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Rajasthan Budget 2022 : गहलोत सरकार के 7 संकल्प हुए फेल तो कैसे करें उम्मीद...नए बजट से निकलेगा ढाक के तीन पात : पूनिया - Satish Poonia targets Gehlot Govt on Budget 2022

राजस्थान सरकार 23 फरवरी को अपना बजट पेश करने वाली है. इस बजट से पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने गहलोत सरकार को पूर्व में पेश किए बजटों की घोषणाओं को लेकर (Satish Poonia targets Gehlot Govt on Budget 2022) घेरा है. पूनिया का कहना है कि सरकार के पूर्व बजट के 7 संकल्प फेल साबित हुए हैं. जन घोषणा पत्र में किए गए वादे धरातल पर नजर नहीं आते. कोयला संकट को लेकर भी पूनिया ने बड़ा बयान दिया है....

Satish Poonia targets Gehlot Govt on Budget 2022
Satish Poonia targets Gehlot Govt on Budget 2022
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Published : Feb 21, 2022, 4:50 PM IST

Updated : Feb 22, 2022, 10:56 AM IST

जयपुर. राजस्थान में 23 फरवरी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्य का बजट पेश करेंगे. इससे पहले भाजपा ने सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने प्रदेश सरकार की पूर्व बजट घोषणाओं का हवाला देते हुए आरोपों की बौछार की. उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार के पूर्व में लिए गए बजट के 7 संकल्प पूरी तरह फेल साबित हुए हैं. वहीं, पूनिया ने यह भी कहा कि भाजपा ने बिजली के मामले में प्रदेश सरकार को सदन में घेरने की तैयारी कर ली है.

प्रदेश भाजपा मुख्यालय में पत्रकारों से रू-ब-रू हुए पूनिया ने कहा पहले कांग्रेस ने अपने जन घोषणा पत्र में जो वादे किए गए थे, उसे 70 फीसदी तक पूरा करने के दावे किए जा रहे हैं. लेकिन धरातल पर यह दावा पूरी तरह गलत है. पूनिया के अनुसार इस बार भी बजट लोक लुभावना और घोषणाओं से भरपूर होगा, इसमें मुख्यमंत्री सदन में 2 घंटे तक बजट भाषण देंगे. 8 बार पानी पिएंगे और विपक्ष को कोसने का काम करेंगे, लेकिन बजट निकलेगा ढाक के तीन पात.

नए बजट से निकलेगा ढाक के तीन पात

पढ़ें: Big News: 23 फरवरी को पेश होगा राज्य का बजट, 15 को मुख्यमंत्री सदन में देंगे जवाब

प्रेस वार्ता के दौरान पूनिया ने गहलोत सरकार के बजट में किए गए पूर्व के साथ संकल्पों को भी गिनाया और वर्तमान में उसकी स्थिति का उल्लेख भी किया. पूनिया ने कहा कि गहलोत सरकार ने अपने पुराने बजट में निरोगी राजस्थान, खुशहाल और संपन्न किसान, महिला बाल कल्याण, युवाओं को रोजगार, शिक्षा का बेहतर प्रबंध सहित सात संकल्प लिए थे. लेकिन राजस्थान में ना तो स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हो पाईं, न किसानों को कर्जे से मुक्ति मिल पाई. युवा आज भी रोजगार को तरस रहा है. बेरोजगार भत्ते का वादा अब तक अधूरा ही है. इसी तरह महिला और बाल कल्याण का संकल्प, इसलिए अधूरा है क्योंकि राजस्थान में सर्वाधिक महिला उत्पीड़न और अपराध के मामले सामने आ रहे हैं, जिसे रोकने में प्रदेश सरकार नाकाम साबित हुई है.

पढ़ें: Rajasthan Budget Session 2022 : रीट पेपर लीक मामले के साथ कई अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरेगी भाजपा

बजट के लिए दिए ये सुझाव और की मांग : 23 फरवरी को पेश होने वाले राज्य बजट को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कुछ सुझाव दिए और मांग (Satish Poonia demands in State Budget 2022) भी की है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में पशुपालन, दुग्ध उत्पादन और खेती पर फोकस करते हुए बजट आना चाहिए. साथ ही राजस्थान सरकार पर्यटन को उद्योग का दर्जा दे. इसकी भी घोषणा बजट में करनी चाहिए. पूनिया ने महाराष्ट्र की तर्ज पर पत्रकारों की सुरक्षा और कानून बनाए जाने की मांग भी की है. उन्होंने मौजूदा बजट में पेट्रोल और डीजल पर वेट कम कर सीमावर्ती जिलों के बंद हो रहे पेट्रोल पंपों को बचाया जाने का सुझाव दिया. वहीं, मसाला बोर्ड के गठन और नई खेल व खनिज नीति आदि की भी मांग की.

