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जयपुरः CAA, NRC का विरोध प्रदर्शन 21वें दिन भी रहा जारी, धरने में शरीक हुईं अरुंधति रॉय

जयपुर में CAA, NRC और NPR के विरोध में चल रहा धरना प्रदर्शन गुरुवार को 21वें दिन भी जारी रहा. गुरुवार को इस धरने को संबोधित करने साहित्यकार और लेखिका अरुंधति रॉय पहुंची.

CAA, NRC, जयपुर न्यूज, jaipur news
CAA, NRC का विरोध प्रदर्शन
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Published : Feb 21, 2020, 5:00 AM IST

Updated : Feb 21, 2020, 9:05 AM IST

जयपुर. दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज एमआई रोड स्थित शहीद स्मारक पर CAA, NRC और NPR के विरोध में चल रहा धरना प्रदर्शन गुरुवार को 21वें दिन भी जारी रहा. गुरुवार को इस धरने को संबोधित करने साहित्यकार और लेखिका अरुंधति रॉय पहुंची.

CAA, NRC का विरोध प्रदर्शन

धरने को संबोधित करते हुए अरुंधति रॉय ने कहा कि, इस आंदोलन में हमको अपने आप को तकलीफ नहीं पहुंचानी है. हमें जिंदगी भर सड़क पर नहीं बैठना है. जिंदगी भर सड़क पर बैठे तो ये उनकी जीत होगी, लेकिन जब हमें लड़ना है तो हमें बाहर निकलना होगा. हमें एक ऐसे समाज के लिए लड़ेंगे, जहां सबको न्याय मिलेगा.

पढ़ें. बीकानेर नगर निगम की स्वच्छता टीम ने प्रतिबंधित पॉलिथीन के गोदाम पर की कार्रवाई

उन्होंने कहा, जब नर्मदा का पानी किसानों के खेतों में आता है और खेत डूब जाते है, तो मेरा दिमाग में वह पानी आ जाता है, मेरा दिमाग भी डूब जाता है, मेरी किताब भी डूब जाती है. मैं आपके लिए नहीं अपने आप के लिए लड़ने आई हूं. किताबें लिखना आसान काम नहीं है, अकेले बैठ कर सालों साल लिखना होता है. किताबी लिखती हूं उसी से पैसे कमाती हूं, लेकिन जब लड़ाई का वक्त आता है तो लड़ने भी आती हूं. महिलाओं को घर में काम भी करना है, बच्चों को पढ़ाना भी है और जब जरूरत पड़ेगी तो लड़ने भी आना है.

जयपुर. दिल्ली के शाहीन बाग की तर्ज एमआई रोड स्थित शहीद स्मारक पर CAA, NRC और NPR के विरोध में चल रहा धरना प्रदर्शन गुरुवार को 21वें दिन भी जारी रहा. गुरुवार को इस धरने को संबोधित करने साहित्यकार और लेखिका अरुंधति रॉय पहुंची.

CAA, NRC का विरोध प्रदर्शन

धरने को संबोधित करते हुए अरुंधति रॉय ने कहा कि, इस आंदोलन में हमको अपने आप को तकलीफ नहीं पहुंचानी है. हमें जिंदगी भर सड़क पर नहीं बैठना है. जिंदगी भर सड़क पर बैठे तो ये उनकी जीत होगी, लेकिन जब हमें लड़ना है तो हमें बाहर निकलना होगा. हमें एक ऐसे समाज के लिए लड़ेंगे, जहां सबको न्याय मिलेगा.

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उन्होंने कहा, जब नर्मदा का पानी किसानों के खेतों में आता है और खेत डूब जाते है, तो मेरा दिमाग में वह पानी आ जाता है, मेरा दिमाग भी डूब जाता है, मेरी किताब भी डूब जाती है. मैं आपके लिए नहीं अपने आप के लिए लड़ने आई हूं. किताबें लिखना आसान काम नहीं है, अकेले बैठ कर सालों साल लिखना होता है. किताबी लिखती हूं उसी से पैसे कमाती हूं, लेकिन जब लड़ाई का वक्त आता है तो लड़ने भी आती हूं. महिलाओं को घर में काम भी करना है, बच्चों को पढ़ाना भी है और जब जरूरत पड़ेगी तो लड़ने भी आना है.

Last Updated : Feb 21, 2020, 9:05 AM IST
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