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गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार-पुनर्गठन की कवायद के बीच BJP का एलान, 'संसदीय सचिव बनाए तो लड़ेंगे कानूनी लड़ाई'

राजस्थान कांग्रेस (Rajasthan Congress) और सरकार में चल रही उठापटक के बीच कांग्रेस प्रभारी अजय माकन (Ajay Maken) और वरिष्ठ नेता वेणुगोपाल राजस्थान में हैं. मंत्रिमंडल विस्तार (Cabinet Expansion) और पुनर्गठन की कवायद शुरू हो चुकी है. इस बीच भाजपा ने यह साफ कर दिया है कि यदि गहलोत सरकार ने संसदीय सचिव (Parliamentary Secretary) बनाए तो वह इसके खिलाफ कोर्ट जाएगी.

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'संसदीय सचिव बनाए तो लड़ेंगे कानूनी लड़ाई'
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Published : Jul 25, 2021, 4:20 PM IST

Updated : Jul 25, 2021, 4:53 PM IST

जयपुर: ईटीवी भारत से खास बातचीत में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ (Deputy Leader of Opposition Rajendra Rathore) ने कहा है कि संसदीय सचिव (Parliamentary Secretary) मनोनीत या नियुक्त किए तो यह सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेशों की अवहेलना होगी. यह आर्टिकल 141 को धता बताकर किया गया काम होगा. आज की तारीख में ऐसे दर्जनों सुप्रीम कोर्ट के फैसले हैं, जो संसदीय सचिवों की नियुक्ति के खिलाफ हैं. यदि गहलोत सरकार (Gehlot Government) संसदीय सचिवों की नियुक्ति करती है तो हम उसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे.

वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) सरकार के कार्यकाल में भी संसदीय सचिवों की नियुक्ति की गई थी. इस सवाल पर राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि तब भी मामला कोर्ट में गया था. हालांकि निर्णय नहीं आया. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के ऐसे कई फैसले आ गए, जिसमें संसदीय सचिवों की नियुक्ति को गलत माना गया है.

'संसदीय सचिव बनाए तो लड़ेंगे कानूनी लड़ाई'

पढ़ें: राजस्थान में सियासी हवा ने बदला रुख : पैगाम लाये डाकिए, चिट्ठी लेकर दिल्ली लौटे

'राजनीति के जादूगर का फेल हो रहा इंद्रजाल'

राजेंद्र राठौड ने कहा कि मुझे नहीं लगता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) मंत्रिमंडल के पुनर्गठन का साहस कर पाएंगे. यदि गहलोत साहस करते हैं तो हमारी शुभकामनाएं उनके साथ रहेगी. क्या पता मंत्रिमंडल विस्तार के बाद गवर्नेंस में कुछ सुधार हो जाए और जनता को राहत मिल जाए?

राठौर ने यह भी कहा कि प्रदेश कांग्रेस और सरकार अंतर्विरोध से घिरी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राजनीति का जादूगर कहते हैं, लेकिन उनकी जादूगरी का इंद्रजाल भी इस बार फेल हो गया. अजय माकन और वेणुगोपाल कई बार फेरे लगा चुके हैं. सचिन पायलट दिल्ली में आलाकमान के सामने कई बार अपनी व्यथा बता चुके हैं लेकिन यह प्रसव पीड़ा अबतक समाप्त नहीं हुई है.

कई विधायकों ने सिलवा ली शेरवानी

राजेंद्र राठौड़ ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री ने अपनी जादूगरी से बीएसपी को कांग्रेस में मिला लिया. दो बार बीएसपी के टिकट से जीत कर आए विधायकों को कांग्रेस में शामिल कर अपनी जादूगरी का सबूत भी दे दिया. 13 निर्दलीय विधायकों को भी सत्ता की चमक दिखाकर मुख्यमंत्री गहलोत ने सरकार की तरफ आकर्षित कर लिया. कांग्रेस को समर्थन देने वाले और कांग्रेस के भीतर ऐसे कई विधायक हैं, जिन्हें सत्ता के विकेंद्रीकरण के नाम पर जल्द ही सत्ता में भागीदारी देने का आश्वासन दिया गया था. ऐसे में मुझे नहीं लगता कि मुख्यमंत्री सरकार के पुनर्गठन या विस्तार का साहस कर पाएंगे.