जल्द दिख सकता है कोयला संकट का असर, सरकार को घेरने को तैयार है भाजपा...
राजस्थान में एक बार फिर कोयले कि कमी के चलते बिजली का संकट मंडरा सकता है. राजस्थान को अब तक छत्तीसगढ़ सरकार से फेस 2 के लिए आवंटित खदान से कोयले खनन की मंजूरी नहीं मिल पाई है, जिसके चलते प्रदेश के कोयला आधारित उत्पादन इकाइयों में काम ठप पड़ सकता है. मौसम में हो रहे बदलाव के चलते यह स्थिति जल्द ही उत्पन्न हो सकती है. इस बीच भाजपा ने भी बिजली के मामले में प्रदेश सरकार को सदन में गिरने की तैयारी कर ली है.

मार्च के पहले सप्ताह तक का कोयला शेष, गर्मी बढ़ी तो बिजली संकट तय...
दरअसल, छत्तीसगढ़ में राजस्थान के पास मौजूदा खदान में मार्च के पहले सप्ताह तक का ही कोयला बचा है जो 6 से 7 लाख टन है. जबकि दूसरी फेस की खदान कहां हॉन्टन और अन्य एनओसी प्रक्रिया केंद्र सरकार से मंजूरी के बाद पूरी कर दी गई, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने अब तक यहां खनन की अनुमति नहीं दी. जिसके चलते कोयले का संकट गहराने लगा है. फरवरी महा का अंतिम समय चल रहा है और माना जा रहा है मार्च के पहले पखवाड़े से राजस्थान में गर्मी का सितम दिखने लगेगा. जिसके चलते बिजली की मांग और खपत बढ़ना तय है. राजस्थान में 3240 मेगावाट क्षमता के बिजलीघर है, जहां कोल इंडिया की सहायक कंपनियों से वर्तमान में कोयला पहुंच रहा है.

थर्मल आधारित कुछ इकाइयां मेंटेनेंस के नाम पर बंद...
थर्मल आधारित बिजली उत्पादन की कुछ इकाइयां राजस्थान में बंद की गई हैं. राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम से जुड़े अधिकारी कहते हैं ये इकाइयों को मेंटेनेंस के नाम पर बंद किया गया है, लेकिन आने वाली गर्मियों में इन इकाइयों से उत्पादन किया जाना बेहद जरूरी है, वरना महंगे दामों पर बाहर से बिजली खरीदनी पड़ेगी. मतलब साफ है कि इस माह के अंत तक यदि छत्तीसगढ़ सरकार से अनुमति नहीं मिली तो प्रदेश में कोयले की कमी से बिजली का संकट गहराने शुरू हो जाएगा, जिसका असर मार्च के शुरुआती सप्ताह से ही दिखने लगेगा.

सौर ऊर्जा में नंबर वन, लेकिन बिजली क संकट होता है बार-बार...
सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता के लिहाज से राजस्थान देशभर में नंबर वन की स्थिति में है. बावजूद उसके, प्रदेश में बिजली का संकट समय-समय पर सामने आता ही रहता है. इसमें भी कोयले की कमी के कारण संकट देखने को मिलता है. राजस्थान सरकार द्वारा सौर ऊर्जा की असीम संभावनाएं होने के बावजूद थर्मल आधारित इकाइयों के जरिए ही बिजली का उत्पादन किया जा रहा है और जब कोयले की कमी हो जाए तो इसका असर भी दिखने लगता है. विपक्ष के नेता भी सरकार से इस कमी में सुधार की मांग करते हैं. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की मानें तो सौर ऊर्जा के क्षेत्र में यदि सरकार को कष्ट करें तो बिजली का संकट तो खत्म होगा ही कोयले पर निर्भरता भी घटना की जा सकती है.

बिजली के मुद्दे पर सदन में सरकार को घेरने को तैयार है भाजपा...
उधर कोयले की कमी को प्रदेश पर आने वाले संभावित बिजली संकट का मामला राजस्थान विधानसभा में भी गूंजेगा. विपक्षी दल भाजपा के नेताओं ने इसकी तैयारी कर ली है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की मानें तो कोयले की कमी के कारण प्रदेश में बिजली का संकट खड़ा होता है, जबकि राजस्थान में और छत्तीसगढ़ दोनों में कांग्रेस की सरकार है बावजूद इसके छत्तीसगढ़ की सरकार राजस्थान की मदद नहीं कर रहे.

