जयपुर. निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा की ओर से भाजपा प्रदेशाध्यक्ष और विधायक सतीश पूनिया के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लगाए जाने पर सियासत गर्म है. अब पूनिया ने कहा कि संयम लोढ़ा को मुझसे पहले मुख्यमंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाना चाहिए था, क्योंकि मुख्यमंत्री ने 35 करोड़ रुपये से जुड़े आरोप विधायकों को लेकर लगाए थे.
उन्होंने यह भी कहा कि संयम लोढ़ा ऐसा करेंगे नहीं क्योंकि वो कांग्रेस की गोद में बैठकर सरकार के एजेंट के रूप में सदन के भीतर और बाहर काम कर रहे हैं. पूनिया ने कहा कि सब जानते हैं कि उन्हें मंत्री बनने की कितनी जल्दी है. जयपुर में पत्रकारों से बातचीत के दौरान सतीश पूनिया ने यह भी कहा कि संयम लोढ़ा ने यह सब सरकार के निर्देश पर किया और उनके इस राजनीतिक प्रोपेगेंडा को सब जानते हैं.
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उन्होंने कहा कि नोटिस का जवाब तो हम कानूनी तरीके से दे ही देंगे. लेकिन संयम लोढ़ा को जनता ने बीजेपी और कांग्रेस के खिलाफ जो जनादेश दिया था, उसको भी संयम लोढ़ा ने दरकिनार करके कांग्रेस की गोद में बैठने का काम किया.
'धुआं है तो आग भी होगी'
पूनिया ने एक बार फिर कहा कि उन्होंने जो आरोप लगाए हैं उसके बाद जिस प्रकार का रिएक्शन आया है, इस बात को दर्शाता है की कई लोग आशंकित तो हैं. मतलब धुंआ है तो आग भी कहीं ना कहीं लगी है.
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क्या है पूरा मामला
सिरोही से निर्दलीय विधायक संयम लोढ़ा ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया पर विधानसभा प्रक्रिया और कार्य संचालन नियम 158 के तहत विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लगाया है. क्योंकि हाल ही में सतीश पूनिया ने प्रदेश सरकार पर 23 विधायकों को खान आवंटन और रीको में जमीन आवंटित पर गंभीर आरोप लगाए थे.
लोढ़ा ने विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी के निर्देश पर प्रस्ताव की कॉपी विधानसभा सचिव प्रमिल कुमार को सौंपी हैं. विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव में लोढ़ा ने मीडिया में प्रकाशित समाचारों की कुछ कटिंग भी संलग्न की है, जिसमें पूनिया ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस विधायकों के 10 दिन की बाड़ेबंदी के दौरान डील हुई है, उसके भी प्रमाण है. वहीं, अब इस मामले को लेकर प्रदेश की सियासत गर्म हो गई है.