पढ़ें: कैबिनेट विस्तार पर सस्पेंस बरकरार, माकन फिर आएंगे जयपुर...विधायकों से करेंगे वन-टू-वन बात


'पंजाब फॉर्मूला लागू हुआ तो आएगा राजनीति में भूचाल'

राठौड़ ने कहा कि यदि पंजाब में सिद्धू की ताजपोशी जैसा फॉर्मूला राजस्थान में अपनाया गया तो यहां राजनीतिक रूप से भूचाल आने की संभावना रहेगी. राजस्थान और पंजाब में अलग-अलग स्थितियां है. मुझे नहीं लगता कि मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए भी मुख्यमंत्री सभी विधायकों को संतुष्ट कर पाएंगे.

क्या भाजपा मंत्रिमंडल विस्तार होने पर सरकार में फूट होने के बयान पर कायम है?

राजेंद्र राठौड़ और प्रदेश भाजपा से जुड़े कई वरिष्ठ नेता पिछले दिनों अपने बयानों में कह चुके थे कि जिस दिन गहलोत मंत्रिमंडल का विस्तार होगा, उस दिन सरकार में विस्फोट होगा. इस सवाल पर राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि निश्चित तौर पर इस सरकार में कब क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता. हर महीने कांग्रेस के ही विधायक अपनी सरकार को ललकारने का काम कर रहे हैं. कुछ विधायक तो यह भी कहते हैं कि उनके टेलीफोन टेप हो रहे हैं. हेमाराम चौधरी जैसे वरिष्ठ विधायक के इस्तीफे का प्रश्न अब तक यक्ष है. ऐसे में हालात तो यही बयां कर रहे हैं कि स्थितियां सामान्य नहीं है.

पढ़ें: वेणुगोपाल और माकन ने ली विधायक-मंत्रियों की बैठक, पायलट के पहुंचते ही समर्थकों ने की जमकर नारेबाजी

बहरहाल प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ का यह बयान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार में 9 नए मंत्री और बनाए जा सकते हैं. लेकिन मंत्री पद की लालसा रखने वाले बड़ी संख्या में कांग्रेसी और निर्दलीय विधायक भी हैं, जिन्होंने सरकार को सपोर्ट दे रखा है. ऐसे में सरकार संसदीय सचिव की नियुक्ति के जरिए ही ऐसे विधायकों को संतुष्ट कर सकती थी, लेकिन अब उसमें भी बीजेपी ने कानून का हवाला देते हुए अपनी चेतावनी दे दी है.

जयपुर: ईटीवी भारत से खास बातचीत में उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ (Deputy Leader of Opposition Rajendra Rathore) ने कहा है कि संसदीय सचिव (Parliamentary Secretary) मनोनीत या नियुक्त किए तो यह सीधे तौर पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के आदेशों की अवहेलना होगी. यह आर्टिकल 141 को धता बताकर किया गया काम होगा. आज की तारीख में ऐसे दर्जनों सुप्रीम कोर्ट के फैसले हैं, जो संसदीय सचिवों की नियुक्ति के खिलाफ हैं. यदि गहलोत सरकार (Gehlot Government) संसदीय सचिवों की नियुक्ति करती है तो हम उसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे.

वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) सरकार के कार्यकाल में भी संसदीय सचिवों की नियुक्ति की गई थी. इस सवाल पर राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि तब भी मामला कोर्ट में गया था. हालांकि निर्णय नहीं आया. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के ऐसे कई फैसले आ गए, जिसमें संसदीय सचिवों की नियुक्ति को गलत माना गया है.

'संसदीय सचिव बनाए तो लड़ेंगे कानूनी लड़ाई'

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'राजनीति के जादूगर का फेल हो रहा इंद्रजाल'

राजेंद्र राठौड ने कहा कि मुझे नहीं लगता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) मंत्रिमंडल के पुनर्गठन का साहस कर पाएंगे. यदि गहलोत साहस करते हैं तो हमारी शुभकामनाएं उनके साथ रहेगी. क्या पता मंत्रिमंडल विस्तार के बाद गवर्नेंस में कुछ सुधार हो जाए और जनता को राहत मिल जाए?