उन्होंने कहा कि जितनी बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने छत्तीसगढ़ सरकार को पत्र लिखा और फोन पर बात की जाती तो भी वह बरसात कर देते. पूनिया ने कहा कि भाजपा बिजली से जुड़ा यह मुद्दा सदन में भी उठा कर सरकार से जवाब मांगेगी.

जयपुर. राजस्थान में 23 फरवरी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्य का बजट पेश करेंगे. इससे पहले भाजपा ने सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने प्रदेश सरकार की पूर्व बजट घोषणाओं का हवाला देते हुए आरोपों की बौछार की. उन्होंने कहा कि गहलोत सरकार के पूर्व में लिए गए बजट के 7 संकल्प पूरी तरह फेल साबित हुए हैं. वहीं, पूनिया ने यह भी कहा कि भाजपा ने बिजली के मामले में प्रदेश सरकार को सदन में घेरने की तैयारी कर ली है.

प्रदेश भाजपा मुख्यालय में पत्रकारों से रू-ब-रू हुए पूनिया ने कहा पहले कांग्रेस ने अपने जन घोषणा पत्र में जो वादे किए गए थे, उसे 70 फीसदी तक पूरा करने के दावे किए जा रहे हैं. लेकिन धरातल पर यह दावा पूरी तरह गलत है. पूनिया के अनुसार इस बार भी बजट लोक लुभावना और घोषणाओं से भरपूर होगा, इसमें मुख्यमंत्री सदन में 2 घंटे तक बजट भाषण देंगे. 8 बार पानी पिएंगे और विपक्ष को कोसने का काम करेंगे, लेकिन बजट निकलेगा ढाक के तीन पात.

नए बजट से निकलेगा ढाक के तीन पात

पढ़ें: Big News: 23 फरवरी को पेश होगा राज्य का बजट, 15 को मुख्यमंत्री सदन में देंगे जवाब

प्रेस वार्ता के दौरान पूनिया ने गहलोत सरकार के बजट में किए गए पूर्व के साथ संकल्पों को भी गिनाया और वर्तमान में उसकी स्थिति का उल्लेख भी किया. पूनिया ने कहा कि गहलोत सरकार ने अपने पुराने बजट में निरोगी राजस्थान, खुशहाल और संपन्न किसान, महिला बाल कल्याण, युवाओं को रोजगार, शिक्षा का बेहतर प्रबंध सहित सात संकल्प लिए थे. लेकिन राजस्थान में ना तो स्वास्थ्य सुविधाएं बेहतर हो पाईं, न किसानों को कर्जे से मुक्ति मिल पाई. युवा आज भी रोजगार को तरस रहा है. बेरोजगार भत्ते का वादा अब तक अधूरा ही है. इसी तरह महिला और बाल कल्याण का संकल्प, इसलिए अधूरा है क्योंकि राजस्थान में सर्वाधिक महिला उत्पीड़न और अपराध के मामले सामने आ रहे हैं, जिसे रोकने में प्रदेश सरकार नाकाम साबित हुई है.

पढ़ें: Rajasthan Budget Session 2022 : रीट पेपर लीक मामले के साथ कई अन्य मुद्दों पर सरकार को घेरेगी भाजपा

बजट के लिए दिए ये सुझाव और की मांग : 23 फरवरी को पेश होने वाले राज्य बजट को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने कुछ सुझाव दिए और मांग (Satish Poonia demands in State Budget 2022) भी की है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में पशुपालन, दुग्ध उत्पादन और खेती पर फोकस करते हुए बजट आना चाहिए. साथ ही राजस्थान सरकार पर्यटन को उद्योग का दर्जा दे. इसकी भी घोषणा बजट में करनी चाहिए. पूनिया ने महाराष्ट्र की तर्ज पर पत्रकारों की सुरक्षा और कानून बनाए जाने की मांग भी की है. उन्होंने मौजूदा बजट में पेट्रोल और डीजल पर वेट कम कर सीमावर्ती जिलों के बंद हो रहे पेट्रोल पंपों को बचाया जाने का सुझाव दिया. वहीं, मसाला बोर्ड के गठन और नई खेल व खनिज नीति आदि की भी मांग की.

