जयपुर. राजस्थान में विधानसभा उपचुनाव में भाजपा के सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़ा है. भाजपा नेता भले ही धरियावद और वल्लभनगर विधानसभा उपचुनाव जीतने का दम भरते हों, लेकिन धरातल की स्थिति कुछ और है.
पार्टी के स्तर पर स्थानीय और वरिष्ठ नेताओं से मिला फीडबैक यही इशारा कर रहा है. वल्लभनगर में पार्टी की स्थिति बेहद कमजोर बताई जा रही है. धरियावद में मुकाबला कांटे का है. दरअसल टिकट वितरण से पहले पार्टी ने अपना सर्वे करवाया था. टिकट वितरण के बाद भी स्थानीय समीकरण जांचे परखे जा रहे हैं और मौजूदा परिस्थितियों में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया जा रहा है.
जो फीडबैक अब तक सामने आया है उसमें दोनों ही सीटों पर बीजेपी को जीत मिलने की संभावना कम है. भाजपा की जीत का दारोमदार भी प्रदेश भाजपा नेताओं पर ही है. लिहाजा सर्वे और मौजूदा फीडबैक से जो कुछ सामने आया है, उसके आधार पर पार्टी ने अपनी रणनीति में भी बदलाव किया है और क्षेत्र में प्रचार प्रसार पर भी काम तेज कर दिया है.
वल्लभनगर में आरएलपी और भींडर ने बिगाडे़ समीकरण
वरिष्ठ नेता और स्थानीय कार्यकर्ताओं से मिले फीडबैक के आधार पर वल्लभनगर में भाजपा की रहा मुश्किल है. यहां मुकाबला चतुष्कोणीय है. बीजेपी को कांग्रेस के साथ ही जनता सेना और आरएलपी से भी लोहा लेना है. सीधे तौर पर कह सकते हैं कि बीजेपी की राह में सबसे बड़ा रोड़ा आरएलपी है. आरएलपी ने भाजपा के पूर्व प्रत्याशी रहे उदय लाल डांगी को अपने खेमे में लेकर चुनाव मैदान में उतार दिया है.
रणधीर सिंह भींडर का भी भाजपा से पुराना जुड़ाव रहा है. लेकिन वे अब जनता सेना के प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में ताल ठोंक रहे हैं. वहीं कांग्रेस की ओर से बनाई गई प्रत्याशी प्रीति शक्तावत दिवंगत विधायक गजेंद्र शक्तावत की पत्नी हैं. ऐसे में उन्हें सहानुभूति वोट भी मिलेंगे और इसका नुकसान बीजेपी और अन्य दलों को होगा. मतलब साफ है कि भाजपा प्रत्याशी हिम्मत सिंह झाला की जीत की राह इस सीट पर आसान नहीं होगी. यही फीडबैक पार्टी को मिल चुका है जिसके बाद रणनीति में बदलाव भी किया गया है.
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धरियावद सीट पर मुकाबला है कांटे का
धरियावद सीट पर भाजपा कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला है. भाजपा ने इस सीट पर पूर्व दिवंगत विधायक गौतम लाल मीणा के पुत्र कन्हैया लाल को टिकट न देकर खेत सिंह मीणा को प्रत्याशी बनाया है. इससे कन्हैयालाल और उनके समर्थकों में निराशा थी. हालांकि भाजपा ने बाद में उन्हें मना लिया और पार्टी में प्रदेश मंत्री बना दिया. इस सीट पर बीटीपी ने गणेश लाल मीणा के रूप में अपना प्रत्याशी उतारा है, जो भाजपा और कांग्रेस के वोटों को नुकसान पहुंचाएगा. इस सीट पर सीधा मुकाबला भाजपा के खेत सिंह मीणा और कांग्रेस के नागराज मीणा के बीच माना जा रहा है, लेकिन जीत की राह यहां भी भाजपा के लिए आसान नहीं है.
पूनिया, कटारिया, राठौड़, मेघवाल की प्रतिष्ठा दांव पर
इन उपचुनाव में जीत के जरिए प्रदेश भाजपा नेता पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश फूंकना चाहते हैं. यही कारण है कि पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, उप नेता राजेंद्र राठौड़ और केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल ने अपनी पूरी ताकत इन उपचुनाव में झोंक रखी है. वहीं राष्ट्रीय मंत्री अल्का सिंह गुर्जर, सांसद दीया कुमारी और सीपी जोशी के साथ ही कुछ स्थानीय विधायक और पार्टी पदाधिकारियों ने भी उप चुनाव क्षेत्रों में लगातार प्रचार प्रसार कर रहे हैं.
वल्लभनगर और धरियावद में 30 अक्टूबर को मतदान होगा. मौजूदा फीडबैक के अनुसार भाजपा ने रणनीति में बदलाव किया है, इसका कितना फायदा पार्टी को मिलेगा, यह तो 2 नवंबर को नतीजे आने के बाद ही पता चलेगा.