ETV Bharat / city

सी ग्रेड बूथों की मजबूती का जिम्मा अल्पसंख्यक मोर्चे को, ओवैसी से BJP पूरी तरह बेपरवाह - AIMIM Entry in Rajasthan

आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी बूथ मजबूती पर फोकस कर रही है. खास तौर पर उन 6 हजार बूथ पर जो भाजपा की दृष्टि से सी श्रेणी में रखे गए हैं. यह कमजोर बूथ अधिकतर मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में ही हैं. यही कारण है कि अब इनकी मजबूती का जिम्मा पार्टी ने अल्पसंख्यक मोर्चा को सौंपा है.

सी ग्रेड बूथों की मजबूती पर भाजपा की नजर
सी ग्रेड बूथों की मजबूती पर भाजपा की नजर
author img

By

Published : Aug 26, 2022, 6:26 PM IST

जयपुर. राजस्थान में भाजपा ने सी ग्रेड बूथों की मजबूती का जिम्मा (BJP Strategy for Booth Strengthening) अल्पसंख्यक मोर्चे को सौंपा है. इस बीच असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने राजस्थान में अपनी दस्तक दे दी है, जिससे भाजपा पूरी तरह बेपरवाह दिख रही है. देखिए ये रिपोर्ट...

दरअसल, भाजपा में पिछले दिनों कराए गए सर्वे में करीब 6 हजार बूथ श्रेणी के पाए गए थे. बकायदा इनकी मजबूती के लिए बूथ सशक्तिकरण अभियान भी चलाया गया, जिसमें सांसद और विधायक से लेकर पार्टी के पदाधिकारी तक जुटे, लेकिन भाजपा को बूथों पर कुछ खास सफलता नहीं मिल पाई. इसके बाद अल्पसंख्यक मोर्चे ने अब इन इलाकों में भाजपा की स्थिति आने वाले चुनाव की दृष्टि से मजबूत करने के लिए विशेष रणनीति बनाई है.

क्या कहते हैं भाजपा नेता...

अल्पसंख्यक मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष सादिक खान बताते हैं कि पिछले कुछ सालों से मुस्लिम मतदाता भी भाजपा से जोड़ रहा हूं. इसका प्रमुख कारण केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी नीति है. हालांकि, यह मतदाता बीजेपी को वोट में तब्दील होगा इसकी कोई गारंटी नहीं है. यही कारण है कि अब अल्पसंख्यक और मुस्लिम बहुल इलाकों में बीजेपी के वरिष्ठ मुस्लिम नेता ही मोर्चा संभालेंगे. आने वाले दिनों में इन क्षेत्रों में प्रदेश और केंद्र से जुड़े मुस्लिम नेता ना केवल दौरा, प्रवास करेंगे बल्कि पार्टी से जुड़े कई बड़े कार्यक्रम भी इन क्षेत्रों में ही करवाए जाएंगे.

केंद्र की योजना का प्रचार व कांग्रेस की अल्पसंख्यक विरोधी नीतियों का करेंगे खुलासा : रणनीति के तहत पार्टी के बड़े मुस्लिम नेताओं का दौरा और समाज को मुस्लिम बाहुल्य विधानसभा और इलाकों में होगा. वहीं, इन क्षेत्रों में पार्टी का मोर्चा केंद्र कि मोदी सरकार की जनकल्याणकारी (Mod Government Public Welfare Schemes) नीतियों का प्रचार करेंगी, जिससे मुस्लिम समाज भी लाभान्वित हुआ. इसके अलावा मौजूदा गहलोत सरकार के कार्यकाल में अल्पसंख्यक समाज से किए गए उन अधूरे वादों को भी जनता के बीच रखा जाएगा इसके चलते कौम में नाराजगी है.

मोर्चे पदाधिकारियों को चुनाव में ज्यादा टिकट की उम्मीद : विधानसभा चुनाव में बीजेपी मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट तो देती है, लेकिन वो संख्या अन्य राजनीतिक दलों की तुलना में बेहद कम होती है. पिछले विधानसभा चुनाव में एकमात्र मुस्लिम प्रत्याशी यूनुस खान को ही टिकट मिल पाया था, वो भी उनकी मूल विधानसभा सीट डीडवाना को बदलकर टोंक से दिया गया था. क्योंकि पार्टी संगठन में आप मुस्लिम समाज से जुड़े नेताओं को अहम पद और तवज्जो मिल रही है. लिहाजा मोर्चा पदाधिकारी चाहते हैं कि आने वाले विधानसभा चुनाव में 5 से 10 टिकट मुस्लिम समाज को मिले. हालांकि, अंतिम निर्णय पार्टी आलाकमान का ही होगा, जिसे स्वीकार करने की बाद भी कहते हैं.