जल्द दिख सकता है कोयला संकट का असर, सरकार को घेरने को तैयार है भाजपा...
राजस्थान में एक बार फिर कोयले कि कमी के चलते बिजली का संकट मंडरा सकता है. राजस्थान को अब तक छत्तीसगढ़ सरकार से फेस 2 के लिए आवंटित खदान से कोयले खनन की मंजूरी नहीं मिल पाई है, जिसके चलते प्रदेश के कोयला आधारित उत्पादन इकाइयों में काम ठप पड़ सकता है. मौसम में हो रहे बदलाव के चलते यह स्थिति जल्द ही उत्पन्न हो सकती है. इस बीच भाजपा ने भी बिजली के मामले में प्रदेश सरकार को सदन में गिरने की तैयारी कर ली है.

मार्च के पहले सप्ताह तक का कोयला शेष, गर्मी बढ़ी तो बिजली संकट तय...
दरअसल, छत्तीसगढ़ में राजस्थान के पास मौजूदा खदान में मार्च के पहले सप्ताह तक का ही कोयला बचा है जो 6 से 7 लाख टन है. जबकि दूसरी फेस की खदान कहां हॉन्टन और अन्य एनओसी प्रक्रिया केंद्र सरकार से मंजूरी के बाद पूरी कर दी गई, लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने अब तक यहां खनन की अनुमति नहीं दी. जिसके चलते कोयले का संकट गहराने लगा है. फरवरी महा का अंतिम समय चल रहा है और माना जा रहा है मार्च के पहले पखवाड़े से राजस्थान में गर्मी का सितम दिखने लगेगा. जिसके चलते बिजली की मांग और खपत बढ़ना तय है. राजस्थान में 3240 मेगावाट क्षमता के बिजलीघर है, जहां कोल इंडिया की सहायक कंपनियों से वर्तमान में कोयला पहुंच रहा है.

थर्मल आधारित कुछ इकाइयां मेंटेनेंस के नाम पर बंद...
थर्मल आधारित बिजली उत्पादन की कुछ इकाइयां राजस्थान में बंद की गई हैं. राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम से जुड़े अधिकारी कहते हैं ये इकाइयों को मेंटेनेंस के नाम पर बंद किया गया है, लेकिन आने वाली गर्मियों में इन इकाइयों से उत्पादन किया जाना बेहद जरूरी है, वरना महंगे दामों पर बाहर से बिजली खरीदनी पड़ेगी. मतलब साफ है कि इस माह के अंत तक यदि छत्तीसगढ़ सरकार से अनुमति नहीं मिली तो प्रदेश में कोयले की कमी से बिजली का संकट गहराने शुरू हो जाएगा, जिसका असर मार्च के शुरुआती सप्ताह से ही दिखने लगेगा.

सौर ऊर्जा में नंबर वन, लेकिन बिजली क संकट होता है बार-बार...
सौर ऊर्जा उत्पादन की क्षमता के लिहाज से राजस्थान देशभर में नंबर वन की स्थिति में है. बावजूद उसके, प्रदेश में बिजली का संकट समय-समय पर सामने आता ही रहता है. इसमें भी कोयले की कमी के कारण संकट देखने को मिलता है. राजस्थान सरकार द्वारा सौर ऊर्जा की असीम संभावनाएं होने के बावजूद थर्मल आधारित इकाइयों के जरिए ही बिजली का उत्पादन किया जा रहा है और जब कोयले की कमी हो जाए तो इसका असर भी दिखने लगता है. विपक्ष के नेता भी सरकार से इस कमी में सुधार की मांग करते हैं. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की मानें तो सौर ऊर्जा के क्षेत्र में यदि सरकार को कष्ट करें तो बिजली का संकट तो खत्म होगा ही कोयले पर निर्भरता भी घटना की जा सकती है.

बिजली के मुद्दे पर सदन में सरकार को घेरने को तैयार है भाजपा...
उधर कोयले की कमी को प्रदेश पर आने वाले संभावित बिजली संकट का मामला राजस्थान विधानसभा में भी गूंजेगा. विपक्षी दल भाजपा के नेताओं ने इसकी तैयारी कर ली है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की मानें तो कोयले की कमी के कारण प्रदेश में बिजली का संकट खड़ा होता है, जबकि राजस्थान में और छत्तीसगढ़ दोनों में कांग्रेस की सरकार है बावजूद इसके छत्तीसगढ़ की सरकार राजस्थान की मदद नहीं कर रहे.

उन्होंने कहा कि जितनी बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने छत्तीसगढ़ सरकार को पत्र लिखा और फोन पर बात की जाती तो भी वह बरसात कर देते. पूनिया ने कहा कि भाजपा बिजली से जुड़ा यह मुद्दा सदन में भी उठा कर सरकार से जवाब मांगेगी.

Last Updated : Feb 22, 2022, 10:56 AM IST
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