जयपुर. रीट परीक्षा अनियमितता मामले में भाजपा लगातार सरकार पर सीबीआई जांच की मांग का दबाव बना रही है. इस बीच भाजयुमो कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा के सिविल लाइंस स्थित सरकारी निवास पर काले रंग से 'नाथी का बाड़ा' लिख (BJYM workers wrote Nathi Ka Bada on Dotasra house) दिया. भाजयुमो कार्यकर्ता इस कार्रवाई को अंजाम देने के बाद तुरंत सिविल लाइंस इलाके से भाग गए. वे प्रदेश भाजपा मुख्यालय पहुंचने के बाद नारेबाजी करने लगे. मामले में कुछ देर बाद भाजयुमो कार्यकर्ताओं को पकड़ने के लिए पुलिस भी पहुंची थी लेकिन कई भाजपा नेताओं के हस्तक्षेप के बाद लौट गई.
इस कार्रवाई को अंजाम देने वाले भाजयुमो के प्रदेश पदाधिकारियों के साथ सीकर के मोर्चे से जुड़े पदाधिकारी भी शामिल थे. जो काले रंग की गाड़ी में सवार होकर डोटासरा के निवास पर पहुंचे और यहां प्री प्लानिंग के तहत 'नाथी का बाड़ा' लिखकर भाग गए.
डोटासरा के निवास पर तैनात सुरक्षाकर्मी उन्हें रोकते उससे पहले वह गाड़ी में बैठ कर वहां से भाग गए. हालांकि भाजपा मुख्यालय पहुंचने के बाद इन्होंने खुलकर इस कार्रवाई को अंजाम देने की बात स्वीकार की. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार रीट की परीक्षा में अनियमितता हुई और भाजयुमो कार्यकर्ताओं पर लाठियां बरसाई उसके विरोध में यह कार्रवाई की गई है. भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष हिमांशु शर्मा ने कहा लोकतंत्र में अपना विरोध जाहिर करने के तरीके कुछ भी हो सकते हैं और युवा मोर्चा कार्यकर्ताओं ने यही तरीका अपनाया है.
नाथी बाई के नाम पर बनी कहावत' : नाथी का बाड़ा' कहावत नाथी बाई के नाम पर पड़ी है. नाथी बाई के जन्म का इतिहास करीब 200 साल पुराना है. उनका पैतृक गांव पाली जिले में रोहट तहसील का भांगेसर गांव है. उनका परिवार आज भी इस गांव में रहता है. रियासत काल में बना नाथी का बाड़ा यानी मकान के जीर्ण-शीर्ण होने के बाद उनके परिवार के सदस्यों ने अब उसे नया रूप देकर निखार दिया है. मकान के प्रवेश द्वार पर ही पत्थर पर उनका नाम लिखा हुआ है.
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जिस गली में मकान है गली के शुरूआत होते ही नाथी मां की ओर से पुत्री की शादी में व्रत पालन के दौरान निर्मित कराया गया चबूतरा आज भी विद्यमान है. उनका हाल ही में परिजनों की ओर से जीर्णोद्धार करवाया गया है. कहा जाता है कि नाथी बाई ने पुत्री के विवाह के दौरान अपने आसपास के साथ गांव को आमंत्रित किया था. जिसमें स्नेह भोज में घी की नदियां बहती थी. इतना उपयोग में लिया गया कि गांव के मुख्य द्वार तक जी की नाली गई थी.
लोगों ने कहावत को दी गलत उपमा, जरूरतमंदों के लिए थी: 'नाथी का बाड़ा' जैसी कहावत को लोगों ने गलत उपमा दे दी, लेकिन नाथी मां का जीवन जरूरतमंदों की मदद और समाज सेवा से जुड़ा हुआ था. घर से नाथी मां पैसा या अनाज ले जाने और वापस जमा कराने वालों पर ना तो हाथ लगाती थीं, ना ही गिनने का ध्यान देती थीं. सब कुछ जरूरतमंदों की ईमानदारी पर ही हिसाब लिखा था. इसी कारण यह कहावत प्रचलित हुई कि यह क्या नाथी का बाड़ा है या इसे क्या नाथी का बाड़ा समझ रखा है. यह नाथी मां के जीवन चरित्र को चरितार्थ करती थी. नाथी मां के निधन को 100 साल से अधिक का समय हो गया है. उनकी समाधि आज भी स्थित है. साथ ही उनके पढ़े पोते उनके घर में आज भी रहते हैं.
भाजपा मुख्यालय पहुंची पुलिस, राठौड़-चतुर्वेदी ने संभाला मोर्चाः पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा के सरकारी निवास पर भाजयुमो कार्यकर्ताओं की ओर से 'नाथी का बाड़ा' लिखे जाने के मामले ने सियासी तूल पकड़ लिया है. घटना के बाद भाजपा मुख्यालय में दो गाड़ियों में पुलिस अधिकारी और जवान पहुंचे. आशंका थी उन युवा मोर्चा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने की, जिन्होंने डोटासरा के निवास पर यह लिखा था. हालांकि सूचना मिलने पर वरिष्ठ नेता राजेंद्र राठौड़ और अरुण चतुर्वेदी ने आकर मोर्चा संभाला.
उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रहे डॉ. अरुण चतुर्वेदी के पहुंचने के साथ ही जयपुर शहर भाजपा अध्यक्ष , उपमहापौर पुनीत कर्णावत, भाजपा मीडिया प्रभारी पंकज जोशी समेत कई कार्यकर्ता पहुंच गए. उन्होंने युवा मोर्चा कार्यकर्ताओं को प्रोटेक्ट किया. राजेंद्र राठौड़ ने पुलिस अधिकारी भोपाल सिंह भाटी को यह तक कह दिया कि राजनीतिक कार्यालय में पुलिस की इस चहलकदमी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
कार्यकर्ताओं ने ऐसा कोई गुनाह नहीं किया. जिसके लिए उन्हें गिरफ्तार करने पुलिस अधिकारी भाजपा मुख्यालय तक पहुंचें. राठौड़ ने कहा नाथी का बाड़ा उस महान देवी का स्थान है, जिसे आज भी श्रद्धा से लोग पूजते हैं. यदि किसी ने नाथी का बाड़ा डोटासरा के निवास के बाहर लिख भी दिया तो इसमें बुरा मानने वाली कौन सी बात है?. राठौड़ ने कहा यदि पुलिस ने ऐसी कोई भी हरकत की तो भाजपा कार्यकर्ताओं ने भी चूड़ियां नहीं पहन रखी हैं.