इन सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की है ज्यादा आबादी : प्रदेश में मुस्लिम आबादी के लिहाज से कई सीटें ऐसी है, जहां किसी भी राजनीतिक दल के प्रत्याशी की हार-जीत मुस्लिम समाज से आने वाले मतदाता ही तय करते हैं. वहीं, कई सीटें ऐसी हैं जहां पर 30 हजार से अधिक मुस्लिम हैं. मुस्लिम आबादी के लिहाज से प्रदेश में कामां, नगर, फतेहपुर, रामगढ़, आदर्श नगर, किशनपोल, हवा महल, डीडवाना, पोकरण, मंडावा, मकराना, नागौर, लक्ष्मणगढ़, सीकर, झुंझुनू, नवलगढ़, लाडनू, तिजारा, कोटा उत्तर व सिविल लाइंस सहित कुछ सीटें शामिल हैं.

पढ़ें : Politics in Rajasthan : नवंबर से सड़क पर दिखेगा सियासी संग्राम, भाजपा ने गहलोत सरकार को घेरने की बनाई ये रणनीति...

ओवैसी की दस्तक से बेपरवाह भाजपा : राजस्थान में भाजपा के सर्वाधिक कमजोर बूथ मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में ही हैं और इस सच्चाई को पार्टी नेतृत्व भी स्वीकार करता है. लेकिन आने वाले विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ओवैसी की पार्टी AIMIM की दस्तक से भी भाजपा नेता बेपरवाह नजर आ रहे हैं. इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि भाजपा नेताओं को लगता है कि ओवैसी की पार्टी का राजस्थान में आने पर भाजपा की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन जब बीजेपी मुस्लिम क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं को खुद ही से जोड़ने की बात की है तो निश्चित तौर पर फर्क जरूर पड़ता है. पार्टी नेता ओवैसी को बीजेपी की बी टीम मानने से भी इनकार करते हैं और राजस्थान में ओवैसी के दल का कोई अस्तित्व भविष्य नहीं बताते.

कुल मिलाकर मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में भाजपा के बूथ सशक्तिकरण में तो अल्पसंख्यक मोर्चा तो जुटेगा, लेकिन उसमें कितनी कामयाबी मिलगी और आगामी विधानसभा चुनाव में (2023 Rajasthan Assembly Elections) भाजपा अपनी रणनीति बदल कर कितने मुस्लिम प्रत्याशियों को मैदान में उतरती है यह सब कुछ आने वाला समय ही तय करेगा.

जयपुर. राजस्थान में भाजपा ने सी ग्रेड बूथों की मजबूती का जिम्मा (BJP Strategy for Booth Strengthening) अल्पसंख्यक मोर्चे को सौंपा है. इस बीच असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने राजस्थान में अपनी दस्तक दे दी है, जिससे भाजपा पूरी तरह बेपरवाह दिख रही है. देखिए ये रिपोर्ट...

दरअसल, भाजपा में पिछले दिनों कराए गए सर्वे में करीब 6 हजार बूथ श्रेणी के पाए गए थे. बकायदा इनकी मजबूती के लिए बूथ सशक्तिकरण अभियान भी चलाया गया, जिसमें सांसद और विधायक से लेकर पार्टी के पदाधिकारी तक जुटे, लेकिन भाजपा को बूथों पर कुछ खास सफलता नहीं मिल पाई. इसके बाद अल्पसंख्यक मोर्चे ने अब इन इलाकों में भाजपा की स्थिति आने वाले चुनाव की दृष्टि से मजबूत करने के लिए विशेष रणनीति बनाई है.

क्या कहते हैं भाजपा नेता...

अल्पसंख्यक मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष सादिक खान बताते हैं कि पिछले कुछ सालों से मुस्लिम मतदाता भी भाजपा से जोड़ रहा हूं. इसका प्रमुख कारण केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी नीति है. हालांकि, यह मतदाता बीजेपी को वोट में तब्दील होगा इसकी कोई गारंटी नहीं है. यही कारण है कि अब अल्पसंख्यक और मुस्लिम बहुल इलाकों में बीजेपी के वरिष्ठ मुस्लिम नेता ही मोर्चा संभालेंगे. आने वाले दिनों में इन क्षेत्रों में प्रदेश और केंद्र से जुड़े मुस्लिम नेता ना केवल दौरा, प्रवास करेंगे बल्कि पार्टी से जुड़े कई बड़े कार्यक्रम भी इन क्षेत्रों में ही करवाए जाएंगे.

