जयपुर. साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा संगठनात्मक रूप से खुद को मजबूत करने में जुटी है. इसके लिए गुरुवार को जहां राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष जयपुर आ रहे हैं, तो वहीं बुधवार को पार्टी मुख्यालय में प्रशिक्षण विभाग की कार्यशाला के जरिए कार्यकर्ताओं को भाजपा की रीति-नीति का पाठ पढ़ाया गया. इस दौरान नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि पार्टी लाइन से अलग और विवादित बयान देने वालों को भी इस प्रकार की प्रशिक्षण देने की आवश्यकता (Gulab Chand Kataria speech in BJP training workshop) है.
एक दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ कटारिया ने किया और इस दौरान पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी और प्रदेश संगठन महामंत्री चंद्रशेखर के साथ ही पार्टी से जुड़े प्रमुख नेता मौजूद रहे. उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष ने जहां पार्टी की रीति-नीति और विचारधारा से जुड़े रहने के लिए प्रशिक्षण की उपयोगिता पर अपने विचार रखें और यह भी कहा कि यही वो प्रशिक्षण है, जिसके जरिए व्यक्ति को गुणवान बनाया जा सकता है.
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कटारिया ने कहा कि व्यक्ति में गुणों का अभाव हो सकता है, लेकिन जब एक टेढ़े-मेढ़े पत्थर को महादेव बनाया जा सकता है, तो फिर गुणों के अभाव वाले व्यक्ति को प्रशिक्षण के जरिए गुणवान बना सकते हैं और पार्टी इन प्रशिक्षण कार्यशालाओं के जरिए इसी काम में जुटी है. मीडिया से बातचीत के दौरान कटारिया ने कहा की पार्टी विचारधारा से अलग सोच रखने और बयान देने वाले नेताओं को भी ऐसे प्रशिक्षण की आवश्यकता है. क्योंकि जब व्यक्ति के दिमाग में खराबी आ जाती है, तो बार-बार हथोड़ा मार कर प्रशिक्षण के जरिए ही उसे सही दिशा में चलाना पड़ता है. कटारिया ने कहा भाजपा का मकसद अच्छा लोकतंत्र बनाना है. उसके लिए व्यक्ति यदि अच्छा होगा तो ही लोकतंत्र भी मजबूत होगा. कार्यशाला को संगठन महामंत्री चंद्रशेखर और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ अरुण चतुर्वेदी ने भी संबोधित किया.
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बीएल संतोष लेंगे संगठन की पाठशाला, देंगे मिशन 2023 फतह का मंत्र: बीएल संतोष गुरुवार को एक दिवसीय दौरे पर जयपुर आएंगे. इस दौरान प्रदेश भाजपा मुख्यालय में संगठनात्मक बैठक लेंगे. खासतौर पर बीएल संतोष की पाठशाला में पार्टी की संगठनात्मक मजबूती के लिए नेता व कार्यकर्ताओं को मंत्र दिया जाएगा ताकि मिशन 2023 में जुटी भाजपा को जीत मिल सके. हालांकि मिशन 2023 हासिल करने में जुटी प्रदेश भाजपा के सामने कई चुनौतियां हैं, जिसमें सबसे प्रमुख नेताओं के बीच चल रही अंदरूनी कलह और अगले चुनाव के लिए मुख्यमंत्री के चेहरे की लड़ाई है. माना जा रहा है किस संतोष की पाठशाला में इस जंग में जुटे नेताओं को भी साफ तौर पर हिदायत दी जा सकती है ताकि पार्टी एकजुटता के साथ मिशन 2023 में जुड़ सके.