जयपुर. कोटा, बारां, करौली और श्रीगंगानगर में पंचायती राज चुनाव होने जा रहे हैं. इन चुनावों में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और राजस्थान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के साथ साथ कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगेगी.
राजस्थान में चार जिलों में पंचायती राज चुनाव का परिणाम ही तय करेगा कि भाजपा का मिशन 2023 धरातल पर किन तैयारियों से होकर गुजर रहा है.
इन 4 जिलों में अभी कांग्रेस का पलड़ा भारी
राजस्थान में करौली, श्रीगंगानगर कोटा और बारां में दिसंबर महीने के पहले पखवाड़े में 3 चरणों में पंचायत राज चुनाव होंगे. चारों जिलों में साल 2015 में हुए पंचायत राज चुनाव में श्रीगंगानगर जिले को छोड़कर बाकी 3 जिलों में कांग्रेस का पलड़ा भारी रहा था. पिछले चुनाव में बारां और श्रीगंगानगर में भाजपा का जिला प्रमुख बना था. करौली और कोटा में कांग्रेस का जिला प्रमुख बना था.
इन चारों ही जिलों की कुल 27 पंचायत समितियों में से 16 पंचायत समितियों में कांग्रेस के प्रधान बने थे. जबकि 10 पंचायत समितियों में भाजपा अपना प्रधान बनाने में कामयाब रही थी. हालांकि अब 3 नई पंचायत समितियां नई बन चुकी हैं और चारों जिलों को मिलाकर कुल पंचायत समितियों की संख्या 27 से बढ़कर 30 हो चुकी है.
साल 2015 में पंचायत समितियों में किस दल का था दबदबा
कोटा की 5 पंचायत समितियों में से 2 में भाजपा के प्रधान बने थे और 3 में कांग्रेस का कब्जा था. इसके अलावा करौली की 6 पंचायत समितियों में से 2 में भाजपा और 4 में कांग्रेस के प्रधान बने. श्रीगंगानगर की कुल 9 पंचायत समितियों में से 5 पर भाजपा, 3 में कांग्रेस और 1 में निर्दलीय प्रधान बना था. इसी तरह बारां की कुल 7 पंयायत समितियों में से 1 पर भाजपा और 6 पर कांग्रेस का कब्जा रहा था.
ओम बिरला सहित 4 सांसदों की प्रतिष्ठा दांव पर
राजस्थान के 4 जिलों में पंचायती राज चुनाव में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सहित भाजपा के 4 मौजूदा सांसदों और मौजूदा विधायकों सहित कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. कोटा संसदीय क्षेत्र से ओम बिरला सांसद हैं. बारां-झालावाड़ से पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह मौजूदा सांसद हैं. इसी तरह करौली-धौलपुर से डॉ मनोज राजोरिया और श्रीगंगानगर से निहालचंद मेघवाल वर्तमान में सांसद हैं. सीधे तौर पर भाजपा के इन चारों सांसदों की परीक्षा पंचायती राज चुनाव में होगी.
इसके अलावा पार्टी प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश पूनिया की प्रतिष्ठा और साख भी राजस्थान के चार जिलों में होने जा रहे पंचायती राज चुनाव में दांव पर होगी. पंचायत राज चुनाव का परिणाम यदि निराशाजनक रहा तो भाजपा सांसदों के साथ साथ भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया का सियासी कद कमजोर हो जाएगा.
अमित शाह का राजस्थान दौरा होगा कितना प्रभावी
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का राजस्थान दौरा 5 दिसंबर को है. अमित शाह जयपुर के दौरे पर रहेंगे. इस दौरान वे प्रदेशभर के भाजपा जनप्रतिनिधियों और पदाधिकारियों को संबोधित करेंगे. अमित शाह का यह दौरा प्रदेश भाजपा को कितनी सियासी ताकत देगा, इसकी परीक्षा भी दिसंबर में होने वाले पंचायती राज चुनाव में हो जाएगी.
4 जिलों के पंचायत राज चुनाव का परिणाम तय करेगा कि अमित शाह के दिये मंत्री पर प्रदेश भाजपा कितना खरा उतरी. फिलहाल राजस्थान में कोटा, बारां, करौली और श्रीगंगानगर जिलों में 12, 15 और 18 दिसंबर को मतदान होगा.
वसुंधरा राजे की मौजूदगी पर है संशय
हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मेवाड़ देव दर्शन यात्रा संपन्न हुई है. अब 4 जिलों में होने वाले पंचायत राज चुनाव में वसुंधरा राजे की क्या भूमिका रहेगी, वे इन चुनावों में कितना सक्रिय रहेंगी, इस पर सभी की निगाहें हैं.
भाजपा-कांग्रेस ने लगाए चुनावी पर्यवेक्षक और प्रभारी
फिलहाल चारों जिलों (कोटा, बारां, करौली और श्रीगंगानगर) में पंचायत राज चुनाव नजदीक हैं और कांग्रेस भाजपा ने संगठनात्मक दृष्टि से इन जिलों में पर्यवेक्षक और चुनाव की दृष्टि से प्रभारी लगा दिए हैं. बीजेपी ने इन जिलों में चुनाव प्रभारी लगा दिये हैं और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के जयपुर दौरे की तैयारियों में व्यस्त हैं. ऐसे में जाहिर है कि भाजपा की पंचायत राज चुनाव की तैयारियां फिलहाल धीमी गति से चल रही हैं.