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पूनिया को प्रदेशाध्यक्ष बना भाजपा ने खेला 'जाट कार्ड', बिगाड़े कांग्रेस के जातीय समीकरण - सतीश पुनिया को प्रदेश अध्यक्ष

राजस्थान भाजपा ने सतीश पुनिया को अध्यक्ष बनाकर जाट कार्ड खेलते हुए कांग्रेस का गणित बिगाड़कर रख दिया है. पिछले ढाई माह से खाली प्रदेश भाजपा के पद पर भाजपा ने जाट किसान नेता सतीश पूनिया को जिम्मेदारी सौंपी है. जबकि कांग्रेस में जाट अध्यक्ष की मांग लंबे समय से की जा रही थी. अब आगामी निकाय चुनावों में कांग्रेस को इस जातीय समीकरण साधने के लिए कोई नई रणनीति बनानी होगी.

राजस्थान भाजपा नए प्रदेशाध्यक्ष, new state president of BJP
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Published : Sep 14, 2019, 5:46 PM IST

जयपुर. भाजपा ने सतीश पुनिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर एक तीर से दो निशाने लगा दिए हैं. एक तो पुनिया संघ की पसंद माने जाते हैं तो दूसरा किसान वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं. ऐसे में भाजपा के इस कदम ने कहीं ना कहीं कांग्रेस को परेशानी में डाल दिया है.

भाजपा के जाट कार्ड ने बिगाड़े कांग्रेस के समीकरण

लोकसभा चुनावों में सफाया होने के बाद राजस्थान कांग्रेस में लगातार किसान वर्ग से जाट अध्यक्ष बनाने की मांग की जा रही है. वहीं इस पद सचिन पायलट पहले से कांग्रेस के राजस्थान के अध्यक्ष हैं, जिन्हे अभी हटाने का रिस्क पार्टी ले नहीं सकती. ऐसे में आगामी निकाय चुनावों में जातीगत समीकरण साधना कांग्रेस के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. कांग्रेस के दोनों अहम पदों प्रदेशाध्यक्ष और मुख्यमंत्री पर गैर जाट चेहरे हैं.

पढे़ंः सतीश पूनिया बने भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष

उधर भाजपा ने भले देरी से ही सही लेकिन जातीय समीकरण को साधते हुए पूनिया को प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंप दी है. अब कांग्रेस को सतीश पुनिया का तोड़ निकालने के लिए कुछ ना कुछ करना होगा. ऐसा तभी संभव है, या तो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद पर किसी जाट चेहरे को बैठाया जाए या फिर उपमुख्यमंत्री के तौर पर एक किसी चेहरे को आगे किया जाए. तभी कांग्रेस जातीय समीकरण साधा सकती है. बहरहाल भजपा में जाट चेहरे की नियुक्ति से कांग्रेस में खलबली है. जो जाट चेहरे की मांग एक बार फिर तेज कर सकती है.

जयपुर. भाजपा ने सतीश पुनिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर एक तीर से दो निशाने लगा दिए हैं. एक तो पुनिया संघ की पसंद माने जाते हैं तो दूसरा किसान वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं. ऐसे में भाजपा के इस कदम ने कहीं ना कहीं कांग्रेस को परेशानी में डाल दिया है.

भाजपा के जाट कार्ड ने बिगाड़े कांग्रेस के समीकरण

लोकसभा चुनावों में सफाया होने के बाद राजस्थान कांग्रेस में लगातार किसान वर्ग से जाट अध्यक्ष बनाने की मांग की जा रही है. वहीं इस पद सचिन पायलट पहले से कांग्रेस के राजस्थान के अध्यक्ष हैं, जिन्हे अभी हटाने का रिस्क पार्टी ले नहीं सकती. ऐसे में आगामी निकाय चुनावों में जातीगत समीकरण साधना कांग्रेस के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. कांग्रेस के दोनों अहम पदों प्रदेशाध्यक्ष और मुख्यमंत्री पर गैर जाट चेहरे हैं.

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उधर भाजपा ने भले देरी से ही सही लेकिन जातीय समीकरण को साधते हुए पूनिया को प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंप दी है. अब कांग्रेस को सतीश पुनिया का तोड़ निकालने के लिए कुछ ना कुछ करना होगा. ऐसा तभी संभव है, या तो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद पर किसी जाट चेहरे को बैठाया जाए या फिर उपमुख्यमंत्री के तौर पर एक किसी चेहरे को आगे किया जाए. तभी कांग्रेस जातीय समीकरण साधा सकती है. बहरहाल भजपा में जाट चेहरे की नियुक्ति से कांग्रेस में खलबली है. जो जाट चेहरे की मांग एक बार फिर तेज कर सकती है.

Intro:राजस्थान भाजपा ने सतीश पुनिया को अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस का किया गणित खराब पहले से हो रही है कांग्रेस में जाट अध्यक्ष की मांग,ऐसे में फंसी कांग्रेस निकाय चुनाव में कैसे साधेगी जातिय समिकरण,अब एक उपमुख्यमंत्री किसान वर्ग का बनाकर ही साधा जा सकता है जातिय समीकरणBody:राजस्थान में आज भाजपा ने सतीश पूनिया को अपना नया अध्यक्ष बना दिया है भाजपा ने सतीश पुनिया को अध्यक्ष बनाकर एक तीर से दो निशाने लगा दिया है एक तो पुनिया संघ की पसंद माने जाते है तो दूसरा किसान वर्ग का प्रतिनिधित्व करते है तो ऐसे में भाजपा के इस कदम ने कहीं ने कही कांग्रेस को परेशानी में डाल दिया है क्योकि लोकसभा चुनावों में सूपडा साफ करवा चुकी कांग्रेस में लगातार लम्बे समय से किसान वर्ग से जाट अध्यक्ष बनाने की मांग की जा रही है।वही इस पद सचिन पायलट पहले से कांग्रेस के राजस्थान के अध्यक्ष है जिन्हे कांग्रेस अभी हटाने का रिस्क नही ले सकती है ऐसे में जातिगत समीकरण साधना कांग्रेस के किसी चुनोती से कम नही है,और क्योकि दोनो प्रमुख पदों मुख्यमंत्री और अध्यक्ष पर गैर जाट चेहरे है ऐसे में अब कांग्रेस को सतीश पुनिया के तोड पर कुछ ना कुछ करना होगा ऐसे में या तो कांग्रेस अध्यक्ष पद पर किसी जाट चेहरे को बैठाये या फिर उपमुख्यमंत्री के तोर पर एक और जाट चेहरे को आगे करे तो जातिय समीकरण साधा जा सकता है बहरहाल नियूक्ती चाहे भाजपा के अध्यक्ष की हुई हो लेकिन ये साफ है कि इस घोषणा से कांग्रेस में सियासी हलचल तेज होगी,और पहले से हो रही जाट अध्यक्ष की मांग अब एक बार फिर से जोर पकडेगी।
बाइट सुरेश चौधरी प्रवक्ता राजस्थान कांग्रेस
बाइट संदीप चौधरी पैनलिस्ट एआईसीसीConclusion:
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