केंद्र की योजना का प्रचार व कांग्रेस की अल्पसंख्यक विरोधी नीतियों का करेंगे खुलासा : रणनीति के तहत पार्टी के बड़े मुस्लिम नेताओं का दौरा और समाज को मुस्लिम बाहुल्य विधानसभा और इलाकों में होगा. वहीं, इन क्षेत्रों में पार्टी का मोर्चा केंद्र कि मोदी सरकार की जनकल्याणकारी (Mod Government Public Welfare Schemes) नीतियों का प्रचार करेंगी, जिससे मुस्लिम समाज भी लाभान्वित हुआ. इसके अलावा मौजूदा गहलोत सरकार के कार्यकाल में अल्पसंख्यक समाज से किए गए उन अधूरे वादों को भी जनता के बीच रखा जाएगा इसके चलते कौम में नाराजगी है.

मोर्चे पदाधिकारियों को चुनाव में ज्यादा टिकट की उम्मीद : विधानसभा चुनाव में बीजेपी मुस्लिम प्रत्याशियों को टिकट तो देती है, लेकिन वो संख्या अन्य राजनीतिक दलों की तुलना में बेहद कम होती है. पिछले विधानसभा चुनाव में एकमात्र मुस्लिम प्रत्याशी यूनुस खान को ही टिकट मिल पाया था, वो भी उनकी मूल विधानसभा सीट डीडवाना को बदलकर टोंक से दिया गया था. क्योंकि पार्टी संगठन में आप मुस्लिम समाज से जुड़े नेताओं को अहम पद और तवज्जो मिल रही है. लिहाजा मोर्चा पदाधिकारी चाहते हैं कि आने वाले विधानसभा चुनाव में 5 से 10 टिकट मुस्लिम समाज को मिले. हालांकि, अंतिम निर्णय पार्टी आलाकमान का ही होगा, जिसे स्वीकार करने की बाद भी कहते हैं.

इन सीटों पर मुस्लिम मतदाताओं की है ज्यादा आबादी : प्रदेश में मुस्लिम आबादी के लिहाज से कई सीटें ऐसी है, जहां किसी भी राजनीतिक दल के प्रत्याशी की हार-जीत मुस्लिम समाज से आने वाले मतदाता ही तय करते हैं. वहीं, कई सीटें ऐसी हैं जहां पर 30 हजार से अधिक मुस्लिम हैं. मुस्लिम आबादी के लिहाज से प्रदेश में कामां, नगर, फतेहपुर, रामगढ़, आदर्श नगर, किशनपोल, हवा महल, डीडवाना, पोकरण, मंडावा, मकराना, नागौर, लक्ष्मणगढ़, सीकर, झुंझुनू, नवलगढ़, लाडनू, तिजारा, कोटा उत्तर व सिविल लाइंस सहित कुछ सीटें शामिल हैं.

पढ़ें : Politics in Rajasthan : नवंबर से सड़क पर दिखेगा सियासी संग्राम, भाजपा ने गहलोत सरकार को घेरने की बनाई ये रणनीति...

ओवैसी की दस्तक से बेपरवाह भाजपा : राजस्थान में भाजपा के सर्वाधिक कमजोर बूथ मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में ही हैं और इस सच्चाई को पार्टी नेतृत्व भी स्वीकार करता है. लेकिन आने वाले विधानसभा चुनाव में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ओवैसी की पार्टी AIMIM की दस्तक से भी भाजपा नेता बेपरवाह नजर आ रहे हैं. इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि भाजपा नेताओं को लगता है कि ओवैसी की पार्टी का राजस्थान में आने पर भाजपा की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन जब बीजेपी मुस्लिम क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं को खुद ही से जोड़ने की बात की है तो निश्चित तौर पर फर्क जरूर पड़ता है. पार्टी नेता ओवैसी को बीजेपी की बी टीम मानने से भी इनकार करते हैं और राजस्थान में ओवैसी के दल का कोई अस्तित्व भविष्य नहीं बताते.

कुल मिलाकर मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में भाजपा के बूथ सशक्तिकरण में तो अल्पसंख्यक मोर्चा तो जुटेगा, लेकिन उसमें कितनी कामयाबी मिलगी और आगामी विधानसभा चुनाव में (2023 Rajasthan Assembly Elections) भाजपा अपनी रणनीति बदल कर कितने मुस्लिम प्रत्याशियों को मैदान में उतरती है यह सब कुछ आने वाला समय ही तय करेगा.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.