जयपुर. भाजपा ने सतीश पुनिया को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर एक तीर से दो निशाने लगा दिए हैं. एक तो पुनिया संघ की पसंद माने जाते हैं तो दूसरा किसान वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं. ऐसे में भाजपा के इस कदम ने कहीं ना कहीं कांग्रेस को परेशानी में डाल दिया है.
लोकसभा चुनावों में सफाया होने के बाद राजस्थान कांग्रेस में लगातार किसान वर्ग से जाट अध्यक्ष बनाने की मांग की जा रही है. वहीं इस पद सचिन पायलट पहले से कांग्रेस के राजस्थान के अध्यक्ष हैं, जिन्हे अभी हटाने का रिस्क पार्टी ले नहीं सकती. ऐसे में आगामी निकाय चुनावों में जातीगत समीकरण साधना कांग्रेस के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. कांग्रेस के दोनों अहम पदों प्रदेशाध्यक्ष और मुख्यमंत्री पर गैर जाट चेहरे हैं.
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उधर भाजपा ने भले देरी से ही सही लेकिन जातीय समीकरण को साधते हुए पूनिया को प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंप दी है. अब कांग्रेस को सतीश पुनिया का तोड़ निकालने के लिए कुछ ना कुछ करना होगा. ऐसा तभी संभव है, या तो कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद पर किसी जाट चेहरे को बैठाया जाए या फिर उपमुख्यमंत्री के तौर पर एक किसी चेहरे को आगे किया जाए. तभी कांग्रेस जातीय समीकरण साधा सकती है. बहरहाल भजपा में जाट चेहरे की नियुक्ति से कांग्रेस में खलबली है. जो जाट चेहरे की मांग एक बार फिर तेज कर सकती है.