राठौर ने यह भी कहा कि प्रदेश कांग्रेस और सरकार अंतर्विरोध से घिरी है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को राजनीति का जादूगर कहते हैं, लेकिन उनकी जादूगरी का इंद्रजाल भी इस बार फेल हो गया. अजय माकन और वेणुगोपाल कई बार फेरे लगा चुके हैं. सचिन पायलट दिल्ली में आलाकमान के सामने कई बार अपनी व्यथा बता चुके हैं लेकिन यह प्रसव पीड़ा अबतक समाप्त नहीं हुई है.

कई विधायकों ने सिलवा ली शेरवानी

राजेंद्र राठौड़ ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री ने अपनी जादूगरी से बीएसपी को कांग्रेस में मिला लिया. दो बार बीएसपी के टिकट से जीत कर आए विधायकों को कांग्रेस में शामिल कर अपनी जादूगरी का सबूत भी दे दिया. 13 निर्दलीय विधायकों को भी सत्ता की चमक दिखाकर मुख्यमंत्री गहलोत ने सरकार की तरफ आकर्षित कर लिया. कांग्रेस को समर्थन देने वाले और कांग्रेस के भीतर ऐसे कई विधायक हैं, जिन्हें सत्ता के विकेंद्रीकरण के नाम पर जल्द ही सत्ता में भागीदारी देने का आश्वासन दिया गया था. ऐसे में मुझे नहीं लगता कि मुख्यमंत्री सरकार के पुनर्गठन या विस्तार का साहस कर पाएंगे.

पढ़ें: कैबिनेट विस्तार पर सस्पेंस बरकरार, माकन फिर आएंगे जयपुर...विधायकों से करेंगे वन-टू-वन बात


'पंजाब फॉर्मूला लागू हुआ तो आएगा राजनीति में भूचाल'

राठौड़ ने कहा कि यदि पंजाब में सिद्धू की ताजपोशी जैसा फॉर्मूला राजस्थान में अपनाया गया तो यहां राजनीतिक रूप से भूचाल आने की संभावना रहेगी. राजस्थान और पंजाब में अलग-अलग स्थितियां है. मुझे नहीं लगता कि मंत्रिमंडल विस्तार के जरिए भी मुख्यमंत्री सभी विधायकों को संतुष्ट कर पाएंगे.

क्या भाजपा मंत्रिमंडल विस्तार होने पर सरकार में फूट होने के बयान पर कायम है?

राजेंद्र राठौड़ और प्रदेश भाजपा से जुड़े कई वरिष्ठ नेता पिछले दिनों अपने बयानों में कह चुके थे कि जिस दिन गहलोत मंत्रिमंडल का विस्तार होगा, उस दिन सरकार में विस्फोट होगा. इस सवाल पर राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि निश्चित तौर पर इस सरकार में कब क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता. हर महीने कांग्रेस के ही विधायक अपनी सरकार को ललकारने का काम कर रहे हैं. कुछ विधायक तो यह भी कहते हैं कि उनके टेलीफोन टेप हो रहे हैं. हेमाराम चौधरी जैसे वरिष्ठ विधायक के इस्तीफे का प्रश्न अब तक यक्ष है. ऐसे में हालात तो यही बयां कर रहे हैं कि स्थितियां सामान्य नहीं है.

पढ़ें: वेणुगोपाल और माकन ने ली विधायक-मंत्रियों की बैठक, पायलट के पहुंचते ही समर्थकों ने की जमकर नारेबाजी

बहरहाल प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ का यह बयान काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि गहलोत मंत्रिमंडल विस्तार में 9 नए मंत्री और बनाए जा सकते हैं. लेकिन मंत्री पद की लालसा रखने वाले बड़ी संख्या में कांग्रेसी और निर्दलीय विधायक भी हैं, जिन्होंने सरकार को सपोर्ट दे रखा है. ऐसे में सरकार संसदीय सचिव की नियुक्ति के जरिए ही ऐसे विधायकों को संतुष्ट कर सकती थी, लेकिन अब उसमें भी बीजेपी ने कानून का हवाला देते हुए अपनी चेतावनी दे दी है.

Last Updated : Jul 25, 2021, 4:53 PM IST
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