जयपुर. भाजपा विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने प्रदेश में अनुदान प्राप्त मदरसा में एक धर्म विशेष की शिक्षा दिए जाने पर सवाल खड़ा किया (education of a particular religion in the madrasa) है. वासुदेव देवनानी ने इसे संविधान के विपरीत भी बताया मदरसों को मिलने वाले सरकारी अनुदान पर आपत्ति भी दर्ज की.
पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने सोमवार को एक ट्वीट कर कहा कि जो राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है. देवनानी ने अपने ट्वीट में लिखा कि असम में ही क्यों राजस्थान में क्यों नहीं असम में मदरसा बंद सरकार के अनुदान प्राप्त मदरसा सिर्फ एक धर्म विशेष की शिक्षा कैसे दे सकते हैं कि भारत में हर विद्यार्थी को धर्मनिरपेक्ष वैज्ञानिक शिक्षा मिलना चाहिए. उन्होंने लिखा कि धार्मिक शिक्षा माता-पिता घर पर है. अगर उन्हें जरूरी लगता है तो.
![education of a particular religion in the madrasa](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/15362627_jaipur.jpg)
वासुदेव देवनानी ने अपनी इस ट्वीट के साथ संविधान में उल्लेखित मूल अधिकार भाग-3 जिसमें संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकारों का वर्णन है उसका पेज भी पोस्ट किया. पूर्व शिक्षा मंत्री देवनानी का कहना है कि संविधान में सेकुलर शब्द जोड़कर स्कूल के पाठ्यक्रम से "ग" गणेश का निकालकर "ग" गमला का कर दिया गया. ऐसे में मदरसों में कुरान और हदीस क्यों? देश में सबके लिए प्राथमिक शिक्षा स्कूल है फिर मदरसा में सरकारी अनुदान से धार्मिक शिक्षा क्यों ?