जयपुर. राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम बदलकर मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किए जाने के के मामले में सियासी उबाल आ चुका है. केंद्र सरकार के इस निर्णय का प्रदेश भाजपा नेताओं ने स्वागत किया है.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने ट्वीट के जरिए तो प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच ने बयान जारी कर प्रधानमंत्री के इस निर्णय को खेल जगत के लिए बड़ी उपलब्धि करार दिया है. प्रदेश भाजपा मुख्यालय में प्रदेश उपाध्यक्ष मुकेश दाधीच ने पत्रकारों से बातचीत की. जिसमें दाधीच ने कहा कि राजीव गांधी के नाम से पुरस्कार को बदलकर मेजर ध्यानचंद के नाम से किया गया है.
यह भी पढ़ें. Major Dhyan Chand के नाम पर मिलेगा राजीव गांधी खेल रत्न, पीएम ने किया एलान
मुकेश दाधीच ने कहा कि यदि मेजर ध्यानचंद के नाम से पुरस्कार होना भी अपने आप में खेल जगत के लिए बड़ी उपलब्धि है. दाधीच ने कहा कि खिलाड़ियों की हमेशा यह भावना रही है. इसके अनुसार ही केंद्र सरकार ने निर्णय लिया है.
भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष ने कहा कि ऐसे पुरस्कार जो खेल से संबंधित है, वो खिलाड़ियों के नाम से ही हो तो उसमें क्या आपत्ति है. मैं समझता हूं कि प्रधानमंत्री जी ने जिस प्रकार का निर्णय लिया है, उसका देश के करोड़ों खिलाड़ी स्वागत करेंगे.
वहीं राजसमंद सांसद दीया कुमारी ने भी ट्वीट कर खेल रत्न पुरुस्कार का नाम बदले जाने का स्वागत किया है. दीया कुमारी ने लिखा कि मेजर ध्यानचंद विश्व के श्रेष्ठतम खिलाड़ियों में शुमार हैं और भारत के प्रत्येक खिलाड़ी के लिए प्रेरेणादायी हैं. भारत का सर्वोच्च सम्मान उनके नाम पर रखने पर प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद.
गांधी परिवार के अलावा कोई नजर नहीं आताः केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा है कि प्रधानमंत्री की ओर से खेल रत्न पुरस्कार से मेजर ध्यानचंद का नाम जनाग्रह के कारण जोड़ा गया है. इसके खिलाफ बोलकर कांग्रेसियों ने सिद्ध किया है कि देश का नाम रोशन करने के लिए दिन रात एक करने वाले खिलाड़ियों के अनुपम योगदान से उनका कोई सरोकार नहीं है. उन्हें गांधी परिवार के अतिरिक्त कोई नज़र ही नहीं आता है. शेखावत ने यह पलटवार कांग्रेस नेता एवं राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष वैभव गहलोत व अन्य नेताओं की ओर से खेल रत्न अवॉर्ड मेजर ध्यानचंद के नाम करने को दुर्भाग्यपूर्ण बताए जाने के बाद किया है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जनसेवा की जगह एक परिवार का कृपा पात्र बनकर अपनी राजनीति का सिक्का चमकाने वालों को ही देश का नाम विश्वपटल पर अंकित करने वाले मेजर ध्यानचंद को दिए गए सम्मान से आपत्ति हो सकती है.