्लत अस्पतालों में सबसे अधिक देखने को मिली थी. ऑक्सीजन के लिए त्राहिमाम शुरू हो गया था. ऐसे में सही समय पर ऑक्सीजन नहीं मिलने पर कुछ मरीजों की जान तक चली गई थी. जिसके बाद अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने की कवायद अब सरकार की ओर से शुरू कर दी गई है. ऐसे में जयपुरिया अस्पताल में 250 सिलेंडर की क्षमता वाला एक ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किया जाएगा और अब तक इस सरकारी अस्पताल के सामान्य वार्ड ऑक्सीजन की सेंट्रल लाइन से कनेक्ट नहीं थे तो उन्हें भी सेंट्रल लाइन से कनेक्ट किया जाएगा.
जयपुरिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुनीत राणावत का कहना है कि कोरोना में जयपुरिया अस्पताल को डेडीकेटेड कोविड-19 अस्पताल के रूप में तब्दील किया गया था. इस दौरान ऑक्सीजन की सप्लाई से जुड़ी समस्या का सबसे अधिक सामना करना पड़ रहा था. इसी बीच अस्पताल प्रशासन की ओर से ऑक्सीजन प्लांट लगाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया. जिसके बाद एक ऑक्सीजन प्लांट अस्पताल में स्थापित हो चुका है, जबकि 250 सिलेंडर की क्षमता वाला एक अन्य ऑक्सीजन प्लांट जल्द ही अस्पताल में स्थापित किया जाएगा. जिसका प्रस्ताव सरकार को भेजा जा चुका है. ऐसे मे ऑक्सीजन उत्पादन में अस्पताल आत्मनिर्भर बन जाएगा.
वार्ड जुड़ेंगे ऑक्सीजन सेंट्रलाइज सिस्टम से
डॉ. सुनीत राणावत का कहना है कि अस्पताल में तकरीबन 300 बेड पर कोरोना मरीजों का इलाज किया गया. लेकिन सबसे बड़ी समस्या यह देखने में आई है कि अस्पताल में सेंट्रलाइज ऑक्सीजन पाइप लाइन नहीं है. ऐसे में सिलेंडर के माध्यम से ही मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराई गई. जिसे देखते हुए अब अस्पताल के सभी वार्ड में लगाए गए बेडों पर सेंट्रलाइज ऑक्सीजन सिस्टम के जरिए मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध कराई जाएगी. कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए अस्पताल में बच्चों के इलाज से जुड़े संसाधन जुटाए जा रहे हैं.