जयपुर. धरियावद-वल्लभनगर उपचुनाव की हार का दंश झेल चुकी भाजपा के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का जयपुर (Amit Shah visit to Jaipur) दौरा नया जोश भरकर गया है. अमित शाह ने अपने जयपुर दौरे के दौरान भाजपा को मिशन 2023 चुनाव की रणनीति के लिए जो जीत का 'मंत्र' दिया था उसकी पहली परीक्षा राज्य के 4 जिलों में होने वाले पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव में होगी. पंचायत चुनाव परिणामों से ही पता चल जाएगा कि भाजपा के मिशन-2023 की तैयारियों की धरातल पर क्या स्थिति है?
राजस्थान भाजपा को दिया गया शाह मंत्र 4 जिलों में होने वाले पंचायत चुनाव में भाजपा को जीत दिला पाएगा या नहीं इस पर सबकी नजरें रहेगी. वो इसलिए क्योंकि ये चुनाव भले ही छोटे हो लेकिन अब इन चुनावों पर अमित शाह की प्रतिष्ठा भी जुड़ गई है. जिन 4 जिलों में ये पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव होने हैं उस क्षेत्र में कुल 20 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें से महज 7 पर बीजेपी के विधायक हैं जबकि अधिकतर स्थानों पर कांग्रेस के विधायक काबिज है.मतलब साफ है पंचायत चुनावों में भाजपा की राह आसान नहीं है.
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करौली में तो 4 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा का 1 भी विधायक नहीं है. वहीं बारां जिले की 4 में से महज 1 विधानसभा सीट छबड़ा में भाजपा विधायक हैं. हालांकि श्रीगंगानगर और कोटा जिले में इन चुनाव के तहत आने वाली 6-6 विधानसभा क्षेत्रों में से 3-3 पर भाजपा और कांग्रेस के विधायक काबिज है. मतलब इन चुनाव में अधिकतर जिम्मेदारी क्षेत्रीय विधायक संभालते हैं लेकिन यहां पर विधायकों की दृष्टि से भाजपा की स्थिति कांग्रेस की तुलना में कमजोर है.
पंचायत चुनावों में अमित शाह की प्रतिष्ठा दांव पर
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का 5 दिसंबर को जयपुर दौरे पर रहे थे. इस दौरान उन्होंने प्रदेश भर के भाजपा से जुड़े जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों को संबोधित कर मिशन-2023 की जीत का मंत्र दिया था, लेकिन जीत का यह मंत्र राजस्थान भाजपा नेताओं को कितनी ताकत देकर गया इसका फैसला शाह के दौरे के तुरंत बाद होने जा रहे 4 जिलों के पंचायत राज चुनाव का परिणाम करेगा. इन जिलों में 12 दिसंबर 15 दिसंबर और 18 दिसंबर को मतदान होगा. ऐसे में जो परिणाम आएगा उससे यह भी पता चल जाएगा कि अमित शाह के दौरे का राजस्थान भाजपा को कोई सियासी फायदा मिला या नहीं. मतलब पंचायत राज चुनाव में इन जिलों से आने वाले 7 भाजपा विधायक और 4 सांसदों के साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की भी साख दांव पर लगी है.
3 चरणों में होंगे पंचायत चुनाव
प्रदेश में करौली, श्रीगंगानगर, कोटा और बारां में 12 से 18 दिसंबर को 3 चरणों में पंचायत चुनाव होने हैं, लेकिन इन चारों जिलों में साल 2015 में हुए पंचायत राज चुनाव की स्थिति देखी जाए तो तब श्रीगंगानगर जिले को छोड़ अन्य 3 जिलों में कांग्रेस का पलड़ा यहां भारी रहा था. पिछले चुनाव में बारां और श्रीगंगानगर में भाजपा का जिला प्रमुख बना था तो वहीं करौली और कोटा में कांग्रेस का जिला प्रमुख बना था. इन चारों ही जिलों में कुल 27 पंचायत समितियां थी जिनमें 16 पंचायत समितियों में कांग्रेस के प्रधान बने थे जबकि 10 पंचायत समितियों में भाजपा अपना प्रधान बनाने में कामयाब रही थी. हालांकि अब 3 नई पंचायत समितियां और बन चुकी है मतलब इन 4 जिलों में 30 पंचायत समितियों में चुनाव होंगे.
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साल 2015 चुनाव में पंचायत समितियों में कोटा जिले की कुल 5 पंचायत समितियों में से 2 में भाजपा और तीन में कांग्रेस का कब्जा था. मतलब यहां तीन पंचायत समितियों में कांग्रेस का प्रधान बना.
करौली जिले की कुल 6 पंचायत समितियों में 2 में भाजपा और 4 में कांग्रेस का प्रधान बना. श्रीगंगानगर की कुल 9 पंचायत समितियों में से 5 में भाजपा और 3 में कांग्रेस का दबदबा रहा. 1 पंचायत समिति निर्दलीय के खाते में रही. इसी प्रकार बारां जिले की कुल 7 पंचायत समितियों में से एक पर भाजपा जबकि 6 पर कांग्रेस का कब्जा रहा और प्रधान बने थे.