जयपुर. ग्रेटर नगर निगम की महापौर डॉ. सौम्या गुर्जर के निलंबन के बाद उनके पति राजाराम गुर्जर का बीवीजी कंपनी के साथ डील करते हुए वायरल हो रहे वीडियो का कंपनी के प्रोजेक्ट हेड ने खंडन किया है. वहीं जयपुर शहर सांसद भी राजाराम गुर्जर के बचाव में उतरे हैं. उधर, इन सबके बीच राजाराम गुर्जर ने सांगानेर थाने में एफआईआर दर्ज कर वायरल वीडियो को फर्जी बताते हुए शुक्रवार को होने वाली जांच को प्रभावित करने के लिए बनाया गया वीडियो बताया है. साथ ही मामले की जांच कर साजिशकर्ता के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है.
डॉ. सौम्या गुर्जर के पति राजाराम के वायरल हो रहे वीडियो का बीवीजी इंडिया लिमिटेड (BVG India Ltd.) ने खंडन किया है. उन्होंने इस वीडियो में दिखाई जा रही चर्चा सीएसआर फंड के तहत प्रताप गौरव केंद्र को दिए जाने वाले सहयोग के बारे में बताया है. साथ ही कहा कि इस दौरान हुई चर्चा को गलत संदर्भ में जोड़ा जा रहा है. प्रोजेक्ट हेड ओंकार सप्रे ने बताया कि बीवीजी का किसी संस्था या संस्था से जुड़े व्यक्ति के साथ कोई लेन-देन की बात न हुई, न कोई लेन-देन हुआ. बीवीजी एक प्रामाणिक कंपनी है, जो किसी तरह के लेनदेन और भ्रष्टाचार पर विश्वास नहीं करती.
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वहीं जयपुर सांसद रामचरण बोहरा भी राजाराम गुर्जर के बचाव में उतरे हैं. उन्होंने कहा कि वीडियो बिल्कुल फर्जी है. शुक्रवार को न्यायालय में सुनवाई होनी है. इसे प्रभावित करने के लिए सरकार के इशारे पर ये वीडियो तैयार किया गया है. बीजेपी इस लड़ाई को मजबूती के साथ लड़ेगी और जवाब देगी.
वहीं राजाराम गुर्जर ने सांगानेर पुलिस थाने में वायरल हो रहे वीडियो को फर्जी और फैब्रिकेटेड बताते हुए एफआईआर दर्ज कराई है. उन्होंने एफआईआर में लिखा है कि 11 जून को न्यायालय में होने वाली सुनवाई को प्रभावित करने और उनकी पत्नी की प्रतिष्ठा को न्यायालय के समक्ष अनुचित रूप से प्रकट करने के उद्देश्य से झूठा वीडियो कांट-छांट कर बनाया गया है.
उन्होंने एफआईआर में लिखा कि निगम राजस्व उपायुक्त नवीन भारद्वाज के कमरे के बाहर किसी स्थान पर रखकर विभिन्न समाचार पत्रों के पत्रकारों और अन्य लोगों को ये वीडियो क्लिप उपलब्ध कराई गई है. उन्होंने बीवीजी कंपनी के संदीप चौधरी और निगम के कुछ अधिकारियों पर साजिश करने का आरोप लगाते हुए, साजिशकर्ताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है.
क्या है पूरा मामला
साल 2017 में तत्कालीन महापौर अशोक लाहोटी ने राजधानी में BVG कंपनी के जरिए डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने की योजना की शुरुआत की थी. राजधानी में करीब 527 डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाली गाड़ियां संचालित हैं. इनमें से BVG की गाड़ियां महज 106 हैं, जबकि 421 गाड़ियां उन वेंडर्स की हैं जिन्हें BVG ने सबलेट किया है, जोकि नियम विरुद्ध है.
BVG कंपनी को नगर निगम प्रशासन ने जो काम सौंपा था, उसमें शर्तों की पालना नहीं हुई. बावजूद इसके BVG कंपनी ने अधूरे काम के 300 करोड़ से ज्यादा के बिल निगम को सौंप दिए. 100 फीसदी डोर टू डोर कचरा संग्रहण, कचरे का सेग्रीगेशन, हूपर्स में ट्रैकिंग सिस्टम, वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन बनाकर मैकेनाइज सिस्टम से डंपिंग यार्ड तक कचरा पहुंचाने और शहर में ओपन कचरा डिपो हटाने जैसी शर्तों के साथ, BVG कंपनी को नगर निगम प्रशासन की ओर से काम सौंपा गया था, लेकिन इन शर्तों की पालना नहीं हुई. बावजूद इसके BVG कंपनी ने अधूरे काम के 300 करोड़ से ज्यादा के बिल निगम को सौंप दिए.
बता दें, BVG कंपनी देश के 70 से ज्यादा शहरों में काम कर रही है और जिसका सालाना टर्नओवर 2000 करोड़ से ज्यादा का है. कंपनी का दावा है कि निगम पर 302 करोड़ का बकाया है, लेकिन लूप पोल ये है कि 2 वर्षों से कंपनी के काम की थर्ड पार्टी से निगरानी ही नहीं हुई. ऐसे में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि जब बिलों का वेरिफिकेशन ही नहीं हुआ है, तो उसका भुगतान कैसे हो रहा है. बताया जा रहा है इसी बिल में से 276 करोड़ रुपए के बकाया भुगतान को लेकर कथित डील हुई जिसके ऑडियो और वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं.